मां, बच्चे और खिलौनेवाला
बहुत दिनों के बाद खिलौने बेचनेवाला, बहुत सारे गुब्बारों और उससे बने कई आकृतियों को लेकर अपने मुहल्ले में आया था। उसकी निगाहें सिर्फ और सिर्फ बच्चों को ढूंढ रही थी, क्योंकि उसका व्यापार बच्चों की चाहत पर ही तो टिका था। वह एक बांसुरी अपने होठों में लिए कुछ ध्वनि निकाल रहा था, संदेश साफ था कि बच्चे उसके बांसुरी से निकले ध्वनियों को सुने और घर के बाहर निकले।
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