गुमला में दस युवकों द्वारा दो नाबालिगों के साथ दुष्कर्म की घटना झारखण्ड के लिए कलंक

ये समाचार झारखण्ड के माथे का कलंक है। कलंक उन पुलिसकर्मियों के लिए भी, जिनके क्षेत्र में ऐसी घटना घटी। कलंक उस समाज के लिए भी जहां इस प्रकार के दैत्य खूलेआम घूम रहे हैं और जीवित है। हमें याद है कि जब हमने रांची में रहकर पत्रकारिता के दौरान दिशोम गुरु शिबू सोरेन से इसी प्रकार की घटना को लेकर एक सवाल पूछा था।

ब उस दौरान शिबू सोरेन ने कहा था कि हमारे रहते, हमारी बहू-बेटियों और बच्चियों का बलात्कार हो, तो हमें जीने का कोई हक नहीं, हम झारखण्ड इसी के लिए बनाये थे क्या? हम ऐसे ही झारखण्ड के लिए संघर्ष किये थे क्या? पर ये क्या घटनाएं तो आज भी घट रही हैं, सरकार अपनी है, सरकार में शामिल लोग अपने हैं, और गुमला में दो नाबालिगों के साथ दस लोगों ने गैंग रेप कर दिया।

प्राथमिकी में जो बात लिखी है, उसे पढ़कर ही सर शर्म से झूक जाता है। प्राथमिकी में कहा गया है कि दोनों नाबालिग शुक्रवार को अपने भाई के साथ जोभीपाठ दशहरा मेला घूमने गई थी, जहां से लौटने के क्रम में उपर लोदा और चांपाकोना के बीच दस युवकों ने दोनों लड़कियों को कब्जे में किया और भाई को मारपीट कर भगा दिया और उसके बाद दसों युवकों ने बारी-बारी से दुष्कर्म किया।

समाचार लिखे जाने तक की खबर यह है कि इस मामले में दो आरोपी समीन असुर और प्रेम उरांव को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है, एक आरोपी अजीत उरांव रविवार को आत्महत्या कर लिया है, जबकि सात आरोपी अभी भी फरार है, पुलिस सभी आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए छापामारी कर रही है।

आखिर समाज कहा जा रहा है, इस पर समाज को भी विचार करना चाहिए, क्योंकि हर बात सरकार ही नहीं सुलझा सकती है, आपके बच्चे क्या कर रहे हैं, इसकी जानकारी तो होनी ही चाहिए, अगर आप ऐसा नहीं कर रहे हैं तो आप अपने बच्चों से हाथ धो रहे हैं, जैसा कि इस मामले में भी होगा, अपराधी कितना भी भाग लें, वे कानून से थोड़े ही न बच पायेंगे।