अपनी बात

आखिर किसके भय से स्पीकर दिनेश उरांव ने कमला की बातों को सुनने से इनकार कर दिया?

सीएम रघुवर दास के अतिप्रिय बाघमारा के भाजपा विधायक ढुलू महतो का खौफ कहे या प्रेम? झारखण्ड विधानसभाध्यक्ष दिनेश उरांव ने कमला कुमारी की बातों को सुनने से ही इनकार कर दिया, यहां तक की उसका ज्ञापन लेना भी उचित नहीं समझा और उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया।

अब सवाल उठता है कि जब किसी पीड़िता को स्थानीय पुलिस प्रशासन सुनने से इनकार कर दें, उसकी पार्टी का अध्यक्ष ही बिना जांच कराये दोषी को क्लीन चिट दे दें और अंत में पार्टी के राज्यस्तर से जिलास्तर तक के नेता दूरियां बनाना शुरु कर दें, तथा उसकी आजीविका पर भी प्रहार करना शुरु कर दें, तो पीड़िता कहां जाये?  वह भी तब जबकि यौन शोषण की शिकार भाजपा की जिला मंत्री कमला कुमारी एक बार कतरास थाना के समीप आत्मदाह का प्रयास कर चुकी है।

आश्चर्य की बात है कि अगर सामान्य व्यक्ति के उपर, यौन शोषण का आरोप लग जाये, तो उसे जेल के अंदर करने में स्थानीय पुलिस को तनिक देर नहीं लगती और अगर कोई राजनीतिक दबाव आ गया तो लगता है कि मिनट भी नहीं लगेगा, उसे अंदर करने में और इधर तो भाजपा की ही नेत्री, अपने ही इलाके के भाजपा विधायक पर गंभीर आरोप लगा चुकी है, और भाजपा का शीर्षस्थ नेता उस महिला से मिलना ही नहीं चाहता, बल्कि बिना जांच कराये, उसे ही कटघरे में खड़ा कर देता है।

कमला कुमारी विद्रोही 24.कॉम को बताती है कि वह तो स्पीकर से इसलिए मिलने गई थी कि वे उसकी बात सुनेंगे, पर वो बात सुनेंगे क्या, जैसे ही ज्ञापन में कमला कुमारी का नाम देखा, बाहर का रास्ता दिखा दिया, इसका मतलब क्या है?  जब सदन का एक प्रमुख व्यक्ति ही बात करने से इनकार कर दें तो स्पष्ट है कि यहां किसकी सत्ता चल रही है और महिलाओं का क्या सम्मान है?

इधर कमला कुमारी बताती है कि वह भाजपा प्रदेश मुख्यालय में गई थी, जहां भाजपा के प्रदेश मंत्री दीपक प्रकाश से उसकी मुलाकात हुई, दीपक प्रकाश ने उनकी बातों को सुना तथा कहा कि प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा धनबाद में कैसे क्लीन चिट दे दिये, उन्हें समझ नहीं आ रहा, वे इस संबंध में प्रदेश अध्यक्ष से बात करेंगे तथा सच्चाई जानने का पता लगायेंगे। दीपक प्रकाश ने भरोसा दिलाया कि देर हो रही हैं, पर न्याय मिलेगा?