विज्ञापन रुपी चांदी के जूते का कमाल, रांची के अखबारों में रघुवर ‘IN’ और अर्जुन ‘OUT’

विज्ञापन रुपी चांदी के जूते का कमाल देखिये,  रांची के अखबारों में सिर्फ और सिर्फ रघुवर नजर आ रहे हैं और भाजपा के कद्दावर नेता को जानबूझकर मेनस्ट्रीम से आउट कर दिया गया है, आखिर ये सब कैसे हुआ और कौन लोग हैं उसके पीछे, ये जानना जरुरी है। जरा आज का ‘प्रभात खबर’ देखिये। ऐसे तो यह अखबार रघुवर भक्ति में ऐसा लीन है कि ऐसी भक्ति मीरा ने भी श्रीकृष्ण के लिए नहीं की होगी।

इस अखबार ने कल जामताड़ा से शुरु हुए जोहार जन आशीर्वाद यात्रा को प्रथम पृष्ठ पर स्थान दिया है, तथा इस खबर को बड़ी ही श्रद्धा के साथ छापा है, खबर में सभी जगह अमित शाह और रघुवर दास नजर आ रहे हैं, पर केन्द्रीय जनजातीय मंत्री और झारखण्ड के कद्दावर नेता अर्जुन मुंडा को इस अखबार ने बड़े ही सलीके से किनारे कर दिया है।

इस अखबार में जामताड़ा की खबर में आप अर्जुन मुंडा को खोजते रह जाइयेगा पर वे नहीं मिलेंगे, जबकि सर्वाधिक ताली अगर कोई बटोरी तो वे अर्जुन मुंडा ही थे, जिसने हिन्दी, संताली और बंगला भाषा में अपनी बात रखकर, जनता को अपनी ओर आकर्षित करने में मुख्य भूमिका निभाई, राजनीतिक पंडितों की मानें तो इस सभा में अगर कोई नेता सब पर भारी दिखा तो वे अर्जुन मुंडा ही थे, फिर भी एक कद्दावर नेता को रांची से प्रकाशित अखबार प्रभात खबर ने किसके कहने पर नजरंदाज किया, ये चिन्ता का विषय है।

यहीं काम हिन्दुस्तान, दैनिक भास्कर ने किया, जबकि दैनिक जागरण ने अर्जुन मुंडा की खबर को पेज नं. 9 में एक कॉलम में छोटी सी खबर देकर इतिश्री कर ली, जबकि ऐसा भी नहीं कि अर्जुन मुंडा कोई छोटे नेता है, आज भी झारखण्ड के महत्वपूर्ण नेताओं में वे गिने जाते हैं, फिलहाल केन्द्रीय जनजातीय मंत्री भी है, उसके बाद भी अखबारों में सिर्फ रघुवर ही रघुवर का होना तथा अर्जुन मुंडा को कायदे से किनारे कर देना या उन्हें स्थान नहीं मिलना, क्या जनता नहीं जानती कि इसमें किसका हाथ है और किसके कहने पर अर्जुन मुंडा को अखबारों से बाहर कर दिया गया।

सूत्र बताते हैं कि राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास नहीं चाहते थे कि राज्य के अखबार या चैनल इस जोहार जन आशीर्वाद यात्रा में अर्जुन मुंडा को तनिक भी भाव दें। रघुवर दास को लग रहा था कि अगर अखबारों में अर्जुन मुंडा रहेंगे तो उनकी लोकप्रियता का ह्रास होगा, और इसका सारा श्रेय अर्जुन मुंडा ले जायेंगे, इसलिए आइपीआरडी और सीएमओ ने मिलकर ऐसा फोन घुमाया कि अखबारों में बैठे संपादकों के दिमाग का बत्ती ही गुल हो गया और उन्होंने वहीं किया जैसा आदेश था।

राजनीतिक पंडित की मानें तो वे साफ कहते है कि ये सब विज्ञापन रुपी चांदी के जूते का कमाल है, आप जैसे पाये वैसे इन्हें नचाइये, ये कुछ बोलेंगे ही नहीं, बस नाचते जायेंगे, आप जिन्हें अखबारों में ‘इन’ कराना है, कराइये कर देंगे और जिन्हे ‘आउट’ कराना है, करा देंगे, क्योंकि यहां तो सिर्फ एक ही गाना चल रहा है, वो गाना है – “ठन-ठन की सुनो झनकार, ये दुनिया है काला बाजार, कि पैसा बोलता है, कि पैसा बोलता है।”

जरा आज ही का दैनिक भास्कर देख लीजिये पेड न्यूज के लिए संपादकीय पेज तक को घसका दिया गया है और दो पेज पूरी तरह से पेड न्यूज की तरह जनता के बीच रघुवर दास के इशारे पर परोस दिया गया है, पर कोई बोलनेवाला नहीं। हद हो गई है, जिसे देखों खुद को बेचे जा रहा है।

कल ही पूर्वोदय के नाम पर हिन्दुस्तान और एबीपी न्यूज वालों ने जो किया, वो भी तो शर्मनाक है, और ये सब सिर्फ विज्ञापन रुपी चांदी के जूते के लिए हो रहे हैं, जैसे विवाह समारोह में दुल्हें यानी जीजाजी के जूते चुराकर, सालियां उनसे जूते के पैसे वसूलती है, उसी प्रकार विज्ञापन के चांदी के जूते को प्राप्त कर लेने के बाद ये सारे अखबार रघुवर के इशारे पर ठुमरी के साथ-साथ नृत्य भी करने लगे है।

जिसके कारण भाजपा के ही एक कद्दावर नेता अर्जुन मुंडा द्वारा जामताड़ा में दिये गये भाषण से, पूरे झारखण्ड के लोग वंचित रह गये, जो इन अखबारों से जुड़े हैं। ये हैं, आज की पत्रकारिता, विज्ञापनरुपी चांदी के जूते को प्राप्त करने की पत्रकारिता, स्वयं के जमीर को बेचने की पत्रकारिता, एक विश्वास खो चुके नेता के प्रति हृदय लूटाने की पत्रकारिता, अगर आप दूसरे जगहों पर हैं, तो ये सब देखने के लिए जब तक विधानसभा का चुनाव नहीं हो जाता, आप झारखण्ड पधारें, आपको नये-नये अनुभव प्राप्त होंगे।