अपराध

कुख्यात भाजपा विधायक ढुलू के आंतक से सुप्रसिद्ध समाजसेवी विजय झा और उनके परिवार को खतरा

झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास का दाहिना हाथ एवं बाघमारा का दबंग भाजपा विधायक ढुलू महतो का आतंक रुकने का नाम नहीं ले रहा, उसका आतंक अभी भी जारी है, जो गरीब लोग हैं, उसके आतंक के आगे सर झूका ले रहे हैं, क्योंकि उनके पास कोई विकल्प नहीं है, अगर ये लोग उसके आगे सर नहीं झूकायेंगे तो वह ऐसे लोगों को झूठे केस में फंसाकर उसकी जिंदगी तबाह कर देता है।

इसी कड़ी में इन दिनों वह अब कतरास में रह रहे एक सुप्रसिद्ध समाजसेवी विजय झा एवं उनके परिवार की जिंदगी से खेलना शुरु कर दिया है, हालांकि उसकी इस हरकत का सोशल साइट पर खुब आलोचना हो रही हैं, पर वह सुधरने का नाम नहीं ले रहा। स्थानीय लोग बताते है कि उसे इस बात का घमंड है कि जब राज्य के मुख्यमंत्री और उसके जाति के नेता रघुवर दास एवं राज्य की सारी पुलिस व स्थानीय प्रशासन उसके मुट्ठी में हैं तो वह कुछ भी कर सकता है, और इसी घमंड में वह अनाप-शनाप कुकृत्य किये जा रहा है।

विजय झा ने उधर झारखण्ड उच्च न्यायालय में ढुलू के खिलाफ pil किया और इधर ढुलू ने उन पर sc-st का केस करवा दिया

जरा देखिये पहले कतरास के सुप्रसिद्ध समाजसेवी विजय झा के बेटे बिट्टू पर एक महिला से झूठा बलात्कार का केस करवाया और अब खुद विजय झा पर ही कल एससी-एसटी का केस करवा दिया, जब उसे पता चला कि विजय झा ने ढुलू के खिलाफ झारखण्ड उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर करवाई है।

आश्चर्य इस बात की भी है कि ढुलू के समर्थक बिना कुछ सोचे-समझे फिल्मी अंदाज में वो सब कुछ करने के लिए तैयार है, जो उनका जमीर भी इजाजत नहीं देता, लेकिन वे भी उस कुकर्म में ढुलू के भागीदार होते जा रहे हैं। आश्चर्य इस बात की भी है कि जिस पुलिस की कभी कतरास थाने में ढुलू ने अपने समर्थकों के साथ वर्दी फाड़ दी थी, उनके हथियार लूटने का प्रयास किया था।

2013 में ढुलू और उनके समर्थकों के खिलाफ कतरास थाने में पुलिस की वर्दी फाड़ने और हथियार लूटने की दर्ज है प्राथमिकी

जिसकी प्राथमिकी आज भी कतरास थाने में 120/2013 दर्ज हैं, वह पुलिस भी ढुलू के आगे नतमस्तक है, तथा उसके खिलाफ एक्शन लेने में पुलिस के हाथ-पांव फूलने लगते हैं, जबकि इसी धनबाद में कभी एक महिला अधिकारी एसपी सुमन गुप्ता हुआ करती थी, जिनसे गुंडों-अपराधियों एवं असामाजिक तत्वों के धूएं छुटने लगते थे, पर आज धनबाद में तीन-तीन एसपी, कई डीएसपी को अकेले ढुलू हिलाता रहता है।

पहले बेटा, फिर विजय झा और अब विजय झा की पत्नी, बेटी और दामाद को भी झूठे केस में फंसा सकता है ढुलू

स्थानीय लोग बताते हैं कि पहले विजय झा के बेटे बिट्टू, उसके बाद खुद विजय झा, अब लगता है कि विजय झा की पत्नी(डा. शिवानी झा), उनके बेटी (डा. नेहा प्रियदर्शिनी), उनके दामाद (डा. धीरज चौधरी) पर भी ये ढुलू झूठे प्राथमिकी दर्ज करवा सकता है, या हमले करवा सकता है, इसलिए विजय झा के परिवार को खतरा बना हुआ है, लेकिन उसके बावजूद भी अगर विजय झा और उनके परिवार ऐसे कुकृत्य करनेवाले विधायक के खिलाफ नहीं झूक रहे तो ये बहुत बड़ी बात हैं, आज न कल, उनकी जीत अवश्य होगी, सत्ता का संरक्षण भी ढुलू को नहीं बचा पायेगा।

ढुलू के भय से झारखण्ड हाई कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करवा सकी झारखण्ड पुलिस

इधर कल झारखण्ड हाई कोर्ट में विजय झा ने एक जनहित याचिका दायर की है। जनहित याचिका दायर में इस बात का जिक्र है कि हाई कोर्ट रांची ने 20 जून 2014 के अपने आदेश में ढुलू महतो की जमानत याचिका पर जमानत आदेश देते हुए निचली अदालत को निर्देशित किया था कि वह कतरास कांड संख्या 120/2013 को छः माह के अंदर निष्पादित करें, पर आज पांच साल बीत गये, इस मामले का निष्पादन नहीं हुआ, जो हाई कोर्ट के आदेश की एक तरह से अवमानना है।

विजय झा ने जनहित याचिका में कहा है कि हाई कोर्ट ने यह भी कहा था कि हर डेट में इन्हें सशरीर उपस्थित होना है, पर वे दर्जनाधिक डेटों में सशरीर उपस्थित नहीं हुए, जो हाईकोर्ट के दूसरे आदेश की भी अवमानना है। अदालत ने यह भी कहा था कि वे किसी गवाह को प्रभावित नहीं करेंगे, पर आज तक राज्य के पुलिस पदाधिकारियों ने स्वयं के उपर हुए इस हमले को भी भूल जाना लगता है कि उचित समझ लिया और ऐसे विधायक ढुलू महतो के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।

विजय झा का कहना है कि उनके उपर हालांकि ढुलू महतो के इशारे पर केस कराने का सिलसिला जारी है, यह सिलसिला कब खत्म होगा, कहा नहीं जा सकता, पर वे ये बता देना चाहते है कि वे सत्ता संरक्षित इस अपराधी के आगे नहीं झूंकेंगे, वह कानूनी लड़ाई जारी रखेंगे, क्योंकि सत्य में बहुत ताकत होती है, हमारे देश का तो ध्येय वाक्य ही है – सत्यमेव जयते, भला एक आतंक फैलानेवाला भाजपा का विधायक उनका क्या बिगाड़ सकता है?

और इधर विजय झा के परिवार का सामाजिक बहिष्कार करवा दिया ढुलू ने और पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी हैं

इधर ढुलू महतो ने रानी बाजार में एक बैठक करा विजय झा और उनके परिवार का सामाजिक बहिष्कार करने का आह्वान किया है, जबकि भारत के ही एक राज्य महाराष्ट्र का सामाजिक बहिष्कार अधिनियम 2016 साफ कहता है कि अगर कोई भी व्यक्ति या समूह किसी अन्य व्यक्ति या समूह को किसी भी सामाजिक या धार्मिक, सांस्कृतिक, सामुदायिक समारोह, मंडली, बैठक या जुलूस में भाग लेने से रोकने की कोशिश या रोकता हैं तो उसे सामाजिक बहिष्कार (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम 2016 के तहत सजा का भी प्रावधान है, इसके तहत ऐसे लोगों को तीन साल की कैद भी हो सकती है। कई राज्य इस सामाजिक बहिष्कार अधिनियम को अपने यहां भी लागू करने की बारीकी से सोच रहे हैं।

विद्रोही 24. कॉम का मानना है कि जिन लोगों ने रानी बाजार स्थित गुरु तेगबहादुर हॉल में सुप्रसिद्ध समाजसेवी विजय झा और उनके परिवार के सामाजिक बहिष्कार का निर्णय लिया, उन सब के खिलाफ पुलिस को कठोर कार्रवाई करनी चाहिए, इनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करनी चाहिए।

इधर ढुलू महतो के आतंक से कई परिवार और विजय झा के चाहनेवाले लोग भी अब विजय झा से संपर्क करने से कतरा रहे हैं, तथा किसी अनिष्ट की संभावना से इनकार भी नहीं कर रहे। इधर कई लोगों ने विद्रोही24.कॉम को बताया कि पहले हमलोग सुना करते थे कि भाजपा के विधायक सत्यनिष्ठ एवं कर्मयोगी होते हैं, आज तो ढुलू को देख, सारा दिमाग ही घुम गया, चलिए सभी का वक्त होता है, लोगों ने कंस व रावण को भी देखा है, अब थोड़ा ढुलू को भी देख लेते हैं।