राजनीति

पत्थलगड़ी को लेकर पहली बार रघुवर सरकार मैदान में, सरकार ने लिया विज्ञापन का सहारा

झारखण्ड के आदिवासी बहुल कई ग्रामीण इलाकों में कराई जा रही पत्थलगड़ी को लेकर पहली बार राज्य सरकार मैदान में उतरी है। पत्थलगड़ी में लगे लोग इस पत्थलगड़ी को आदिवासियों के हित में, इसके द्वारा ग्राम सभा को मजबूत करने तथा भारत के संविधान में लिखित आदिवासियों के अधिकार को लेकर उन्हें सजग करने का एक प्रमुख कदम बता रहे हैं, वहीं भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि पत्थलगड़ी के नाम पर राष्ट्रविरोधी शक्तियां ग्रामीणों को भड़का रही है, इससे सामाजिक सद्भाव बिगड़ेगा और अशांति फैलेगी, पर भाजपा ये नहीं बता रही कि वे राष्ट्रविरोधी शक्तियां कौन हैं, जो उनके अनुसार राष्ट्रविरोधी कार्यों में लगी हैं, शायद भाजपा को लगता है कि खुलकर विरोध करने पर भाजपा के वोट बैंक पर असर पड़ सकता हैं।

भाजपा का कहना है कि आम तौर पर पत्थलगड़ी जनजाति समाज की संस्कृति और पहचान से जुड़ी है, जो समाज के द्वारा अपने पूर्वजों की स्मृति तथा कुछ ऐतिहासिक कार्यों को प्रदर्शित करने के लिये किया जाता रहा है, परंतु आज जिस प्रकार से कतिपय लोगों द्वारा विशेषकर खूंटी, सिमडेगा के गांवों में बाहरी व्यक्ति को प्रवेश से रोकने के लिए लगाया जा रहा है तथा उसमें गैर कानूनी भाषा का भी प्रयोग किया जा रहा है, भाजपा इसकी भर्त्सना करती है और समाज के भोले-भाले लोगों को दिग्भ्रमित करने के लिए ऐसे असंवैधानिक कार्य करनेवालों को हरकतों से बाज आने की चेतावनी भी देती है।

भाजपा के लोगों ने पत्थलगड़ी पर रोक लगाने के लिए कुछ दिन पहले राज्य के गृह सचिव से भी मिला था, तथा इस पत्थलगड़ी पर अविलम्ब रोक लगाने की मांग करते हुए दोषियों पर कार्रवाई करने की भी मांग की थी। इधर पत्थलगड़ी में लगे लोगों का कहना है कि पूरे आदिवासी समाज को पत्थलगड़ी के माध्यम से भारत के संविधान में लिखित उनके अधिकारों को बताने के लिए पत्थलगड़ी का सहारा लिया जा रहा है, क्योंकि पिछले 70 सालों से आदिवासी समाज को पता ही नहीं कि उनके लिए संविधान में क्या महत्वपूर्ण बाते लिखी हैं?, जिससे आदिवासियों के अस्तित्व को कोई चुनौती न दे सकें और उनके अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न नहीं हो सकें।

इधर आदिवासियों में भी पत्थलगड़ी को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया है। आदिवासियों में ही एक गुट पत्थलगड़ी का विरोध भी करना शुरु कर दिया है, जिसको लेकर कुछ दिन पहले आदिवासियों ने खूंटी उपायुक्त कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया। खूंटी में ही सिरका और गुटीगड़ा गांव के 100 लोग ट्रैक्टर और बाइक से उपायुक्त कार्यालय पहुंचे और पत्थलगड़ी को विकास में सबसे बड़ी बाधा बताया तथा इस पर रोक लगाने की मांग कर दी। जिस पर उपायुक्त ने ग्रामीणों को संबोधित करते हुए कहा कि पूरा प्रशासन ग्रामीणों के साथ है, ग्रामीणों को डरने की जरुरत नहीं।

इधर पहली बार रघुवर सरकार ने सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के माध्यम से पत्थलगड़ी को लेकर विज्ञापन निकाला है। जिसमें मुख्यमंत्री रघुवर दास के फोटो का उपयोग किया गया है। शायद रघुवर सरकार को लग रहा है कि पत्थलगड़ी की आग धीरे-धीरे पूरे राज्य को लीलने का प्रयास कर रही है। आज राज्य सरकार ने जो विज्ञापन निकाला है, उस विज्ञापन से राज्य सरकार ने ग्रामीणों को बताया है कि पत्थलगड़ी संविधान विरोधी और गरीबों के खिलाफ साजिश है।

रघुवर सरकार के अनुसार, ग्रामीण पत्थलगड़ी करानेवाले लोगों के बहकावे में न आएं। पत्थलगड़ी संपन्न कराने को सरकार ने तुगलकी फरमान करार दिया है। सरकार का यह भी कहना है कि कोई आपको गांव से निष्कासित करने की बात करता है तो आप तुरंत जिला प्रशासन या पुलिस को सूचना दें। पत्थलगड़ी में लगे लोगों को राज्य सरकार ने विकास विरोधी बताते हुए, इनके खिलाफ कानून के अनुसार सख्त कार्रवाई करने का भरोसा भी जताया है।

इधर पत्थलगड़ी की घटना ने, आप माने या न माने एक बहुत बड़े आदिवासी समुदाय तक अपनी बात पहुंचा दी है, जो राज्य सरकार के लिए शुभ संकेत नहीं है। इस कार्य में लगे लोग राज्य सरकार की नीतियों से खफा है, उनका कहना है कि इनकी नीतियां आदिवासी समुदाय के विकास से संबंधित न होकर बड़े-बड़े उद्योगपतियों के हितों से संबंधित है, जिससे राज्य के आदिवासियों को कभी भला नहीं होनेवाला।

इनके लोग रांची से प्रकाशित एक अखबार को भी आदिवासी समुदाय के हितों के लिए खतरा मानते हैं, इनके लोग कुछ महीने पहले उक्त अखबार के कार्यालय में जाकर अपनी आपत्ति भी दर्ज करायी थी तथा कई जगहों पर उक्त अखबार की प्रतियां भी जलाई।

हालांकि राज्य सरकार ने जिस प्रकार से पत्थलगड़ी के खिलाफ विज्ञापन निकाला है, और जिस प्रकार से आदिवासियों के बीच ही पत्थलगड़ी को लेकर विवाद प्रारंभ हुआ है, इससे आदिवासी समुदायों तथा ग्रामीणों में टकराव के आसार बढ़ेंगे। कहीं ऐसा न हो कि नक्सल और अपराध से ग्रस्त यह राज्य एक पत्थलगड़ी के नये विवाद में पड़कर सहीं मार्ग से न भटक जाये। आवश्यकता है पत्थलगड़ी के मसले पर फूंक-फूंक कर कदम बढ़ाने की।