जी बिहार-झारखण्ड ने बेमतलब के न्यूज को न्यूज बनाया, झामुमो नेता कुणाल षाड़ंगी ने उठाया सवाल, अन्य नेता चैनल के आगे नतमस्तक
लगता है कि “जी बिहार झारखण्ड” को न्यूज के नाम पर हंगामा खड़ा करने की, हमेशा मौके की तलाश रहती है, और जब भी उसे यह मौका मिलता है, वह इसका फायदा उठाने से नहीं चूकता, भले ही उस न्यूज में कुछ रहे अथवा न रहे, अब जरा देखिये, एक झारखण्ड पीपुल्स पार्टी के नेता है सूर्य सिंह बेसरा, जो पूर्व में विधायक भी रह चुके हैं, वर्तमान में राजनीति से पूरी तरह आउट हो चुके हैं।
सच्चाई यह है कि वे नगरपालिका का भी चुनाव जीत पायेंगे या नहीं, इस पर भी लोगों को संदेह है, कभी–कभार कोई–कोई अखबार के एक छोटे से पन्ने में दिख जाते हैं, वैसे व्यक्ति द्वारा फेसबुक पर एक कोटेशन क्या लिख दिया गया, जी बिहार-झारखण्ड ने उसे बहस का मुद्दा बना दिया। यही नहीं, उसने विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से फोनो लेने शुरु कर दिये, कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने जी बिहार-झारखण्ड के प्रश्न के अनुरुप तथा उसके स्वाभावानुसार जवाब दिये।
पर झामुमो के नेता कुणाल षाड़ंगी ने जी बिहार-झारखण्ड को बहुत ही सुंदर सा जवाब दिया और कहा कि ये विषय तो चर्चा के योग्य नहीं, ये हास्यास्पद है, और बहुत हल्की। चर्चा की प्राथमिकताएं क्या होगी, ये तो तय होना ही चाहिए, जबकि जी बिहार-झारखण्ड के एंकर ने इसी दौरान हिन्दू जागरण मंच के अमित, कांग्रेस पार्टी के बन्ना गुप्ता, भाजपा के प्रवक्ता प्रतुल नाथ शाहदेव, पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा आदि से फोनो लेना शुरु कर दिया।
इसी दौरान सूर्य सिंह बेसरा ने अपने स्वाभावानुसार जवाब दिये, जबकि अन्य ने जी बिहार-झारखण्ड के स्वाभावानुसार जवाब दिये, सिर्फ झामुमो नेता कुणाल षाड़ंगी ने जी बिहार-झारखण्ड को ऐसा जवाब दिया, जिसकी जितनी प्रशंसा की जाय कम है। कमाल है, जिस जी बिहार-झारखण्ड को सूर्य सिंह बेसरा लिखना नहीं आता, जो बार–बार अपने चैनल में उन्हें सूर सिंह बेसरा लिख और बोल रहा था, वह सूर्य सिंह बेसरा से बातचीत करने में भी गजब ही ढा रहा था, आखिर सूर्य सिंह बेसरा ने लिखा क्या?
उन्होंने लिखा कि झारखण्ड में रहना है तो “जय झारखण्ड बोलो, जयश्रीराम बोलना है तो झारखण्ड छोड़ो”। सच्चाई यही है कि झारखण्ड में रहनेवाले या झारखण्ड से प्यार करनेवाले जय झारखण्ड हमेशा बोलते ही रहते है, लेकिन जय झारखण्ड नहीं बोलने पर झारखण्ड छोड़ने की बात, जरुर सूर्य सिंह बेसरा को किसी ने सलाह देकर लिखवाई होगी, कि भाई सूर्य सिंह बेसरा जी, आजकल आप गर्दिश में हो, चुनाव आ रहा है, कहीं कोई आपको पूछ नहीं रहा, कोई ऐसा विवादास्पद बातें लिख दो, फिर देखो तुम बम–बम हो जाओगे, ऐसे भी मूर्ख टाइप के अनेक संवाददाता और चैनल भारत में बिखरे पड़े हैं, अच्छा रहेगा कि जयश्रीराम का सहारा लो, देखते–देखते तुम भी फेमस, लीजिये मजा आ गया, सूर्य सिंह बेसरा मकसद में कामयाब।
हमारा कहना है कि ऐसा नहीं कि राम के नाम पर विवादास्पद चीजें कोई नहीं आ रही, देश में तो हिन्दू समाज के खिलाफ अनेकानेक पुस्तकें छप रही और छपवाई जा रही हैं, श्रीरामचरितमानस के खिलाफ ही कई पुस्तकें प्रचलन में हैं, फिर भी न तो राम को और न ही राम को माननेवाले पर इसका कोई फर्क पड़ा, जो राम को जानते हैं, राम को मानते हैं, उन्हें इन घटियास्तर के संवादों से क्या मतलब? भला राम इस प्रकार के घटिया संवादों से प्रभावित होते हैं क्या?
हमारे राम इतने नाजुक है, कि वे सूर्य सिंह बेसरा की बातों से अपवित्र हो जायेंगे, या राम पर श्रद्धा रखनेवाले लोगों के भावनाओं को ठेस पहुंच जायेगी। अरे ये तो नाटक है, बेचारा नाटक करने को तैयार था, उसे कोई मंच नहीं मिला और लीजिये जीटीवी ने उस मंच को तैयार कर दिया, यानी एक ऐसा विषय चर्चा में आ गया, जिस पर चर्चा होनी ही नहीं चाहिए, पर जी बिहार-झारखण्ड को तो जयश्रीराम से ही खुराक मिलती है, तो भला ये खुराक कहीं से मिले।
उसे तो रगड़ना है, टीआरपी लानी है, खुद को सबसे बड़ा भाजपा और रामभक्त बताना है, लीजिये मंच तैयार, जबकि जो लोग राम को जानते है, वे यह भी जानते है कि ऐसे लोगों ने ही सर्वाधिक राम को नुकसान पहुंचाया है, भला यहां राम के नाम पर कोई विरोध क्यों करेगा और किसकी ताकत है कि राम का विरोध कर दें, भला कबीर के राम को कोई चुनौती दे सकता है, ये जी बिहार-झारखण्ड प्रबंधन क्यों नहीं समझता। कबीर ने कहा था –
कस्तूरि कुंडलि बसै, मृग ढूंढ़े वन माहि। ऐसे घटि–घटि राम है, दुनिया देखे नाहि।
अरे जी बिहार-झारखण्ड वालों, पहले भाजपा के राम और कबीर के राम का मतलब तो समझो, फिर पता लग जायेगा कि राम का असली भक्त कौन और विरोधी कौन? उसके बाद तुम्हें, हमें नहीं लगता कि मगजमारी भी करनी पड़ेगी?