नियुक्ति पत्र बांटे जाने को लेकर सीएम के सोशल साइट पर ही युवाओं ने दागे सवाल

‘जनता भाड़ में जाये, युवाओं का हित मिट्टी में मिल जाये, हमें कोई मतलब नहीं, बस हमें लाखों-करोड़ों का विज्ञापन मिल जाये, मेरे परिवार का कहीं अच्छा सेट हो जाये, हम जब तक जिंदा रहे, लाखों-करोड़ों में खेलते रहे, हमें दुनिया के महंगी से महंगी होटलों में सरकार या सरकार के लोग रहने-ठहरने की व्यवस्था कर दें, और हमें क्या चाहिए?  बस सरकार इतनी सी व्यवस्था कर दें, उसके बाद देखिये, अगर हम सरकार के चरणों के नीचे लोटने नहीं लगे तो फिर कहियेगा’ ये सोच हैं रांची से प्रकाशित कुछ अखबारों-चैनलों का।

दरअसल रघुवर सरकार इस बार 12 जनवरी को स्वामी विवेकानन्द जयंती के अवसर पर नियुक्ति पत्र बांटने जा रही है, सरकार का कहना है कि निजी क्षेत्र में 25 हजार युवाओं को नियुक्ति पत्र देने जा रही है, सरकार का ये भी कहना है कि वह इसी के साथ एक इतिहास भी रचने जा रही है, जबकि ये सरकार क्या इतिहास रचने जा रही है, उसके लिए आपको ज्यादा कुछ करने की जरुरत नहीं, आज का दैनिक भास्कर अखबार देख लीजये, सब कुछ क्लियर हो जायेगा कि सरकार और उनके अधिकारी कितना बडा भ्रष्टाचार करने जा रहे हैं।

इधर रांची से प्रकाशित ज्यादातर अखबार व चैनल रघुवर सरकार के आगे साष्टांग प्रणाम करने लगे हैं। खुब सरकार की स्तुति गाई जा रही है, सीएम को डायनेमिक बताने का रिकार्ड भी बनाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि यह नियुक्ति पत्र बांटने का कार्यक्रम विश्व रिकार्ड बनने जा रहा है, कोई कह रहा है कि ऐसा होने पर गिनिज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड या लिम्का बुक में नाम छप जायेगा, पर सच्चाई यह है कि जिन्हें नौकरी मिलेगी या मिलने की बात हो रही है, उन्हें तो तब पता चलेगा जब वे नौकरी करने जायेंगे। सूत्र तो बताते है कि दैनिक भास्कर में संवाददाता विनय चतुर्वेदी की रिपोर्टिंग साफ बता देती है कि इस कौशल विकास योजना में कितना गड़बड़झाला है।

स्वयं सीएम रघुवर दास के इस अभियान की उनके ही सोशल साइटस पर बहुत सारे युवा अंगूली उठा रहे हैं। जैसे देखिये। अभिषेक पुष्कर कहते है कि माननीय मुख्यमंत्री जी आप रोजगार तो दे रहे है वो भी संविदा पर, क्या हम झारखण्ड के युवा स्थायी नौकरी नहीं ले सकते या आप देना नहीं चाहते।

आशा मुर्मू कहती है कि कुछ भी नहीं है, ये आदमी को सबसे ज्यादा नुकसान संबंधी बयान दे रहा है, कुछ दिनों के दौरे पर ले जायेंगे, खिलायेंगे और घर भेज देंगे।

आशीष आनन्द कहते है –साहेब फालतू का एड करना बंद करे तथा यूपी के सीएम से ट्रेनिंग ले आये।

शिवम राय का कहना है कि कौन सा सरकारी नौकरी का नियुक्ति पत्र दे रहे हैं जो इतना ढोल पीट रहे हैं, युवाओं को मूर्ख मत बनाइये। युवाओं को कर रही बेरोजगार, ये हैं असल रघुवर सरकार।

दिनेश कुमार महतो कहते है कि आपने तो अभी तक ढाई लाख नियुक्ति पत्र बांट चुके है, 2.5 लाख नियुक्ति पत्र के सामने 25 हजार छोटा पड़ जाता है, आज तक कोई वेकैंसी का बहाली हुआ है, सब वेकैंसी तो संविदा और प्राइवेट पर है, अब गवर्मेंट कब संविदा पर चलेगी, झारखण्ड गवर्मेंट को भी किसी कंपनी को संविदा पर चलाने की नियुक्ति दे देना चाहिए।

मुकेश कुमार कहते है कि युवाओं को नौकरी के नाम पर ढोल पीट रहे हो और युवा लोग बेचारा अपना राज्य छोड़कर दूसरे राज्य में काम के लिए भटक रहे है, वाह रे तेरी राजनीति।

एल भारती कहते है कि झारखण्ड एक ऐसा राज्य है, जहां नौकरी सरकारी मिलती है, लेकिन 18 महीने काम करके 2554 रुपये देते है, यार लोग घर में कुत्ता भी पालता है तो खाना खाने के लिए कुछ न कुछ देते है, लेकिन रघुवर सरकार की माया अपरम्पार है।

रफेल डेविड का कहना है कि मेरे कई ऐसे मित्र है, जिन्हें मैं जानता हूं, पैसे देकर बुलाये गये है, नियुक्ति पत्र के दिन, और अगर किसी को रोजगार मिल भी रहा तो 6000 सैलरी से ज्यादा मिलनेवाला नहीं।

उपेन कुमार का कहना है कि नियुक्ति पत्र देंगे और काम भी खुब करायेंगे पर पैसे बिल्कुल नहीं देंगे, सबको उल्लू मत बनाइये, सर जी।

भादो हेम्ब्रम का कहना है कि बेवकूफ बनाना बंद करे, फालतू का भाषण बहुत हो चुका, आज तक झारखण्ड के लोगों को कुछ मिला है क्या?

हेमंत त्रेहान ने लिखा है नियुक्ति पत्र आपके रहमोकरम से नहीं, स्टूडेंट की मेहनत पर मिल रहा है, रही बात गवर्मेंट जॉब की तो आप के बस की बात नहीं, 2019 में पता चल जायेगा कि किसके बस में है।

अजीत कुमार ने लिखा कि मैंने सोचा कि मैं भी कुछ भला-बुरा कमेंट बॉक्स में लिख दू पर जब मैंने सब का कमेंट्स पढ़ा तो मुझे आप पर हंसी आती है कि आप ऐसा पोस्ट डालते ही क्यों है?

यानी सीएम के अपने सोशल साइट पर 95 प्रतिशत युवाओं ने इस कार्यक्रम पर अंगुली उठा दी है, फिर भी राज्य के आईएएस अधिकारियों और नेताओं के समूह को देखिये कि कैसे कुटिल मुस्कानों से युवाओं के भविष्य को रौंदते हुए उनके सपनों के साथ कुठाराघात कर रहे हैं?