योगदा संन्यासियों ने रंगोली के माध्यम से सभी को दी दीपावली की शुभकामनाएं, कहा –  ‘मैं आपके शाश्वत प्रकाश में डूबा हुआ हूं’

दुनिया में नाना प्रकार के लोग हैं। कोई गृहस्थ हैं तो कोई संन्यासी। इन गृहस्थों में और संन्यासियों में भी कई प्रकार के लोग हैं। किसी को दूसरों को आनन्द देने में परमानन्द की अनुभूति होती हैं तो किसी को किसी को कष्ट देने में ही ईश्वरीय आनन्द की प्राप्ति हो जाती हैं। कुछ लोग अपनी ऊर्जा दूसरों को सेवा करने में लगाते हैं तो कुछ लोग दुसरों को अपने ठोकरों से मिट्टी में मिलाने में अपना समय व्यर्थ गवां देते हैं।

पर जीवन किसका सफल है? कौन जीवित है? उपनिषद् कहता है कि कीर्तियस्य सः जीवति। जिसकी कीर्ति हैं, वहीं जीवित होता हैं। कीर्ति किसकी हैं, जो सदैव दूसरों को सकारात्मक ऊर्जा से आनन्द देता है। कल दीवाली थी। पूरा देश दिवाली की उत्साह में डूबा था। कोई पटाखें चलाकर दीवाली के आनन्द में डूबा था, कोई मिठाई खाकर, कोई दिये जलाकर, कोई द्युत क्रीड़ा में मग्न होकर दीवाली के रसास्वादन में डूबा था, पर रांची के योगदा सत्संग मठ की बात निराली थी।

योगदा संन्यासियों का दल, अपनी विशेष अंदाज में दीपावली का पर्व मना रहा था। योगदा संन्यासियों ने इस दौरान बहुत ही खुबसुरत रंगोली बनाई। जो यहां चर्चा का विषय रहा। इस रंगोली में विभिन्न रंगों का प्रयोग किया गया था। जिसमें अंग्रेजी में लिखा था “I am submerged in Thine eternal light” जिसका हिन्दी में अर्थ होता हैं – मैं आपके शाश्वत प्रकाश में डूबा हुआ हूं।

आखिर ये शाश्वत प्रकाश हैं क्या? इसके बारे में योगदा सत्संग मठ के संन्यासियों का दल हमेशा से अपने योगदा भक्तों को बताते रहे हैं। जो योगदा मठ से जुड़े हैं, उनके लिए ये शाश्वत प्रकाश क्या हैं, ये न तो बताने की जरुरत हैं और न ही उन्हें समझाने की। पर जो लोग इस शाश्वत प्रकाश को जानना चाहते हैं, उनके लिए योगदा सत्संग मठ का रुख करना ही पड़ेगा, क्योंकि बिना योगदा सत्संग मठ पहुंचे न तो ये शाश्वत प्रकाश के गूढ़ रहस्य को समझ पायेंगे और न ही वहां तक पहुंचने का मार्ग जान पायेंगे।

हालांकि इस रंगोली के माध्यम से संन्यासियों ने बहुत ही सुंदर ढंग  से बता दिया है कि कौन शाश्वत प्रकाश में डूबा हुआ हैं, अगर आप ध्यान से पढ़ेंगे तो आप भी स्वयं को इन शब्दों में अनुप्राणित पायेंगे। मतलब संन्यासियों ने साफ कह दिया कि संसार का हर व्यक्ति उस शाश्वत प्रकाश के अधीन हैं और उस शाश्वत प्रकाश में डूबा हुआ हैं। बस उसने उसे जानने की कोशिश नहीं की हैं, अगर जानने की कोशिश करता तो वह उस प्रकाश को समझ, स्वयं को धन्य कर लेता। योगदा संन्यासियों ने इस रंगोली के माध्यम से सभी को अपनी ओर से दीपावली की शुभकामनाएं भी दी, तथा शाश्वत प्रकाश की ओर लौटने का संदेश भी दिया।