अपराध

रांची SDO के खिलाफ HC में अभय करेंगे रिट याचिका दायर

श्रीरामकृष्ण सेवा संघ के सचिव एवं विवेकानन्द विदया मंदिर धुर्वा रांची के प्रबंधक अभय कुमार मिश्र ने रांची की अनुमंडलाधिकारी पर आरोप लगाया है कि रांची की अनुंमडलाधिकारी अंजलि यादव ने सुरक्षा दिलाने के नाम पर उनके विरोधियों का चुनाव संपन्न करवाया, जबकि श्रीरामकृष्ण सेवा संघ का चुनाव 28 जनवरी 2018 को विधिवत् रुप से संपन्न हो गया, उसकी सूचना भी आईजी रजिस्ट्रेशन सोसाइटी रजिस्ट्रार को 31 जनवरी को दे दी गई, ऐसे में बिना सचिव से पूछे कि क्या जिसने आवेदन चुनाव कराने का दिया है, वो उसकी शक्ति रखता है या नहीं? दंडाधिकारी नियुक्त कर सुरक्षा प्रदान करने के नाम पर अवैध रुप से जबरन चुनाव करा दी।

अभय कुमार मिश्र ने कहा कि अगर उनके विरोधी 28 जनवरी को संपन्न चुनाव से संतुष्ट नहीं थे, तो वे लोग व्यवहार न्यायालय में टाइटल सूट फाइल दाखिल कर सकते थे और टाइटल सूट में निबटारा के बाद उक्त चुनाव वैध है या नहीं, इसका निर्णय हो जाता, मगर इनलोगों ने प्रशासन के सहयोग से विद्यालय को कब्जा करने के लिए इस तरह का सहयोग प्रशासन से लिया, जिसे सही नहीं ठहराया जा सकता, जबकि आलोक कुमार सिन्हा सन् 2009 में मुकदमा संख्या 55/2009 थाना जगरनाथपुर में सूचक थे और 2009 में अध्यक्ष थे, कोषाध्यक्ष और अध्यक्ष ने मिलकर सचिव को जेल भिजवा दिया और 40 लाख का संस्था को चूना भी लगा दिया, केस को इन्होंने बिना सहमति के उठा भी लिया, आलोक कुमार सिन्हा मुकदमा संख्या 298/2017 जगरनाथपुर थाना के अभियुक्त भी है, दिनांक 27.01.2018 को माननीय न्यायायुक्त ने यह भी माना है कि आलोक कुमार सिन्हा और अन्य अभियुक्तों ने घोटाला किया है, तो आदेशित किया कि 01 जनवरी 1992 से 01 दिसम्बर 2017 तक की अंकेक्षण हो, अंकेक्षक भी नियुक्त किया और अंकेक्षण के बाद सभी अभियुक्तों को जितना पैसा भी गबन हुआ है, उसे लौटाना पड़ेगा, उक्त आदेश से बचने के लिए इनलोगों ने प्रशासन की सहायता ली और 04.02.2018 को अवैध रुप से चुनाव और आमसभा कराया।

अभय कुमार मिश्र ने कहा कि इतना ही नहीं, इनलोगों ने एक नया रजिस्टर प्रोसिंडिग खोला जो कि जालसाजी है, इन्होंने एक नया लेटर पैड भी छाप लिया जो कि जालसाजी है, क्योंकि लेटर और प्रोसिंडिग रजिस्टर, सचिव के पास होता है, जिसकी मांग न तो दंडाधिकारी ने किया और न ही चुनाव करानेवाले आलोक कुमार सिन्हा ने, इसके साथ ही इनलोगों ने सादे कागज पर चुनाव करवा लिया तथा जालसाजी पूर्वक एक लेटर पैड भी बनवा लिया, जो सरासर जालसाजी है, इतना ही नहीं सुकृत भट्टाचार्यी जिनको अध्यक्ष बनाया गया है, वे मुकदमा संख्या 294/17 जगरनाथपुर थाना के अभियुक्त है, तथा कोषाध्यक्ष तन्मय मुखर्जी को बनाया गया है, वे भी इसी केस में अभियुक्त है।

अभय कुमार मिश्र ने बताया कि कुल मिलाकर अभियुक्तों को मदद करने के लिए दंडाधिकारी की नियुक्ति हुई, उन्होंने कहा कि उन्होंने मुकदमा 03.09.2017 को किया है और अभी तक उक्त मामले की जांच भी नहीं हुई है, इससे ये पता चलता है कि पुलिस प्रशासन सभी एक तरफ से मिले हुए हैं और विद्यालय को कब्जा करने में अभियुक्तों की मदद कर रहे हैं, पुलिस ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की हैं, चार बार डायरी मांगने के बावजूद न्यायायुक्त को नहीं भेजा गया है, जबकि न्यायायुक्त ने बहस के दौरान मान लिया कि एक बड़ा घोटाला हुआ है, तभी जांच का आदेश दिया। इतना होने के बावजूद बिना पूछे चुनाव कराने का आदेश निर्गत किया जाता है, इस प्रकार तो वहीं बात हुई कि अमेरिका का चुनाव, भारत ने घोषित कर दिया, इस प्रकार से कोई भी व्यक्ति अगर दंडाधिकारी के पास जाता है कि मैं नगरपालिका चुनाव कराना चाहता हूं, तो बिना कानून को देखे हुए सुरक्षा के नाम पर दंडाधिकारी की नियुक्ति कर दी जायेगी। ये बिल्कुल ही अपनी शक्ति का दुरुपयोग है, इस प्रकार का चुनाव न तो उन्होंने कभी देखा और न कभी सुना। कौन लोग आये? कौन नहीं आये? उसकी पुष्टि सचिव करता है? कितने सदस्य चुनाव में भाग लेने योग्य है या नहीं है? पैसा बाकी है या नहीं है? मगर यहां पर सदस्यों की वैधता की जांच दंडाधिकारी ने कर दिया। जबकि उनके पास किसी भी प्रकार की सूची नहीं है और न किसी प्रकार का कागजात है, 20 लोगों को बस में भरकर विद्यालय लाते हैं, स्कॉट करके पांच पुलिस की गाड़ियों से लाते हैं और बाहर निकलकर बोलते है 64 आदमी थे, मुश्किल से पांच से सात मिनट रहते हैं और चुनाव होने की घोषणा 4 बजे करते है। ये विद्यालय हड़पने का बहुत बड़ा षडयंत्र हैं। उन्होंने खून पसीना बहाकर विदयालय को चौथे नंबर पर लाया, जो पहले 25 वें स्थान पर था, इस षडयंत्र के खिलाफ वे न्यायालय का दरवाजा खटखटायेंगे।

अभय कुमार मिश्र ने कहा कि जब उन्होंने 2015 में चार्ज लिया, उस वक्त यह विद्यालय रांची में पन्द्रहवे स्थान पर था, आज चौथे स्थान पर है, उन्होंने कई सुधार किये, स्कूल को बेहतर बनाने के लिए कई स्टेप लिये। पूरे विद्यालय में कैशलैस ट्रांजेक्शन की व्यवस्था कर दी, जिससे सारे विद्रोही और अन्य उन्हें हटाने के लिए प्रयासरत हो गये। आज पूरे शहर में विवेकानन्द विद्या मंदिर एकलौता विद्यालय हैं, जो शत प्रतिशत कैशलेस पर चलता है। पूरे शहर में एकलौता विद्यालय है, जहा सिर्फ एनसीईआरटी की पुस्तक चलती है, जिस कारण उनके खिलाफ पुस्तक माफिया पड़ गये, चूंकि अन्य विद्यालयों की तरह पुस्तकों से चलनेवाली अवैध कमाई यहां बंद हो गई। जिस विद्यालय में दो बस नहीं था, वहां आज 14 बसें चल रही है, वह भी मात्र दो सालों में। जिस विद्यालय में शिक्षकों को ग्रैच्यूटी की सुविधा नहीं था, वहां ग्रैच्यूटी की सुविधा दिलवाई गई। पूरे शहर का एकलौता विद्यालय है जहां पर 115 सीसीटीवी कैमरा लगा है, पूरे शहर का एकलौता विद्यालय है, जहां पर बच्चों के उपस्थिति दर्ज कराने के लिए बायोमिट्रीक लगा है, जहां विद्यालय के बसों में सीसीटीवी कैमरा और जीपीएस लगा है। इस विद्यालय के विकास को देखकर कई लोग उनके पीछे पड़ गये, जिसका नतीजा सामने है।

अभय कुमार मिश्र ने कहा कि इसके बावजूद जो लोग ये ख्वाब देख रहे है कि वे विद्यालय पर अवैध रुप से कब्जा कर लेंगे, वे मुगालते में हैं, हम कानून का दरवाजा खटखटायेंगे और उन्हें पूरा विश्वास है कि कानून उनका साथ देगा। फिलहाल वे उच्च न्यायालय में रांची की एसडीओ के खिलाफ रिट याचिका दायर करने जा रहे है, साथ ही पुलिस पदाधिकारियों के खिलाफ भी कल रिट याचिका दायर करेंगे, कि अभियुक्तों को इतने दिनों से क्यों मदद किया जा रहा है?

अभय कुमार मिश्र ने कहा कि आश्चर्य इस बात की है कि कल उनके विदयालय में झारखण्ड कर्मचारी चयन आयोग का परीक्षा केन्द्र था। परीक्षा केन्द्र होने के कारण, वहां किसी भी प्रकार की अन्य कार्यवाही या आम सभा नहीं किया जा सकता था। आश्चर्य यह भी है कि परीक्षा सही से संचालन हो, इसके लिए उपायुक्त के आदेश से एक दंडाधिकारी परीक्षा संचालन के लिए नियुक्त हुआ तथा दुसरी ओर एसडीओ के द्वारा दुसरा दंडाधिकारी परीक्षा केन्द्र में आम सभा चुनाव कराने के लिए नियुक्त हुआ, जिस कारण परीक्षा को सही ढंग से संचालन करने में कठिनाइयां भी आई। इससे साफ पता चल रहा है कि राज्य में शासन कौन और कैसे लोगों के हाथों में हैं।