वाह री राजदुलारी झारखण्ड पुलिस, तुम्हे महाराष्ट्र के लोगों का नाम-पता मालूम है और झारखण्ड के उन तीनों विधायकों के नाम बताने में नानी मर रही है

झारखण्ड सरकार को गिराने की योजना को लेकर पूरे झारखण्ड में बवाल है। इसमें सबसे ज्यादा बवाल झारखण्ड सरकार की राजदुलारी झारखण्ड पुलिस कर रही है। जिसको लेकर पूरा विपक्ष ही बवाल काट रहा है। बवाल तो वे भी काट रहे हैं, जिनके उपर इसकी गाज छिटकर कर गिर रही है, कुछ पोर्टलवालें पुलिस की मदद करने को जी-जान से लगे हैं।

वे पुरानी जहां-तहां की फोटो निकाल कर एक्सक्लूसिव कहकर चेप दे रहे हैं, जबकि सच्चाई यह है कि रेमडेसिविर कांड का अभियुक्त जो जेल में बंद हैं, उसकी फोटो अगर निकाल कर सभी के सामने रख दिया जाय, तो वे भी नंगे हो जायेंगे, और फोटो दिखाकर ये कहनेवाले कि फलां संदिग्ध हैं तो उसे यह भी मालूम होना चाहिए कि उसे भी संदिग्ध होते देर नहीं लगेगी।

क्योंकि पुलिस की जो करतूत रही हैं, वो बहुत ही भयानक व दर्दनाक है, जिस पर उसकी गाज गिर रही हैं, सिर्फ वो ही जानता है। जैसे जाकर किसी को पूछना हैं तो रुपा तिर्की के परिवार से पूछे, जिसने अपनी बेटी भी खोई और फिर उसे फंसाने का षडयंत्र भी चल रहा है। ताजा मामला तो इसी सरकार के गिराने से जुड़ा है, पुलिस दो युवकों को बोकारो से पकड़ती हैं और फिर उसे रांची के होटल ली-लैक से पकड़ा हुआ दिखाती है। ऐसे में सूटकेस से भरा हुआ नोट या स्वीकारोक्ति बयान बनवा लेना तथा उस पर हस्ताक्षर करवा लेना, झारखण्ड पुलिस के लिए कौन सी बड़ी बात है?

जहां रिपोर्ट है कि जिस आईटी की धारा 66 ए को सर्वोच्च न्यायालय ने समाप्त कर दिया, उसी 66ए की धारा को यही की झारखण्ड पुलिस कैसे लागू कर, लोगों को जेल में डालने की योजना बना रही हैं, सबूत देखना है तो कोई मेरे पास आये, कि कैसे तत्कालीन रांची के एसएसपी कुलदीप द्विवेदी ने एक पत्रकार को इस कांड में उलझाये रखा और उसी के काल में यह केस ट्रू भी करार दे दिया गया, क्या ये शर्म की बात नहीं?

ये अलग बात है कि मामला कोर्ट में हैं, आज न कल फैसला आ ही जायेगा, पर ये सारी करतूते क्या कह रही है? जरा झारखण्ड पुलिस में कार्यरत भ्रष्ट राजदूलारे पुलिस का समूह हमारे इन्ही सवालों का जवाब दे दे न, तो हम समझ जाये कि झारखण्ड पुलिस कितनी ईमानदार है। वो मोबाइल में नारा-गाना देकर, वो क्या गाना है – सेवा हैं संकल्प हमारा, सेवा ही तो हैं, बोल देने से थोड़े ही हो जायेगा।

झारखण्ड पुलिस का पहला और अंतिम संकल्प होता है, बेकसूरों को फंसाना, उनकी जिंदगी से खेलना, ईमानदार व्यक्ति को टहलाना, गुंडों-ब्लैकमेलरों की शान में सर्वस्व लूटाना, और इस कांड में भी यही हो रहा है। कमाल है कि पुलिस को महाराष्ट्र के लोगों का नाम पता है, उनके एड्रेस तक की जानकारी हो गयी, पर झारखण्ड का कौन सा विधायक बिकने को तैयार था, ये पता ही नहीं, बड़ा अच्छा बहाना बनाया है, बहाना है –जांच हो रही हैं।

जांच कब तक होगी? तो देखिये कब तक चलती है। ऐसे पुलिस पर कोई विश्वास रखता है तो वो निरा मूर्ख है। इस पुलिस की हिम्मत नहीं, कि बड़े लोगों को पकड़कर अंदर कर दें, ये तो ठेलावाला, फलवाला, मिठाईवाला, गरीब-गुरबों को रात के अंधेरे में पकड़ेगी और बोकारो से पकड़कर रांची में पकड़ा हुआ दिखला देगी। वाह रे राजदुलारों, कहां से इतना बुद्धि लाते हो?

  • दिनांक 22 जुलाई को अभिषेक दूबे का स्वीकारोक्ति बयान प्रशिक्षु अवर निरीक्षक द्वारा लिया गया है, क्या इतनी बड़ी थाने में, इतने बड़े कांड में जहां राजद्रोह की धारा लग रही हैं, उसके स्वीकारोक्ति बयान को लेने के लिए थाने में कोई बड़ा अधिकारी या इस राज्य में कोई बड़ा अधिकारी नहीं था?
  • कमाल है फ्लाइट टिकट का पीएनआर नंबर पता है, और उस फ्लाइट से जो तीन विधायक गये हैं, उनका नाम पीएनआर बताने वालों को याद नहीं हैं, इसका मतलब है कि झारखण्ड पुलिस उक्त तीनों विधायकों को बचाने का काम कर रही हैं, या पूरा मुकदमा ही झूठा है।
  • इस टिकट को महाराष्ट्र के जयकुमार बेलखेड़े उर्फ बालकुंडे द्वारा उपलब्ध कराया गया यह पता है, लेकिन उन विधायको को नाम बतानेवालों को पता नहीं है, जिसके लिए ये योजना बना रहे थे, भाई वाह?
  • दिल्ली एयरपोर्ट से इनोवा द्वारा तीनों विधायकों के साथ होटल विवान्ता द्वारका जाने की बात कही गई है, लेकिन उन तीनों विधायकों के नाम पता नहीं है?
  • होटल से विधायक चंद्रशेखर राव बावनकुले और चरण सिंह, जय कुमार झारखण्ड के तीनों विधायक के साथ बड़े नेताओं की मिलने की बात है, महाराष्ट्र के नेताओ के नाम और उनके पते तक बतानेवालों के पता है, पर झारखण्ड के तीनों विधायकों के नाम पता नही हैं। भाई वाह?
  • झारखण्ड के तीनों विधायकों को एक करोड़ देने की जानकारी दी गई है, लेकिन उनका नाम-पता नहीं बताया गया है?
  • जय कुमार बेलखेड़े के दिनांक 21 जुलाई को रांची आकर होटल ली-लैक में रुकने एवं उनके साथ मोहित भारतीय, आशुतोष ठक्कर, अमित कुमार यादव के रहने की जानकारी है, परन्तु आश्चर्य है कि स्थानीय तीनो विधायको के नाम की जानकारी नहीं है।
  • पीसी एक्ट का कानून पब्लिक सर्वेन्ट पर लगाया जाता है, स्थानीय तीनों विधायकों के नाम का खुलासाकर इन तीनों पर पीसी एक्ट क्यों नहीं लगाया गया?
  • बताया जाता है कि छापामारी के बाद महाराष्ट्र मुंबई से आए सभी लोग भाग गए आखिर वे लोग कहां भाग गए। पुलिस ने एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन को ब्लॉक क्यों नहीं किया।
  • बृहस्पतिवार की रात को ही निवारण महतो और अमित सिंह को बोकारो सिटी थाना प्रभारी और बोकारो सिटी डीएसपी पकड़ कर थाना लाए थे फिर रांची पुलिस ने इन दोनों को रांची से गिरफ्तार करना कैसे दिखाया?