किशोरगंज के पंडाल में लगी आग के लिए जिम्मेवार कौन पूजा समिति या स्थानीय प्रशासन?

आखिर वही हुआ, जिसकी आशंका थी, किशोरगंज स्थित प्रगति प्रतीक क्लब के पंडाल में आज प्रातः जबर्दस्त तरीके से आग लग गई, जिससे पूरा पंडाल ही धू-धू कर जल उठा और कुछ ही मिनटों में पूरा पंडाल जलकर राख हो गया। आश्चर्य है कि जब पंडाल में आग लगी तब अग्निशामालय को इसकी सूचना बहुत देर से मिली, जिसके कारण अग्निशमन दल जब तक पहुंचे, तब तक पंडाल अग्नि की ज्वाला में अपना अस्तित्व खो चुका था।

बताया जाता है कि जब पंडाल में आग लगी, तब पूजा समिति के लोगों को इसकी सूचना शीघ्र अग्निशमन कार्यालय को देनी चाहिए, पर किशोरगंज के पूजा समितियों के लोगों ने इसकी सूचना पहले स्थानीय थाने को दी, थाने ने पुलिस कंट्रोल रुम को दी और पुलिस कंट्रोल रुम ने इसके बाद अग्निशामालय केन्द्र आड्रे हाउस को इसकी सूचना दी और इसी सूचना को भाया – माध्यम से पहुंचाने के चक्कर में इतना देर हो गया कि पूरा पंडाल ही जलकर राख हो गया।

हम आपको बता दे कि इसी पंडाल में दो दिन पूर्व भी अग्निकांड हुआ था, फिर भी लोगों ने इसको सीरियसली नहीं लिया। बताया जाता है कि पंडाल धू- धू कर जलना ही था, क्योंकि जहां पंडाल बना था, वहां अग्निशामालय की बड़ी गाड़ी पहुंच ही नहीं सकती थी, इसलिए छोटी गाड़ी को यहां इस्तेमाल करने के अलावा दूसरा कोई विकल्प ही नहीं था, अग्निशामालय के अधिकारी ने बताया कि जब दो दिन पहले यहां आग लगी थी तो पूजा समिति के आयोजकों को बताया गया था कि आपके यहां पंडाल में विद्युत तार को सहीं ढंग से नहीं लगाया गया है, जिस जूट से पंडाल बनाया गया है, उसमें आग पकड़ने की संभावना बलवती है, इसलिए कृपया इस ओर ध्यान दें, पर किसी ने अग्निशमन अधिकारियों/कर्मचारियों की सुनी ही नहीं। हो सकता है कि विद्युत तार में सही ढंग से विद्युत प्रवाहित नहीं होने के कारण, शार्ट सर्किट से यहां फिर से आग लगी हो।

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, जब अग्नि पर काबू पाने के लिए अग्निशमनकर्मियों का दल वहां पहुंचा, तब वहां कुछ लोगों ने उनके साथ अभद्रता से पेश आने की कोशिश की, जिसे वहां उपस्थित सभ्य व्यक्तियों ने ऐसा करने से रोका। अग्निशमन विभाग की बात मानें तो इस पंडाल में लगी आग के लिए कोई जिम्मेवार हैं तो वे आयोजक है, जिन्होंने पंडाल निर्माण में अग्निरोधी वस्तुओं का इस्तेमाल नहीं किया और न ही अग्निशमन विभाग द्वारा दिये गये सुरक्षा मानकों पर ध्यान दिया।

दूसरी ओर बुद्धिजीवियों की माने तो इस अग्निकांड के लिए अगर कोई जिम्मेवार है, तो यहां का प्रशासन है, उसे इस अग्निकांड के लिए जिम्मेवारी लेनी चाहिए। बुद्धिजीवियों का कहना है कि जब सुरक्षा मानकों को पंडाल निर्माताओं द्वारा नजरंदाज किया गया, तो उन्हें पंडाल में पूजा के आयोजन करने की अनुमति कैसे दे दी गई, ये तो खैर कहिये कि पंडाल में ही आग लगा और आग बुझ गई, पर इस आग के कारण, अन्य़ इससे सटे इलाके व घर प्रभावित होते तो इसके लिए कौन जिम्मेवार होता, बिना एनओसी के, वे कौन लोग है, जो इस प्रकार की पूजा आयोजन समितियों का मनोबल बढ़ाते हैं तथा ऐसे पंडालों में नेताओं का समूह जाकर पंडाल का उद्घाटन करता है, तथा उन नेताओं के पीछे-पीछे सुरक्षा के लिए पूरा पुलिस महकमा लगा रहता हैं।

क्या ये सही नहीं है कि सुरक्षा मानकों और बिना एनओसी के पूरे रांची में पंडालों का निर्माण हुआ और एक पंडाल में तो बजाप्ता मुख्यमंत्री रघुवर दास ने जाकर, उस पंडाल का उद्घाटन किया, ऐसे में आप कैसे कह सकते है कि यहां कानून का शासन है, या सुरक्षा मानकों को जमीन पर उतारने के लिए प्रशासन कटिबद्ध है, कल तो बकरी बाजार में जिस प्रकार से अराजकता की स्थिति विद्रोही 24.कॉम ने देखा, उसमें तो भगदड़ मचनी तय थी, और लोगों की जाने तक जा सकती थी, पर यह ईश्वरीय कृपा कहिये कि कुछ नही हुआ।

आज भी पूरी रांची में जितने भी पंडाल हैं, वे बिना एनओसी के बने हैं, जहां सुरक्षा मानको को ताखे पर रखकर पूजा समितियां, दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर, अपना वाह-वाही लूट रही है। जरा सोचिये, ऐसे में फिलहाल जिस प्रकार की घटनाएं घट रही है, पंडाल में आग लगा और एक बहुत बड़ी घटना होने से बच गई, अगर यहीं घटना बड़ा रुप धारण कर लेता तो क्या स्थानीय जिला प्रशासन, यहां की जनता की नजरों में आंखों से आंखे मिलाकर बात करने की स्थिति में होता। जिला प्रशासन को इसका जवाब तो जनता को देना ही चाहिए।