अपराध

नकाब उतार दिये राजा पीटर के चेहरे से एनआइए की टीम ने, रमेश सिंह मुंडा के गुनहगार पकड़े गये

और जनाब के चेहरे से जब नकाब उतरे, तब उनका चेहरा देखनेलायक था। जनाब जो ज्यादा मुस्कुराते नजर आते थे, आज उनके चेहरे से हंसी गायब थी। वे तो समझते थे कि वे बहुत बड़े खिलाड़ी है, उन्होंने झामुमो सुप्रीमो, तत्कालीन मुख्यमंत्री शिबू सोरेन को तमाड़ विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से हराया था, उन्होंने रमेश सिंह को अपने रास्ते से सदा के लिए हटवा दिया, भला उनका कोई क्या बिगाड़ सकता है। वे तो सबसे बड़े खिलाड़ी है, ऐसे खिलाड़ी जिसका कोई बाल बांका नहीं कर सकता, पर कहा जाता है न दुनिया का सबसे बड़ा खिलाड़ी, उपर बैठा है, जो सबको समय आने पर औकात बता देता है। लीजिये गोपाल कृष्ण पातर उर्फ राजा पीटर की भी औकात का बांट उसने लगा दिया।

उपर बैठे उस खिलाड़ी ने ऐसी व्यवस्था कर दी कि बस कुछ महीने में ही एनआइए ने उन्हें अपने गिरफ्त में ले लिया। उन्हें और उनके चाहनेवाले तथा उनकी जय-जयकार करनेवाले, संग-संग सेल्फी लेनेवाले, उनके साथ फोटो खिंचाकर शीशे में मढ़वाकर अपनी शान बघारनेवाले की बकैती बंद हो गयी। लोग जल्दी-जल्दी उनके साथ खिंचाये फोटो पर पर्दा डाल रहे हैं, हटा रहे हैं, हो भी क्यों नहीं, कहीं एनआइए वाले उनके पास न आ धमके, सभी अपना-अपनी गिरेबान बचाने में लग गये।

झारखण्ड पर ऐसा दाग इस जनाब ने लगाये, कि ये दाग कभी धुलनेवाला नहीं। क्या अपनी महत्वाकांक्षा को प्राप्त करने के लिए कोई इतना गिर सकता है, ये किसी ने सोचा नहीं था, पर जो समाचार आ रहे हैं, उससे लोग हतप्रभ है, कि लोग अपनी महत्वाकांक्षा को प्राप्त करने के लिए कितने गिर चुके है?  एनआइए की पूछताछ में जेल में बंद माओवादी कुंदन पाहन और राममोहन मुंडा के बयान ने बहुत कुछ स्थिति स्पष्ट कर दी है।

जो समाचार आ रहे हैं, उस समाचार में स्पष्ट है कि तमाड़ से जदयू विधायक रमेश सिंह मुंडा की हत्या करने के लिए पूर्व मंत्री गोपाल कृष्ण पातर उर्फ राजा पीटर ने माओवादी पोलित ब्यूरो को पांच करोड़ रुपये की सुपारी दी थी। पोलित ब्यूरो के निर्देश के बाद ही हार्डकोर नक्सली कुंदन पाहन के दस्ते ने 9 जुलाई 2008 को तमाड़ के स्कूल में आयोजित कार्यक्रम में रमेश सिंह मुंडा की हत्या कर दी थी।

सूत्र बताते है कि अपने क्षेत्र में सर्वाधिक लोकप्रिय रमेश सिंह मुंडा को हराना इतना आसान नहीं था, और इसी राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता में रमेश सिंह मुंडा की हत्या करवा दी गयी। अब सवाल उठता है कि क्या कोई भी राजनीतिक प्रतिद्वंदी इस प्रकार का अब अनैतिक कार्य करेगा? क्या इस अनैतिक कार्य से समाज या देश का भला होगा?  

एक सवाल और लोगों को बार-बार साल रहा है कि रमेश सिंह मुंडा की हत्या कराने के लिए नक्सलियों से राजा पीटर ने पांच करोड़ का डील किया, पर ये पांच करोड़ रुपये राजा पीटर के पास आये कहां से?  किसने उसे इतनी बड़ी राशि उपलब्ध कराई?  हमें लगता है कि एनआइए को इस पर भी जांच करनी चाहिए तथा जनता के समक्ष उस गुनहगार को भी सामने रखना चाहिए, आखिर वह सफेदपोश कौन है, जो किसी की हत्या कराने के लिए इतनी बड़ी धन राशि उपलब्ध करा देता है?  आखिर इतनी बड़ी धन राशि उपलब्ध कराने के पीछे उसकी मंशा क्या थी?