राजनीति

जो चाल मिशनरियों ने नागालैंड-मेघालय में चली, उस चाल को झारखण्ड में हम कामयाब नहीं होने देंगेः जगन्नाथ शाही

विश्व हिन्दू परिषद् के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जगन्नाथ शाही ने रांची में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि जैसे मिशनरियों ने “आदिवासी हिन्दू नहीं है” कह-कहकर नागालैंड व मेघालय को शत प्रतिशत ईसाई में कन्वर्ट करा लिया और अरुणाचल प्रदेश भी उसी तर्ज पर बढ़ रहा है, उनको वे बता देना चाहते है कि झारखण्ड को वैसा नहीं होंने देंगे, क्योंकि यह भूमि भगवान बिरसा मुंडा की भूमि है, ऐसे महान आदिवासी महामनाओं की भूमि हैं, जिन्होंने अपने रक्त से हिन्दू समाज व इस भूमि को सींचा है।

उन्होंने कहा कि वे इस खबर को पढ़कर बहुत ही आहत है कि जिन्होंने संपूर्ण जिंदगी भारत के भवितव्य को लिखने के लिए समर्पित कर दिया, जो हमारे जनप्रतिनिधि के रुप में लोकसभा में विद्यमान थे, जिन्होंने हाल-हाल तक संसद में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, उस महान व्यक्तित्व जिनको हम करिया मुंडा के नाम से जानते है, उनका अभिनन्दन तो दूर, उनके पुतले को फूंकने का जघन्य कृत्य मिशनरी के लोगों ने किया।

उन्होंने कहा कि हम इन मिशनरियों से अच्छे कृत्य की उम्मीद भी नहीं करते, लेकिन ये इस हद तक गिर जायेंगे, इसकी उम्मीद उन्हें नहीं थी। उन्होंने कहा कि ये तो अच्छा हुआ कि स्थानीय लोगों ने उनका साथ नहीं दिया, ये अलग-थलग पड़ गये, लेकिन जो कुत्सित मस्तिष्क से भरी हुई योजना को लेकर चलनेवाले जो गुर्गे होते हैं, उन्हें विवेक कहा होता है, वे कभी भी इससे शिक्षा ग्रहण नहीं करेंगे कि खूंटी के साधारण परिवार में जन्म लेकर करिया मुंडा ने देश को क्या दिया।

लोयला स्कूल से कुछ शिक्षिकाओं और बालाओं को लेकर ये आये थे और उनके द्वारा पुतला फूंकवाने का काम करा रहे थे। आश्चर्य यह होता है कि तमाम हिन्दू समाज के लोग इस दृश्य को देख स्तब्ध है, वे बोल नहीं रहे हैं, पर विश्व हिन्दू परिषद् की ओर से जनता-जनार्दन इन दृश्यों को देख आहत भी हैं और क्रोधित भी। उन्होंने कहा कि समाज में जिनकी प्रतिष्ठा है, जिनकी बोलने की कीमत है, ऐसे विभिन्न दलों में बैठे लोग, जिन्होंने हिन्दू समाज को बांटकर दल-दल बना दिया है, वे खामोश है। पर याद रखें…

समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याध,

जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनके भी अपराध।

जो आज चुपचाप बैठें हैं, आनेवाले समय में इतिहास उनका भी मूल्याकंण करेगा। उन्होंने कहा कि जो मिशनरियां सोच रही है कि जो नार्थ-ईस्ट में उन्होंने धंधा चलाया था और उस धंधे को यहां भी वे चला लेंगे, ऐसा यहां का आदिवासी समाज चलने नहीं देगा। प्रबुद्ध समाज चलने नहीं देगा।

उन्होंने कहा कि सात-समंदर पार से जो आयातित धर्म है, मजहब है, संस्कृति है, उन मिशनरियों को हम यहां हावी नहीं होने देंगे। ये उनके लिए चेतावनी है। वे बच्चों को पढ़ाएं पर उनके नाम पर कुटनीति व राजनीति प्रयोग नहीं करें। उन्होंने हिन्दू समाज को आह्वान किया कि ये संकट की घड़ी है, इन मिशनरियों के खिलाफ एकुजट हो। मिशनरियों की चाल को समझें। वे राष्ट्र और समाज को तोड़ने की मिशनरी चाल है, इसे सफल नहीं होने दें।