अपनी बात

वाह री सरकार, 210 डिग्री पर ट्रेन चला दी और जब तापमान 50-60 डिग्री हुआ, तो 52 ट्रेनें बंद करा दी

वाह रे बीसीसीएल, एक तो रियल टाइमिंग मॉनिटरिंग सिस्टम को एक साल से खुद ही ठप रखा है, न तो उसकी मरम्मति कराता है और न ही किसी के द्वारा मरम्मति होने देता है, बस रियल मॉनिटरिंग सिस्टम के एक पार्टस की चोरी हुई सामग्री की धनबाद के लोयाबाद थाने में प्राथमिकी दर्ज करा दी और अपना काम पूरा हुआ मान लिया, सवाल तो यह भी उठता है कि जब रियल टाइमिंग मॉनिटरिंग सिस्टम एक साल से ठप है, तो किस सिस्टम के आधार पर बीसीसीएल को पता चल गया कि धनबाद-चन्द्रपुरा लाइन में रेल सेवा नहीं चालू रखा जा सकता, आखिर बीसीसीएल को तो बताना चाहिए कि आखिर ये झूठ बोलने की कला उसने कहां से सीखी।

इस रियल टाइमिंग मॉनिटरिंग सिस्टम की खासियत यह थी कि यह भूगर्भ अग्नि के कारण होनेवाली कोई भी हलचल या भूमि-कम्पन की सूचना ग्राफ के माध्यम से सेन्द्रा बांसजोड़ा कोलियरी प्रबंधक एवं बांसजोड़ा रेलवे स्टेशन को देने में सक्षम थी। जमीन के भीतर कोई भी हलचल होने से उपरि सतह पर हूटर बजने लगता था, जिससे लोग सतर्क हो जाये तथा एहतियात बरतते। आज से ठीक एक साल पहले इसी दिन 22 दिसम्बर 2017 को उपरोक्त मशीन के कुछ पार्टस चोरी चले गये, चोरी गये पार्टस की कीमत मात्र 14 हजार रुपये थी, वह पार्टस के चोरी हुए एक वर्ष हो गये, 14 हजार रुपये के अभाव में यह मशीन आज भी ठप पड़ी है, जिसका लाभ न तो सेन्द्रा बांसजोड़ा कोलियरी और न ही बांसजोड़ा रेलवे स्टेशन उठा पा रहा है।

आश्चर्य है कि मशीन के अभाव में बीसीसीएल प्रबंधन सटीक जानकारी के अभाव में सिर्फ अनुमान के आधार पर कोई भी निर्णय ले, ले रही है, जिसका खामियाजा इस इलाके के लोगों को उठाना पड़ रहा है, सिर्फ अनुमान के आधार पर ही कि चूंकि नीचे आग है, इस इलाके में 26 जोड़ी ट्रेने बंद कर दी गई, जिससे लाखों लोगों का रोजगार तो ठप हुआ ही, आवागमन ठप हो जाने से सामान्य लोगों का जीना दूभर हो गया, जो कतरास से धनबाद दस रुपये में ट्रेन से पहुंच जाया करते थे, आज उन्हें पच्चीस रुपये खर्च करने पड रहे हैं।

वरिष्ठ समाजसेवी विजय कुमार झा के शब्दों में केवल अनुमान के आधार पर बीसीसीएल कोई निर्णय कैसे ले सकती है, अनुमान तो गलत या सही दोनो हो सकता है, पर जब रियल टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम लगा हो, और उसके पार्टस की चोरी हो जाने के कारण वह एक साल से ठप पड़ा हो, तब ऐसे में बीसीसीएल प्रबंधन बताएं कि उसने किस वैज्ञानिक आधार पर इस इलाके में रेल सेवा ठप करने का अनुमोदन कर दिया, तथा भारत सरकार ही बताएं कि आखिर इतना बड़ा निर्णय लेने का उनके पास क्या आधार हैं? सच्चाई यह है कि बीसीसीएल और भारत सरकार के रेल मंत्रालय ने बिना किसी वैज्ञानिक आधार के इतना बड़ा निर्णय ले लिया और धनबादवासियों के छाती पर मूंग दल दिये, जिसकी जितनी भर्त्सना की जाय कम है।

विजय कुमार झा ये भी बताते है कि यहां की पुलिस कैसी निकम्मी है कि एक साल हो गये, और वह न तो उन चोरों को गिरफ्तार कर सकी, जिन्होंने रियल टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम के पार्टस चुराये और न ही चोरी गये सामान की बरामदगी की, धिक्कार बीसीसीएल प्रबंधन को भी कि इतनी महत्वपूर्ण पार्टस जिसकी कीमत मात्र 14 हजार रुपये है, उक्त पार्टस को न तो खरीद कर लगाने की जहमत उठाई और न ही किसी अन्य को ऐसा करने दिया, अब सवाल उठता है कि आखिर ये साजिश नहीं तो क्या है?

आखिर रियल टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम के पार्टस को फिर से लगाने में बीसीसीएल को क्या मजबूरी है, कही ऐसा तो नहीं कि वह केन्द्र के इशारे पर ऐसा कर, धनबाद की जनता की भावनाओं से खिलवाड़ कर रही है, धिक्कार तो यहां के सांसदों ओर विधायकों को भी है, कि जिन्होंने इतनी महत्वपूर्ण बातों पर न तो ध्यान ही दिया और न ही इस जनसरोकार मुद्दे पर सदन में सवाल उठाए, आखिर इसका जवाब कौन देगा, जनता जानना चाहती है।

ज्ञात है कि 15 जून 2017 से भूगर्भ अग्नि के नाम पर 52 ट्रेनें बंद हैं, रियल टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम के अनुसार 2010 और 2011 में जिन जगहों पर लगभग 200 डिग्री सेंटीग्रेड भूगर्भ तापमान था, उन सभी जगहों पर 23-24 जून 2017 को मात्र 50 और 60 डिग्री टेम्परेचर पाये गये, जो रियल टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम के अनुसार आंके गये थे, जब 2010 और 2011 में 210 डिग्री सेंटीग्रेड टेम्परेचर पर भी ट्रेनें चल रही थी और एक भी दुर्घटना अंकित नहीं हैं, तो भारत सरकार,  रेल मंत्रालय, कोयला मंत्रालय और बीसीसीएल प्रबंधन ये सभी बताएं कि जब 50 से 60 डिग्री टेम्परेचर 2017 में आंका गया तो फिर इन इलाकों में ट्रेनें क्यो बंद कर दी गई?  जबकि तामपान में दो-तिहाई कमी देखी गई, ये तो जनता के साथ क्रूर मजाक तथा विज्ञान के साथ खिलवाड़ भी।