अपनी बात

वाह रे CM, जिस पर आरोप उसे ही जांच करने के आदेश, ऐसे में संतोषी मरेगी नहीं तो क्या करेगी?

वाह रे झारखण्ड के CM  रघुवर दास, जो इस घटना का जिम्मेवार है, उसी को जांच करने का जिम्मा सौंप दिया। भारत में एक राज्य है, जिसका नाम है – झारखण्ड। यहां के मुख्यमंत्री है – रघुवर दास। ये क्या बोलते है? क्या करते है? इन्हें खुद ही नहीं पता होता।  जरा देखिये इन्होंने सिमडेगा के उपायुक्त को संतोषी की मौत की जांच का जिम्मा सौंपा है। उन्होंने सिमडेगा के उपायुक्त को कहा है कि वे 24 घंटे के अंदर पूरे मामले की निष्पक्षता से और त्वरित जांच कर, उन्हें रिपोर्ट सौंपे।

हम आपको बता दे कि इसी उपायुक्त के पास जाकर ग्रामीणों ने दो – दो बार, पहली बार 21 अगस्त और दूसरी बार 25 सितम्बर को जनता दरबार में गुहार लगाया था कि संतोषी के घर के हालात ठीक नहीं है, उन तक भोजन की व्यवस्था की जाय, पर उपायुक्त ने इस ओर ध्यान नहीं दिया और आगे चलकर 11 वर्षीया संतोषी ने भूख से बिलबिलाकर दम तोड़ दिया। दरअसल यहां के सीएम रघुवर दास को लगता है कि दुनिया के सबसे बड़े काबिल व्यक्ति वहीं हैं, दूसरा कोई हैं ही नहीं। गरीबों को उल्लू बनाना अगर किसी को सीखना है तो इनसे सीखे।

जरा सीएम रघुवर दास और उनके कनफूंकवों का नया हरकत देखिये। आपको गिरिडीह के शोभा शिवानी के बारे में पता ही होगा, जिसका 85 प्रतिशत शरीर आग से जल चुका है। 26 जुलाई 2016 को सीएम रघुवर दास ने उससे वादा किया था कि उसे तीन लाख रुपये दिये जायेंगे। सच्चाई यह है कि उस लड़की को आज तक पूरे पैसे नहीं मिले हैं। जबकि 27 सितम्बर 2017 को वह लड़की फिर सीएम रघुवर दास से मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र में गुहार लगाई कि उसे पूरे पैसे नहीं मिले। पुनः मुख्यमंत्री रघुवर दास ने उसी दिन अपने विवेकाधीन कोष से बकाये डेढ़ लाख रुपये तत्काल उसे देने का आदेश दिया।

पर सच्चाई यह है कि आज 18 अक्टूबर 2017 हैं, उसे मात्र सवा लाख रुपये ही मिले हैं, बाकी के पौने दो लाख उसे आज तक नहीं मिले। ये हैं हमारे मुख्यमंत्री रघुवर दास और ये हैं उनका सिस्टम, जहां लोग नाक रगड़ के मर जायेंगे, पर जनता को उनका हक नहीं मिलेगा, ऐसी स्थिति में संतोषी मरेगी नहीं तो क्या करेगी? जहां की जनता के सामने सीएम स्वयं झूठ बोलते पकड़े जाते हो, जहां के सीएम जिन पर आरोप लगता है, उसे ही जांच करने का आदेश दे देते हो, तो ऐसे में झारखण्ड की जनता मरेगी नहीं तो क्या करेगी, उसके पास विकल्प ही क्या है?