राजनीति

स्वयंसेवकों ने बनाया दबाव, उच्चाधिकारियों से कहा ‘भास्कर’ को भेजी जाय लीगल नोटिस

पिछले दिनों रांची से प्रकाशित दैनिक भास्कर के एक रिपोर्ट से संघ के स्वयंसेवकों का एक बड़ा समूह आहत है। ये समूह दैनिक भास्कर को क्षमा करने के मूड में नहीं है, इनका कहना है कि कोई भी अखबार किसी भी संस्था के खिलाफ बेसिर-पैर की बातें कैसे छाप सकता है? और एक जिम्मेदार संस्था का मान-मर्दन कैसे कर सकता है, इसका जवाब तो उसे मिलना ही चाहिए।

संघ के स्वयंसेवकों के इस दबाव से संघ के उच्चाधिकारी भी परेशान दीख रहे हैं, वे अपने स्वयंसेवकों को समझा पाने में पूरी तरह विफल हो रहे हैं, हो सकता है कि कुछ दिनों में जल्द ही दैनिक भास्कर को उसकी गलत रिपोर्टिंग के लिए लीगल नोटिस उसे प्राप्त हो जाये।

कुछ दिन पहले ही दैनिक भास्कर ने एक खबर छापी थी, हेडिंग था ‘संघ की रिपोर्टः गो-तस्करी के रैकेट में भाजपा नेता भी’ जबकि संघ किसी भी राजनीतिक दल को लेकर, न तो कोई ऐसी रिपोर्ट तैयार करता हैं और न कोई उसकी ऐसी रिपोर्टों में दिलचस्पी रहती है, और न ही ऐसी कोई रिपोर्ट मुख्यालय भेजी गई, तो फिर ऐसी मनगढंत रिपोर्ट कहां से आ गई।

इसी बीच विद्रोही 24. कॉम को एक संघ के उच्चाधिकारी ने बताया कि वर्तमान में दैनिक भास्कर ने जो खबर छापी है, वह सफेद झूठ, सत्य से परे और पूरी तरह भ्रामक है। चूंकि गो तस्करों से संबंधित कोई भी इस प्रकार की रिपोर्ट जो दैनिक भास्कर की खबर में उल्लेखित है, संघ की ओर से न तो बनाई गई और न ही इसे प्रेषित की गई है।

दैनिक भास्कर के इस खबर से संघ पूर्णतः असहमत  है।  संघ पूरे जिम्मेदारी से इस तथ्यविहीन और भ्रामक समाचार की कड़े शब्दों में निन्दा करता है और आशा रखता है कि तथ्यविहीन और भ्रामक समाचार प्रकाशित करने से पहले, संघ के विचार को भी जानने का प्रयास संबंधित अखबारों द्वारा होना चाहिए।

इसी बीच संघ के स्वयंसेवकों ने कहा कि ऐसे भी दैनिक भास्कर बेसिर-पैर की बातें ज्यादा करता है, जैसे भगवान शिव को दो बूंद दूध से अभिषेक करिये, होली में तिलक होली खेलिये, अरे भाई हिन्दूओं के लिए तुम्हारे लिए बहुत सारे उपदेशात्मक शब्द और वाक्य निकलते हैं, ये ही उपदेशात्मक वाक्य कभी अन्य धर्मावलम्बियों के लिए करो, फिर देखो तुम्हारी सारी उपदेश और अखबार की अखबारी कहां चली जायेगी, चूंकि संघ ज्यादातर ऐसी बेफिजूल बातों पर ध्यान नहीं देता, तो ये लोग संघ को भी लपेटे में लेने लगते हैं, पर उन्हें नहीं पता कि इस देश में संविधान भी हैं और लोकतंत्र भी हैं, अगर बेसिर-पैर की बातें किसी भी संस्था के बारे में छापेंगे तो उसे भी पूरा हक है कि आपको कानून का रास्ता दिखाये।