अपनी बात

दो वर्ष हेमन्त सरकार के, 2020 में नाम कमाया और 2021 के समाप्त होते-होते सब कुछ गंवा दिया

हेमन्त सरकार ने दो वर्ष पूरे कर लिये है, इस दो वर्ष पूरा करने की खुशी में जैसा कि, सभी करते हैं, राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने भी एक कार्यक्रम रखा है, जिसमें वो सब कुछ होगा, जिसके लिए ये सब कार्यक्रम जाने जाते हैं, हालांकि इस कार्यक्रम को शुरु करने के पूर्व राज्य के मुख्यमंत्री झारखण्ड के महान, दुर्लभ व अद्वितीय पत्रकारों से आज अपने आवास पर मिले और उनसे खूब बातचीत की, उनके साथ सेल्फियां खिंचवाई, और उन पत्रकारों ने उन सेल्फियों को फेसबुक पर डालकर, स्वयं को कृतार्थ भी किया, साथ ही मन ही मन इन पत्रकारों ने राज्य के मुख्यमंत्री के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए अपने-अपने संस्थानों की ओर लौटे।

अब याद करिये 2020 और याद करिये हेमन्त सरकार को, कोरोनाकाल में कैसे झारखण्ड और झारखण्डियों को बिना किसी भेद-भाव की सेवा की थी, जब केन्द्र सरकार कोई ट्रेन चलाने को तैयार नहीं थी, राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने तेलंगाना से झारखण्ड तक के लिए स्पेशल ट्रेन चलवाई जो बाहर रह रहे झारखण्डियों के लिए आशा की किरण बन गई थी, फिर तो दूसरे राज्य की सरकार ने भी अपने लोगों ने भी अपने नागरिकों को लाने के लिए ऐसा प्रबंध करना शुरु किया, लेकिन बाजी तो हेमन्त सोरेन ने मार ली थी

पूरे देश में इस बात की चर्चा हुई, देश-विदेश के अखबारों में भी इस समाचार ने जगह बनाई, दिल्ली के कई पत्रकारों/चैनलों ने भी हेमन्त सोरेन के इस कार्य की भूरि-भूरि सराहना की। यही नहीं हेमन्त सोरेन ने विभिन्न पुलिस थानों में भी खाने-पीने की विशेष व्यवस्था करवा दी, जिसके कारण लोगों को भोजन आसानी से मिलने लगा, कही से कोई ऐसी खबर नहीं आई, जिससे ये पता चलता हो कि झारखण्ड में कोई व्यक्ति भूखे सोया हो, यानी अभावों में हेमन्त सोरेन ने एक नई लाइन ऐसी खीच दी, जिसे पार पाना किसी के वश की बात नहीं थी।

लेकिन आज क्या हो गया? 2020 के हेमन्त सोरेन में और 2021 के हेमन्त सोरेन में आकाश-जमीन का अन्तर आ चुका है। उसके मूल कारण है कि राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने खुद की ऐसी किलाबंदी, वो भी अपने ही लोगों से करवा ली कि हेमन्त सोरेन की लोकप्रियता सिमट कर रह गई, यानी एक लाइन में कहा जाये, तो जो स्थिति पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के चेलों ने उनकी कर दी थी, वही स्थिति हेमन्त सोरेन के चेलों ने हेमन्त सोरेन की कर दी। ऐसे हमें क्या? जो जैसा करेगा, वैसा भरेगा, अच्छा काम करेंगे, पुनः सत्ता में आयेंगे, नहीं करेंगे, रघुवर दास की तरह अपनी सरकार का स्वयं बैंड बजा देंगे।

2021 में जिस कारण हेमन्त सरकार की कार्यशैली पर दाग लगा है, उसके विवरण इस प्रकार हैं…

  1. राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने 2021 को स्वयं नियुक्ति वर्ष घोषित किया था, पर सच्चाई यह है कि पहली बार देखा गया कि एक सरकार ने, एक मुख्यमंत्री ने, अपनी ही जनता के साथ छल कर दिया। 2021 बीतने में मात्र दो दिन रह गये हैं, एक भी नियुक्ति नहीं हुई, जिन नियुक्तियों के लिए विज्ञापन निकाले गये थे, वे विज्ञापन भी रद्द कर दिये गये। झारखण्ड लोक सेवा आयोग और उसके चेयरमैन अमिताभ चौधरी की करतूतों से झारखण्ड के युवा परेशान है, पर सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही, खुद मुख्यमंत्री ही अपने ही झारखण्ड के युवाओं को मनुवादी बताकर, झारखण्ड लोक सेवा आयोग के करतूतों से पल्ला झाड़ लिया, आज झारखण्ड लोक सेवा आयोग के मारे ये युवा दर-दर भटक रहे हैं, पर इनकी सुनता कौन है?
  2. कोरोना काल में इस राज्य में रेमडेसिविर इंजेक्शन की जमकर कालाबाजारी हुई, जिसके छीटें मीडिया, पुलिस, प्रशासन पर भी पड़े, पर सभी को बचा लिया गया और एक मच्छड़ टाइप के व्यक्ति पर सारा तोहमत लगाकर उसे जेल में बंद कर दिया गया।
  3. राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी जिन्हें नेता विरोधी दल होना चाहिए था, उन्हें जानबूझकर प्रताड़ित किया जा रहा है, और उनके हक से उन्हें वंचित किया जा रहा हैं, जबकि भाजपा विधायक दल के नेता बाबू लाल मरांडी है, दूसरी ओर बाबू लाल मरांडी की पूर्व की पार्टी से जूड़े एक नेता प्रदीप यादव के साथ सरकार इस प्रकार की बर्ताव नहीं कर रही, क्योंकि प्रदीप यादव सत्ता के साथ है।
  4. पहली बार देखा गया कि हेमन्त सरकार में शामिल राज्य का स्वास्थ्य मंत्री सदन में विधायकों द्वारा पूछे गये प्रश्न का भ्रामक उत्तर देता है, क्या ये शर्म की बात नहीं।
  5. कमाल तो यह भी देखा गया कि स्वास्थ्य विभाग का एक बड़ा अधिकारी रिम्स के निदेशक को पैरवी के लिए पत्र लिख दिया और उस पैरवी पत्र को पाकर रिम्स का निदेशक दवाई दोस्त नामक संस्था को ही ठिकाने लगा दिया, जिसको लेकर रांची के नागरिक चिंतित रहे, आंदोलन भी किये, पर यहां आंदोलनकारियों की सुनता कौन है?
  6. जो ईमानदार आइएएस/आइपीएस रघुवर शासनकाल में पीसे जाते थे, उन्हे साइड कर दिया जाता था, इस हेमन्त शासनकाल में भी उनके साथ वहीं हो रहा हैं, 2020 में तो ऐसा नही दिख रहा था, पर 2021 में यह सब खुलकर हुआ। आज भी जो ईमानदार आइएएस/आइपीएस अधिकारी किसी कारणों से सही जगह पर हैं भी तो वे खुलकर कार्य नहीं कर पा रहे, इस भय से की कही हेमन्त और उनकी परिक्रमा करनेवाले महानुभावों की भौंहे टिक गई तो जो भी तीन-चार साल नौकरी बची हैं, आफत में आ जायेगी, इसलिए सभी ने चुप्पी साध ली हैं, जबकि भ्रष्ट अधिकारियों की पौ-बारह है।
  7. याद करिये कुछ महीने पहले सब्जी और फल बेचनेवाले कुछ लोगों को जेल में भेज दिया गया था, उन पर आरोप था कि वे हेमन्त सरकार को अस्थिर करने का प्रयास कर रहे हैं, इसके छीटें तीन विधायकों पर भी पड़े थे, पर आज तक उन तीन विधायकों के खिलाफ स्थानीय पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की और न ही उनसे कोई पूछताछ की, लेकिन इस ड्रामे का प्रभाव जरुर यह पड़ा कि जो विधायक हमेशा उछल-कूद मचाते थे, मंत्री बनने के लिए सरकार को आंखे दिखाते थे, अब वे हेमन्त चालीसा का पाठ सस्वर करने लगे हैं।
  8. रुपा तिर्की हत्याकांड भला कौन भूल सकता है, इस हत्याकांड ने तो वो धब्बा इस सरकार पर लगाया है कि इससे ये सरकार बच ही नहीं सकती, आदिवासी मुख्यमंत्री होते हुए आदिवासी महिला के साथ इतना बड़ा अत्याचार और उसको लेकर आदिवासी समुदाय द्वारा किये जा रहे आंदोलन को भी नजरंदाज कर देना, कोई हेमन्त सरकार से सीखें। हालांकि झारखण्ड उच्च न्यायालय ने इस पूरे मामले को सीबीआई को सौंप चुकी है, देखना है कि सीबीआई कब तक इस पर अपनी जांच रिपोर्ट सौंपती है।
  9. 2021 में ही पहली बार देखा गया कि झारखण्ड के महाधिवक्ता व अपर महाधिवक्ता के खिलाफ झारखण्ड हाई कोर्ट से अवमानना का नोटिस भी जारी हो गया।
  10. हेमन्त सरकार में शामिल कांग्रेसी मंत्रियों को सरकार से क्या मतलब? वो तो कड़वा-कड़वा थू-थू और मीठा-मीठा चप-चप के सिद्धान्त पर चल रहे हैं, गड़बड़ हुआ तो हेमन्त और अच्छा हुआ तो राहुल-सोनिया का नाम लेकर पल्ला झाड़ने के सिद्धांत पर अडिग हैं, जिससे साफ-साफ पता चलता है कि राज्य किस ओर जा रहा है।
  11. 2021 में ही देखा गया कि रांची के कई शहरी इलाकों में गरीबों के मकान तो बेदर्दी से तोड़ दिये गये, वो भी यह कहकर कि ये सारे के सारे मकान अवैध रुप से बनाये गये, पर मंत्री के होटल पर किसी की नजर भी नहीं गई, बल्कि उसे बचाने के लिए हेमन्त सरकार में शामिल सभी लोग एक स्वर से हरिकीर्तन गाने लगे।

अगर लिखने चले तो कई किताबे लिखनी पड़ जायेगी, लेकिन सच्चाई यह है कि वर्तमान सरकार सही दिशा में नहीं जा रही, ये भी रघुवर सरकार की तरह अपने आइटी सेल द्वारा निर्मित वाहियात टाइप के महंगे-महंगे विज्ञापनों से जनता को रिझाने का असफल प्रयास कर रही हैं, लेकिन इसका कितना असर पड़ेगा, वो विद्रोही24 से ज्यादा कौन जानता है? अंत में कल हेमन्त सरकार दो वर्ष पूरे होने पर खुशियां मनायेगी, खुशियां में शामिल होइये, मुझे इन सब से क्या मतलब?