अपनी बात

पानी के लिए धनबाद में दो लोगों ने किया आत्मदाह का प्रयास, पुलिस ने किया गिरफ्तार

“हमलोग अपनी समस्याओं को लेकर, आवेदन लेकर, नगर निगम के नगर आयुक्त के पास जाते हैं तो उसका बॉडीगार्ड भगा देता हैं। हमें कहा जाता है कि जाओ, जनता दरबार में जाकर सीएम रघुवर दास से मिलो। क्या करें, ये नगर निगम, न शान से जीने देता है, न शान से मरने देता है। हमारे यहां न चापाकल है, न कुआं हैं, पहाड़ी क्षेत्र हैं, अब मरने के सिवा कोई चारा नहीं है, क्या करें, इसलिए नगर निगम के सामने हम आत्मदाह करने चले आये हैं। हम अपनी समस्याओं को लेकर एमएलए, एमपी, सीएम, यहां तक की प्रधानमंत्री तक को लिखे, कोई सुनता ही नहीं, ऐसे में क्या करें?” ये वक्तव्य है धनबाद नगर निगम के समक्ष आत्मदाह करने आये धनबाद के सिमनबेड़ा बस्ती के दो लोगों का।

दरअसल ये लोग पिछले चार सालों से बुनियादी समस्याओं, खासकर जल संकट से जूझ रहे हैं, अपनी समस्याओं से निजात पाने के लिए कई बार इन्होंने नगर निगम कार्यालय का चक्कर काटा, पर किसी ने सुना ही नहीं, जो यहां के नेता हैं, सांसद हैं, विधायक है, नगर निगम के मेयर है, वे भी इनकी समस्याओं को नहीं सुनते, शायद इन्हें लगा कि आत्मदाह करेंगे तो शायद उनकी बात सुनी जायेंगी, पर शायद ये भी करना इनको महंगा पड़ गया और स्थानीय पुलिस इन दोनों को गिरफ्तार कर ली।

इन दिनों पूरे झारखण्ड में पेयजल की भीषण संकट है, राजधानी रांची ही नहीं, झारखण्ड के अन्य चार प्रमुख शहरों जमशेदपुर, धनबाद, बोकारो और डालटनगंज में भी यहीं समस्या है, ये पहला मौका है, जब पानी के लिए धनबाद में दो लोगों ने धनबाद नगर निगम मुख्यालय के समक्ष आत्मदाह का प्रयास किया, ये अलग बात है कि पुलिस ने उन्हें आत्मदाह करने के पूर्व गिरफ्तार कर लिया, पर क्या जिन समस्याओं पर इन दो लोगों ने ध्यान केन्द्रित कराना चाहा, राज्य सरकार या निगम के अधिकारी या वहां के प्रमुख नेता, इन्हें इन समस्याओं से त्राण दिलाने का प्रयास करेंगे, या यूं ही आत्मदाह का दृश्य देखते रहेंगे।