बाबू लाल मरांडी के प्रहार से तिलमिलाई भाजपा, कहा JVM सुप्रीमो दूसरे केजरीवाल

झारखण्ड विकास मोर्चा सुप्रीमो बाबू लाल मरांडी के एक पत्र ने भाजपाइयों की नींद उड़ा दी हैं। भाजपाइयों का हाल ये है कि वे पत्र में लगे आरोपों का जवाब न देकर, झाविमो सुप्रीमो बाबू लाल मरांडी को ही मुकदमें में घसीटने की धमकी देने लग गये, तथा अपने विवादित झाविमो से भाजपा में गये विधायकों को बचाने के लिए, स्पीकर से भी अपील कर दी कि जब तक इस लेटर प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच न हो जाये, स्पीकर कोई उचित निर्णय न लें, यानी लगभग 16-17 महीने बाद नियमतः विधानसभा चुनाव हो जायेंगे, तब तक अपने इन छः विवादित विधायकों को भी बचाने का गंभीर प्रयास करने में भाजपाई लग गये।

ऐसे भी जिस प्रकार से विधानसभाध्यक्ष के पास ये दलबदल का मुद्दा चल रहा है, अगर ऐसे ही चलता रहा, तो समझ लीजिये, अगला विधासभा चुनाव भी हो जायेगा और ये मसला हल नहीं होगा, यानी सत्तारुढ़ दल का एक विधायक जब स्पीकर बनता है तो उस सत्तारुढ़ दल को कितना फायदा मिलता है, उसकी बानगी है, झाविमो के छः विधायकों का स्पीकर के पास गया ये मामला। कमाल की बात है कि हाल ही में दो झामुमो विधायकों के खिलाफ निचली अदालत से न फैसला आते देरी और न स्पीकर द्वारा उनकी विधायकी समाप्त करने की घोषणा करते देरी, पर एनोस एक्का के मामले में देखिये, अभी तक विधायकी समाप्त करने की घोषणा नहीं की गई, इसे समझने की जरुरत है।

फिलहाल हम बात कर रहे है, झाविमो के उन छः विवादित विधायकों की, जिन पर बाबू लाल मरांडी ने एक पत्र के माध्यम से आरोप लगाये, कि इन्हें दो-दो करोड़ बतौर घूस के रुप में रुपये दिये गये, और इस लेन-देन में भाजपा के सांसदों, उत्तराखण्ड और झारखण्ड के दोनों मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों और अन्य भाजपा के वरीय पदाधिकारियों की भूमिका प्रमुख है।

इसी प्रकरण पर भाजपा प्रदेश कार्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित हुआ, जिसे भाजपा के कोडरमा सांसद एवं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रवीन्द्र राय ने संबोधित किया। रवीन्द्र राय ने कहा कि बाबू लाल मरांडी को ये पत्र कैसे, कहां से, और कब मिला ये बताना चाहिए, क्योंकि ये पत्र पिछले कई दिनों से गोपणीय तरीके से विभिन्न संस्थानों में घूम रहा था, यानी की भाजपा नेताओं को इस पत्र की पहले से ही जानकारी थी, जो जानकारी ये बाबू लाल मरांडी से मांग रहे हैं।

भाजपा नेता ने बाबू लाल मरांडी पर आरोप लगाया कि वे जमीनी राजनीति में असफल होने के बाद, उन्होंने तिकड़म का सहारा लेना प्रारम्भ किया, जिसे जनता स्वीकार नहीं करेगी। उन्होंने बाबू लाल मरांडी पर आरोप लगाया कि वे अपनी राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए जालसाजों का गिरोह बनाया है। इसी के आधार पर इन छः विधायकों की सदस्यता समाप्त कराना चाहते है, वे चाहेंगे कि स्पीकर इस पत्र की ओर ध्यान न दें, तथा केस पर उचित निर्णय न लें, जब तक इसकी जांच न हो जाये। उन्होने कहा कि सच्चाई यह है कि बाबू लाल मरांडी स्वयं अपनी पार्टी का भाजपा में विलय कराना चाहते थे, बाद में यह कहकर मुकर गये कि ये संभव नहीं है।

उन्होंने कहा कि ये धोखे की राजनीति है, वे बरगलाने की कोशिश न करें। रवीन्द्र राय ने कहा कि बाबू लाल मरांडी द्वारा पेश किया गया पत्र फर्जी है, इसलिए वे सात दिनों का वे मोहलत देते है, वे सत्य को प्रमाणित करें, सार्वजनिक रुप से क्षमा मांगे, नहीं तो वे उन्हे न्यायालय में माफी मांगने के लिए मजबूर कर देंगे और इस प्रकार बाबू लाल मरांडी दूसरे केजरीवाल साबित होंगे,  क्योंकि ये जालसाजों के द्वारा, झूठ का सहारा लेकर, असत्य की राजनीति को स्थापित करने का प्रयास है।