राजनीति

बाबू लाल मरांडी ने दिये सबूत, झाविमो विधायकों को दो-दो करोड़ भाजपा ने दिये घूस

झाविमो सुप्रीमो बाबू लाल मरांडी ने एक पत्र जारी किया है, यह पत्र 19 जनवरी 2015 को तत्कालीन भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डा.रवीन्द्र कुमार राय द्वारा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को लिखा गया हैं, जिसमें इस बात का जिक्र है कि झाविमो के किस विधायक को, कितने रुपये, किसके द्वारा और किसके निगरानी में भाजपा में शामिल करने के लिए दिये गये। झाविमो सुप्रीमो बाबू लाल मरांडी ने यह पत्र संवाददाताओं के बीच रखते हुए कहा कि यह पत्र बताता है कि कैसे भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं ने उनके विधायकों को पद एवं पैसे का प्रलोभन देकर, उन्हें अपने पक्ष में किया। यह पत्र आते ही भाजपा में भूचाल आ गया हैं, और उसके नेता इस पत्र को ही फर्जी बताने में जूट गये।

पत्र में साफ लिखा है कि झारखण्ड भाजपा प्रभारी त्रिवेन्द्र सिंह रावत के आदेशानुसार भाजपा में आनेवाले झाविमो विधायकों में गणेश गंझू को सुनील कुमार सिंह द्वारा राकेश प्रसाद की निगरानी में दो करोड़, रणधीर कुमार सिंह को महेश पोद्दार द्वारा दीपक प्रकाश की निगरानी में दो करोड़, नवीन जायसवाल को सीपी सिंह द्वारा, प्रदीप कुमार वर्मा की निगरानी में दो करोड़, अमर कुमार बाउरी को विरंची नारायण द्वारा, संजय सेठ की निगरानी में एक करोड़, आलोक कुमार चौरसिया को अनन्त कुमार ओझा द्वारा, उषा पांडेय की निगरानी में दो करोड़ और जानकी प्रसाद यादव को मुख्यमंत्री रघुवर दास द्वारा राजेन्द्र सिंह की निगरानी में दो करोड़ रुपये उपलब्ध कराये गये।

पत्र में यह भी लिखा है कि कुल ग्यारह करोड़ रुपये नकद उपलब्ध कराये गये तथा सभी विधायकों से प्राप्ति पर्ची प्राप्त कर मुख्यमंत्री रघुवर दास को सौंप दिया गया। पत्र में यह भी उद्धृत है कि शेष राशि झाविमो विधायकों को 36 माह के बाद मुख्यमंत्री रघुवर दास द्वारा उपलब्ध कराने की जिम्मेवारी ली गई है। ऐसा लिखने के बाद रवीन्द्र कुमार राय द्वारा झाविमो विधायकों के स्थायित्व की जिम्मेवारी भी ली गई है।

इस पत्र को जारी करने के बाद, झाविमो सुप्रीमो बाबू लाल मरांडी ने कहा कि एक निर्दलीय विधायक भी अगर किसी दल में शामिल हो जाता है तो उसकी सदस्यता समाप्त हो जाती है, ये तो उनकी पार्टी के सिंबल में चुनाव जीते और इनकी सदस्यता आज भी बरकरार है, जो बताता है कि यहां किस प्रकार संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही है।

बाबू लाल मरांडी इस पत्र को लेकर राज्यपाल से मिले, और उन्हें एक ज्ञापन भी सौंपा। बाबू लाल मरांडी का कहना था कि चूंकि ये बहुत बड़ा मामला हैं, इसलिए इस पत्र में जिन-जिन लोगों के नाम  हैं, उन सभी पर तत्काल प्राथमिकी दर्ज होनी चाहिए, साथ ही इन सारे विधायकों की सदस्यता समाप्त की जाये, क्योंकि इससे बड़ा प्रमाण और दूसरा कोई नहीं हो सकता। उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि मुख्यमंत्री इसमें इन्वाल्व हैं, इसलिए इन्हेें बर्खास्त करना चाहिए, चूंकि ये बहुत बड़ा मामला हैं, इसलिए इसकी सीबीआई से जांच होना बहुत जरुरी है, क्योंकि ये केवल झाविमो की बात नहीं, लोकतंत्र को बचाने की बात हैं।