अपनी बात

हेमन्त की इस सादगी पर फिदा हुए हजारों लोग, खुलकर सोशल साइट पर किया समर्थन

कहा जाता है, सोच बदलो-देश बदलेगा। जब से हेमन्त सोरेन मुख्यमंत्री बने हैं, कुछ लोगों को अभी से ही खुजली होने लगी है। वे एक से एक तिकड़म निकालने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि उनमें मीन-मेख निकाली जाये, पर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की सादगी तथा उनकी सोच सब पर भारी पड़ जा रही है।

फिलहाल उनके विरोधियों ने एक फोटो जिसमें वे साधारण चप्पल पहनकर गार्ड ऑफ ऑनर ले रहे हैं, को वायरल कर उनमें मीन-मेख निकाल रहे हैं,जबकि सच्चाई यह है कि हमारे देश में पूर्व में एक से बढ़कर एक नेता हुए, जिनकी सादगी ने उन्हें महानता की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया। गांधी और शास्त्री उन्हीं में से एक है।

हालांकि सोशल साइट के माध्यम से ही मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने बहुत ही अच्छे ढंग से अपनी बाते रखकर मीन-मेख निकालनेवालों को संतुष्ट करने का प्रयास किया है, जिसकी सभी ने खुलकर प्रशंसा की है तथा उनके इस निर्णय का स्वागत किया है। पहले देखिये मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने इस प्रकरण पर क्या कहा? उन्होंने कहा कि

“इस तस्वीर को जहाँ कुछ लोग मेरी सादगी से जोड़ रहे हैं तो वहीं इक्का दुक्का लोग मुझे यह भी बता रहे हैं कि चप्पल पहन मैंने गार्ड ऑफ ऑनर ले परम्परा का पालन नहीं किया। सच्चाई यह है की पुलिस के जवान भाई मेरे इंतेज़ार में बारिश में काफ़ी पहले से खड़े कर दिए गए थे – इसलिए मैं जिस रुप में था – सबसे पहले उनका सम्मान कर उन्हें मुक्त करना आवश्यक था।

और दूसरी बात की चप्पल जूतों का रिवाज अंग्रेज़ों द्वारा बनायी गयी दक़ियानूसी परम्परा है, जिसे मैं नहीं मानता। पिछली शासन द्वारा मुख्यमंत्री के हर दौरे पर दिया जाने वाली इस परम्परा को मैं जल्द से जल्द समाप्त करने को संकल्पित हूँ ताकि हमारे पुलिसकर्मी VIP रूढ़िवादिता में समय व्यर्थ करने की जगह वो समय जनता की सेवा में लगा सकें।”

हेमन्त सोरेन के इस दृढ़ निश्चय की वे  जूतों का रिवाज अंग्रेजों द्वारा बनायी गयी दकियानूसी परम्परा है, जिसे वे नहीं मानते और पिछली शासन द्वारा चली आ रही इस रुढ़िवादी परम्परा को समाप्त करने के लिए संकल्पित है, सभी ने सराहना की है। कीर्ति तिवारी कहती है, बहुत खुब सर, आप अपने इसी सोच को बनाये रखे।

कामेन्द्र सिंह भइया, आपने अपने शब्दों से झारखण्ड ही नहीं पूरे विश्व को हमारी संस्कृति हमारी सोच को बताने का काम किया है, आपने हम सबको गौरवान्वित होने का मौका दिया है।

पंकज कुमार पाठक कहते है कि वाकई यह परम्परा ब्रिटिश हुकुमत की है। इसे आप खत्म कर इतिहास रचे।

राजीव कुमार कहते है कि आपकी यही सोच आपको और लोगों से बिल्कुल अलग करती है, जनता के प्रति सम्मान और आपका प्यार यह दर्शाता है कि आप में नेतृत्व करने की क्षमता कूट-कूट कर भरी है, जिस प्रकार से आपने गार्ड ऑफ ऑनर उन पुलिसकर्मियों को दिया, वह काबिलेतारीफ है।

अमर नाथ सिंह अच्छी पहल है, आपके द्वारा, जो आनेवाले दिनों में वीवीआइपी कल्चर को खत्म करेगा। इसी प्रकार उत्तम कुमार मिश्र, मनोहर सिंह, शमशेर आलम, बृजभूषण सिंह, शेखर सिंह, हरे राम पांडेय आदि सैकड़ों ऐसे लोग फेसबुक पर जाकर, उनकी इस कार्य की मुक्तकंठ से प्रशंसा कर रहे हैं।