अपनी बात

यह दृश्य बार-बार दिखे, ताकि फिर कोई वंचित ये न कहे कि देश ने उन्हें सेवा का मौका नहीं दिया

संयोग कहिये, ऐसा दृश्य बहुत कम देखने को मिलता है, जब प्रमुख संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों का समूह, वह भी ऐसे समुदाय से आनेवाले, जो वर्षों से नीचले पायदान पर रहे हैं, एक दूसरे का स्वागत-अभिनन्दन व वार्ता के क्रम में इस प्रकार मशगूल रहते है कि इनकी एक क्लिक की गई तस्वीर ऐतिहासिक हो जाती है।

इस दृश्य का सारा श्रेय भारतीय संविधान द्वारा इन्हें मिल रहे सामाजिक न्याय को जाता है, जनता में हो रही जागृति को जाता है, तथा विभिन्न दलों में आई सोच में बदलाव को जाता है। जरा इस आर्टिकल में प्रयोग किये हुए चित्र को देखिये। यह चित्र रांची हवाई अड्डे की है। जहां किसी ने एक फोटो क्लिक की हैं, जो देखनेलायक है।

जहां राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन, राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू, मेयर आशा लकड़ा जो तीनों आदिवासी समुदाय से आते हैं, आज प्रमुख संवैधानिक पदों पर विराजमान है, और भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद जो दलित समुदाय से आते हैं, जिनका स्वागत, अभिनन्दन तो ये कर ही रहे हैं, साथ ही वार्ता के क्रम में उनके चेहरे की खुशी सब कुछ प्रकट कर देती हैं कि देश किस ओर बढ़ रहा है।

मैं तो चाहता हूं कि भारत में आदिवासी हो या दलित सभी एक साथ बढ़ें, प्रगति करें, देश की सेवा करें ताकि देश का सम्मान बढ़े, क्योंकि देश में एक भी समुदाय अगर प्रगति से वंचित हो जाता हैं तो यह देश के लिए सबसे बड़ा कलंक है।

झारखण्ड में यह दृश्य पहली बार देखने को मिला है कि राष्ट्रपति, राज्यपाल, मुख्यमंत्री और मेयर सभी वंचित समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं और फिलहाल प्रमुख पदों पर रहकर देश की बेहतर ढंग से सेवा कर रहे हैं, जिससे यह एक संदेश भी जा रहा हैं कि देश व राज्य बेहतर स्थिति में आगे की ओर बढ़ रहा हैं। ईश्वर से अनुरोध है कि इस प्रकार के दृश्य बार-बार दिखें, ताकि फिर कोई वंचित यह नहीं कह सकें कि उसे इस देश ने वह मौका नहीं दिया, जो औरों को प्राप्त हुआ है।