जनता को उल्लू बनाने का काम जारी, CM ने सफाई अभियान वहां चलाया, जहां गंदगी थी ही नहीं

जब कोई मुख्यमंत्री सूट-बुट पहनकर, अपने मंत्रियों, इलेक्ट्रानिक मीडिया व प्रिंट मीडिया के संवाददाताओं व अपने कार्यकर्ताओं के लाव लश्कर के साथ किसी मुहल्ले में सफाई अभियान के लिए निकल पड़े तो समझ लीजिये, वह राज्य की जनता को उल्लू बनाने के लिए निकल पड़ा है, दरअसल उसे स्वच्छता व सफाई से कोई लेना-देना नहीं है, वह फोटो खींचवाने के लिए उस स्थल पर पहुंचा हैं, जहां पहले से ही कूड़ें व गंदगियों के अम्बार को नगर निगम के सफाईकर्मियों द्वारा साफ कर दिया गया है।

ताजा मामला आज का ही है, रांची के डिबडीह गांव के नया टोला मसमें स्वच्छता ही सेवा कार्यक्रम में मुख्यमंत्री रघुवर दास, नगर विकास मंत्री सीपी सिंह एवं भाजपा के कार्यकर्ताओं का समूह पहुंचा और झारखण्ड के स्वच्छता अभियान की शुरुआत की। हम आपको बता दे कि इस कार्यक्रम की जानकारी पूर्व से ही नगर निगम को थी, इसलिए नगर निगम ने रातोरात वहां जाकर विशेष सफाई अभियान चलाया, तथा वहां से कूड़े-कचड़े का अम्बार हटवा दिया, ताकि मुख्यमंत्री रघुवर दास और उनके समर्थकों को स्वच्छता अभियान की शुरुआत करने में दिक्कत न हो, उनके चमकीले सूट-बुट में कहीं धूल या गंदगी न लग जाये। नालियों को भी विशेष सफाई कर दी गई तथा उन नालियों में चूने व ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव कर दिया गया, ताकि माननीयों को फोटो सेशन करवाने में उनके नाकों तक दुर्गंध न पहुंचे।

स्थानीय निवासी बताते है कि जब रातो-रात अचानक नगर निगम के सफाईकर्मियों को सफाई कार्य में लगे डिबडीह गांव के लोगों ने देखा तो उन्हें ये जानते देर नहीं लगी कि कल कुछ यहां होनेवाला है, और जब आज मुख्यमंत्री रघुवर दास और उनके मंत्रियों तथा भाजपा कार्यकर्ताओं के समूह को यहां देखा तो ये जानते देर नहीं लगी कि यहां अब क्या होनेवाला है?  इस इलाके के लोग बताते है कि आज तक ऐसी सफाई तो दूर, कभी नगर-निगम के सफाईकर्मियों और उनके अधिकारियों को इस इलाके में देखा ही नहीं गया, स्वच्छता और सफाई तो प्रतिदिन की चीज है, एक दिन फोटो खींचने-खींचवाने के लिए ऐसे कार्यक्रम का क्या मतलब?

आप स्वयं इस आर्टिकल में दिये गये चित्रों को देखिये, मुख्यमंत्री रघुवर दास और नगर विकास मंत्री सी पी सिंह और उनके समर्थक कैसे साफ हुई स्थानों पर झाड़ू चला रहे हैं, उन जगहों पर झाड़ू चला रहे हैं, जहां कोई गंदगी ही नही हैं, आखिर ये जनता को इतना बेवकूफ क्यों समझते हैं?

मैं तो साफ कहता हूं कि स्वच्छता अभियान देखना हैं तो झारखण्ड के ही आदिवासी बहुल गांवों में चले जाइये, जहां न तो कोई नगर निगम हैं और न ही नगर पंचायत, पर सफाई ऐसी कि, इतनी सफाई तो मुख्यमंत्री रघुवर दास और नगर विकास मंत्री सीपी सिंह के घर पर नहीं होगी?

मैं तो साफ कहता हूं कि स्वच्छता अभियान देखना है तो बिहार व झारखण्ड में छठ के दौरान किसी शहर या मुहल्ले में चले जाइये, आपको पता लग जायेगा कि स्वच्छता अभियान क्या होता है? पर आपको तो लगता है कि फोटो खींचवाने में ही बुद्धिमानी है, पैसे पर बिके इलेक्ट्रानिक मीडिया और अखबारों के आगे अपना बयान दे देने, चेहरा चमकाने से ही स्वच्छता अभियान को बल मिल जाता है।

अगर सचमुच आप स्वच्छता अभियान की शुरुआत करना चाहते हैं तो दिल से करिये, पहुंचिये उन जगहों पर जहां सचमुच गंदगी हैं, और लोगों के साथ मिलकर सफाई अभियान चलाइये, किसी मीडिया को इसकी जानकारी मत दीजिये, उन्हें खुद पता चले और वे खुद अपने से आये तो ये अलग बात हैं, महात्मा गांधी के नाम पर अपना चेहरा चमकाने की दुकानदारी जो आप लोगों ने चला रखी हैं, उसी का परिणाम है कि आपका स्वच्छता अभियान भी अन्य अभियानों की तरह टायं-टायं फिस्स हो रहा है।

महात्मा गांधी के 150वें जन्मदिन पर, उन्हीं को धोखा देने का जो अभियान आपने चला रखा हैं, महात्मा गांधी की आत्मा सब देख रही है और वो आप सब को माफ करने भी नहीं जा रही, इसका परिणाम आपको 2019 में ही भुगतना पड़ेगा, क्योंकि भला जो स्वच्छता का महानायक रहा हो, वह व्यक्ति यह कैसे बर्दाश्त कर सकता है कि उसके नाम पर फोटो सेशन चले, क्या महात्मा गांधी अपना चेहरा चमकाने के लिए स्वच्छता अभियान चलाते थे।

अरे भाई, थोड़ा शर्म करो, अपने जमीर को क्यों इतना मार रखे हो, थोड़ा जगाओ उसे, ऐसे जगहों पर सफाई अभियान चलाओ, जिसे देखकर लोग बोले कि हां सही मायने में हमारा मुख्यमंत्री सफाई के प्रति सजग है। हालांकि रघुवर दास के फेसबुक पर कई लोगों ने इनके इस फोटो सेशन की कड़ी आलोचना कर, बता दिया कि जनता की नजरों में इस स्वच्छता अभियान की शुरुआत की क्या अहमियत है?