अपनी बात

दो पेज ‘स्वच्छता एवं समग्र विकास’ का राज्य सरकार ने लॉली पॉप क्या थमाया, अखबारों ने हेमन्त की रैली के पर ही कतर दिये

भाई रांची में गजब की पत्रकारिता हो रही है, यानी पत्रकारिता के उच्च मूल्यों व मापदण्डों को कैसे अखबार व चैनलवाले धूल-धूसरित कर रहे हैं, उसका उदाहरण हैं रांची से प्रकाशित होनेवाले आज के अखबार। प्रभात खबर ने तो अति ही कर दी है। दैनिक जागरण और दैनिक भास्कर भी प्रभात खबर के रास्ते ही चला, कुछ-कुछ हिन्दुस्तान ने ही पत्रकारिता के सम्मान को बचाने की थोड़ी बहुत कोशिश की, जिसने हेमन्त की रैली को यथोचित जगह दी, बाकी ने तो हेमन्त की रैली को ऐसी जगह दे दी, जैसा लगता हो कि यह कोई साधारण पार्टी की रैली हैं, जो झारखण्ड के लिए कोई मायने नहीं रखती।

आज के प्रभात खबर को देखकर तो एक बार फिर लगा कि यह अखबार संघ के मुख पत्र पांचजन्य तथा महाराष्ट्र शिवसेना के मुख पत्र सामना की तरह हो चला हैं और फिलहाल यह राज्य भाजपा का मुखपत्र हो गया है। हेमन्त के प्रमुख बयानों पर इस अखबार ने बड़ी खुबसूरती से कैंची चलाई, जिसमें हेमन्त ने कहा कि राज्य के तीन प्रमुख आइएएस ने विदेश यात्रा के नाम पर फर्जी वाउचर बनाकर आठ लाख की जगह 18 लाख रुपये ले लिये। जबकि  हिन्दुस्तान अखबार ने इस खबर को अंदर के पृष्ठों पर स्थान दिया।

सवाल तो रांची से प्रकाशित सारे अखबारों के संपादकों और मालिकों से, जब भाजपा की कोई सभा या रैली रांची या अन्यत्र होती हैं तो उनके लिये जनाब दो से छः पेज तक उपलब्ध कराते हैं, इसके प्रमाण विद्रोही24.कॉम के पास मौजूद हैं, जनता भी जानती हैं, पर झामुमो, झाविमो, कांग्रेस तथा अन्य पार्टियों के साथ उसका यह अनुचित व्यवहार क्यों?

आखिर सत्तारुढ़ दल से इतनी भक्ति क्यों? इसलिए कि वे आपकी पुस्तकों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह तक पहुंचाते हैं। इसलिए कि भाजपा वाले जब कोई विशेष कार्य करते हैं तो आपको उनके नेताओं के साथ सेल्फी खिंचवाने का मौका मिल जाता हैं। इसलिए कि वे आपको जमकर आर्थिक लाभ पहुंचाते हैं तथा आपके यहां कार्यरत पत्रकारों को विशेष लाभ दिलवाते हैं, उन्हें भारत के विभिन्न राज्यों तथा अन्य देशों की सफर करवाते हैं। अरे आप जो भी लाभ ले रहे हैं, लीजिये, उससे कोई मतलब भी नहीं जनता को, पर ये क्या जनता को उनके समाचार पाने के अधिकार से क्यों वंचित कर रहे हैं? लोकतंत्र का चीरहरण क्यों कर रहे हैं? आखिर यह देश व राज्य आपका भी तो हैं, उससे गद्दारी क्यों करते हैं?

राजनीतिक पंडित तो साफ कहते है कि आपने जो यह प्रक्रिया अपनाया हैं, वह प्रक्रिया आपको आत्महत्या की ओर ले जा रहा हैं, वो दिन आ भी रहा है कि लोग अखबारों व चैनलों से नफरत व घृणा करेंगे, और आप सम्मान पाने के लिए जनता का प्यार पाने के लिए दर-दर भटक रहे होंगे, पर जनता आपके आगे घास डालने को भी तैयार नहीं होगी।

विद्रोही 24.कॉम का मानना है कि ईमानदारी हर जगह जरुरी हैं, अगर आप अखबार व चैनल में हैं, तो जनहित की समाचारों को प्राथमिकता दीजिये, जरा धनबाद में दो दिन पहले सीएम रघुवर दास का जन आशीर्वाद यात्रा था, वहां प्रभात खबर ने तो अपने आपको रघुवर के आगे परोस दिया, छह-छह पेज रघुवर के चरणों में रख दिये गये। एक दिन तो उसके लिए भाजपावालों ने एक पेज का पेड न्यूज का विज्ञापन भी थमा दिया और अखबार वाले गदगद हो गये, अगर यहीं पत्रकारिता हैं तो हम ऐसे पत्रकार और पत्रकारिता को दूर से प्रणाम करते हैं।

और अंत में भाजपा को भी दो शब्द। जो आपने इन अखबारों को खरीदने का काम शुरु किया हैं, वह भी पेड न्यूज के माध्यम से, तो याद रखिये, आप भी विपक्षी दल की भूमिका में जल्द ही आने जा रहे हैं, फिर मत कहियेगा कि अखबारों को दूसरी सरकार ने खरीद लिया, क्योंकि खरीद-बिक्री के कारोबार को हवा आपने ही दिया हैं, जो ज्यादा बोल लगायेगा, अखबार उसके आगे अपने पैरों में पायल बांधकर ठूमरी गायेगा…