अपनी बात

रघुवर सरकार की करारी हार से अखबारों-चैनलों को लगा करारा झटका, जनता की गाढ़ी कमाई गई बच

अपने प्रचार-प्रसार के लिए करोड़ों रुपये पानी की तरह बहानेवाली रघुवर सरकार ने 24 दिसम्बर के लिए राज्य के सारे अखबारों को विशेष विज्ञापन देने की वह भी जैकेट की तैयारी कर ली थी, पर उसकी हुई करारी हार ने अखबारों व चैनलों को होनेवाली कमाई पर पानी फेर दिया, तथा इनके मालिकों और संपादकों को भी भारी नुकसान पहुंचा दिया।

राजनीतिक पंडित बताते है कि एक तरह से अच्छा ही हुआ, जनता की गाढ़ी कमाई एक बार फिर लूटने से बच गई, क्योंकि रघुवर सरकार की इमेज को बरकरार रखने की झूठी कसम खानेवाली कंपनियों ने तो इसकी व्यापक तैयारी कर ली थी, उन्होंने तो मान लिया था कि इस बार फिर रघुवर सरकार ही आयेगी, यहीं नहीं इनके इसी हौसले को देख मोतीचूर के लड्डू बनने शुरु हो गये थे, जो धरे के धरे रह गये।

राजनीतिक पंडितों का कहना है कि रघुवर सरकार के हारने से जो अखबारों व चैनलों के मालिकों और संपादकों को जो शुद्ध मुनाफा होना था, मुंह मांगी मुरादें मिलनी थी, उस पर सदा के लिए रोक लग गई, क्योंकि हेमन्त सोरेन जनता की गाढ़ी कमाई को लूटवाने से रहे।राजनीतिक पंडितों का तो ये भी कहना है कि जो हेमन्त अपने चुनाव प्रचार के दौरान किसी भी चैनल या अखबार को एक विज्ञापन नहीं दिये और जनता के आशीर्वाद से भारी मतों से स्वयं जीते, साथ ही अन्य दलों को जीतवा कर बहुमत प्राप्त किया।

अब उन्हें भी यह बात अच्छी तरह से मालूम हो गया होगा कि अखबार व चैनल की औकात जनता की नजरों में क्या हैं? यानी जिस रघुवर सरकार ने भारी संख्या में चुनाव की अधिसूचना के पूर्व तथा बाद में भी विज्ञापन देने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी, उस विज्ञापन के प्रलोभन का असर जब झारखण्ड की जनता पर नहीं पड़ा, तो अब चुनाव जीतने के बाद क्या होगा?

राजनीतिक पंडितों की मानें, तो हेमन्त सोरेन के सत्ता में आने के बाद विज्ञापन की पॉलिसी पर भी निर्णय होंगे कि आखिर कौन से विज्ञापन जनहित में हैं और कौन से विज्ञापन अखबार या चैनल के मालिकों/संपादकों के हित में हैं, जो जनहित में होंगे, वे प्रमुखता से छपेंगे और जो अखबारों/चैनलों के मालिकों/संपादकों के वित्तीय संवर्द्धन के होंगे, ऐसे विज्ञापनों से सरकार दूरियां बनायेंगी, क्योंकि जनता की अब तो एक तरह से राय हो गई कि वह विज्ञापनों के भंवर जाल में नहीं फंसती।

One thought on “रघुवर सरकार की करारी हार से अखबारों-चैनलों को लगा करारा झटका, जनता की गाढ़ी कमाई गई बच

  • जनता से लूट के पैसे से भरी विज्ञापन रूपी गगरी अब फूट चुकी है.

Comments are closed.