अपनी बात

तेजी से घटी लोकप्रियता CM रघुवर की, CM की सभा में बच्चे तो हेमन्त की सभा में दिख रही मतदाताओं की भीड़

झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास कितने लोकप्रिय है, इसका अंदाजा आप इसी से लगा लीजिये कि इनकी चुनावी सभा में अब मतदाताओं की संख्या कम, और बच्चों की संख्या ज्यादा होती हैं, ये बच्चे उनकी चुनावी सभा में भीड़ बढ़ाने का काम आजकल कर रहे हैं, पूर्व में जब चुनाव की घोषणा नहीं हुई थी, उस वक्त इनकी चुनावी सभा में भीड़ जुटाने का काम जिलाधिकारियों का होता था।

राज्य के विभिन्न जिलों के जिलाधिकारी आंगनवाड़ी सेविकाओं, सहियाओं, रसोइयों, पारा शिक्षकों तथा विभिन्न योजनाओं का लाभ ले रहे लोगों पर दबाव डालकर भीड़ जुटा दिया करते थे, पर अब चूंकि आदर्श आचार संहिता लागू हैं, तो बेचारे की हालत पस्त है। अगर मुख्यमंत्री रघुवर दास की चुनावी सभा की सही जानकारी लेनी हैं तो आप स्वयं मुख्यमंत्री रघुवर दास के फेसबुक पेज पर चले जाये और इनके द्वारा डाले गये फोटों को ध्यानपूर्वक देखें, आपको पता लग जायेगा कि इनकी चुनावी सभा में मतदाता रुचि ले रहे हैं या बच्चे।

सूत्र बताते है कि जिन्हें चुनावी सभा में भीड़ जुटाने का काम दिया गया हैं, उनकी हालत पस्त हैं। वे साफ कहते है कि राज्य में जब अमित शाह और जेपी नड्डा की सभा में भीड़ नहीं जुटती तो मुख्यमंत्री को कौन पूछे, वो भी ऐसे मुख्यमंत्री जिन्होंने पांच वर्षों तक जनता को कुछ समझा ही नहीं और न ही अपने कार्यकर्ताओं को सम्मान दिया। आश्चर्य इस बात की भी है कि इनके फेसबुक पेज में आनेवाले कमेन्ट्स की संख्या भी घट गई हैं, और जो कमेन्टस आ भी रहे हैं, उनमें आधे से ज्यादा कमेन्ट्स मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ होते हैं।

आश्चर्य इस बात की भी है कि रघुवर दास द्वारा जो पोस्ट फेसबुक पर किये जा रहे हैं, वो भी अजब-गजब प्रकार का है, जैसे इस पोस्ट को देखिये, जो तीन घंटे पहले किया गया है, जिसमें उन्होंने लिखा है – याद है न आपको वो 14 साल, जब रोज नए घोटाले सामने आते थे…वगैरह-वगैरह, जिस पर जनता ने इनको उनके ही पेज पर खूब खरी-खोटी सुनाई और यहां तक कह दिया कि उन 14 सालों में सर्वाधिक भाजपा की ही सरकार थी।

यानी ये जनाब खुद ही अपने सरकार पर अंगूलियां उठा रहे हैं और कह रहे है कि अगर कोई पाक-साफ रहा तो सिर्फ वे ही हैं और दूसरा कोई नहीं, जिसका परिणाम यह निकल रहा है कि जो भाजपा को चाहते भी हैं तो वे इनकी व्यक्तिवादी सोच के कारण, भाजपा से बिदकने को मजबूर हैं। प्रमाण आपके सामने हैं, ये हैं रघुवर दास का पोस्ट और उस पर की गई ये कमेन्ट्स, जो नीचे दिये गये हैं।

राजनीतिक पंडितों की मानें तो भाजपा को सर्वाधिक अगर किसी ने नुकसान पहुंचाया तो वे खुद इस राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास है, इन्होंने अपने व्यवहार और आचरण से राज्य के विपक्ष ही नहीं, बल्कि सत्तापक्ष में बैठे लोगों की धज्जियां उड़ाई, कार्यकर्ताओं के मनोबल को तोड़ा, ऐसे में चुनाव के समय फिर आप ये चाहेंगे कि लोग आपको साथ दें तो भाई ये अब संभव नहीं, इनको अभी भी चाहिए कि वे नेता प्रतिपक्ष हेमन्त सोरेन से सीखें कि जनता के साथ और कार्यकर्ताओं के साथ कैसा व्यवहार रखना चाहिए।

आज भी हेमन्त सोरेन की सभा में भारी भीड़ इसलिए आ रही हैं कि हेमन्त ने विपरीत परिस्थितियों में भी कार्यकर्ताओं व जनता का साथ नहीं छोड़ा और ये जनाब तो सत्ता आते ही कार्यकर्ताओं और जनता को उनकी औकात बतानी शुरु कर दी, ऐसे में अबकी बार विपक्ष, अगर 65 पार हो जाये और ये टुकुर-टुकुर ताकते रह जाये, तो इसमें किसी को कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए।