अपनी बात

कोलेबिरा की जनता ने भाजपा को किया दूर से प्रणाम, कांग्रेस-झाविमो प्रत्याशी पर जताया भरोसा

लीजिये, झारखण्ड के कोलेबिरा विधानसभा की जनता ने भी अपना फैसला सुना दिया। यहां की जनता भी अन्य जगहों की तरह भाजपा को पसन्द नहीं करती, कोलेबिरा में जनता के पास विपक्ष के रुप में दो विकल्प थे, एक झारखण्ड पार्टी को सहयोग दे रही झामुमो और राजद तो दूसरा कांग्रेस तथा कांग्रेस को सहयोग दे रही झाविमो। झाविमो के बंधु तिर्की को तो इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा और जैसा कि होता है, राजनीतिक दबाव बनाकर उन्हें जेल में भी डाल दिया गया, फिर भी विपरीत परिस्थितियों में कांग्रेस प्रत्याशी की जीत बहुत कुछ कह रही है।

जनता ने कहा – बीजेपी उसे पसन्द नहीं, विपक्ष में से कोई भी चलेगा, कोलेबिरा में कांग्रेस बनी पहली पसन्द

जनता ने तो कोलेबिरा में स्पष्ट कह दिया कि सभी चलेंगे, पर भाजपा नहीं चलेगी, अब जहां भी विकल्प होगा, तो जनता उन विकल्पों में से भी विपक्ष को ही चुनेगी, वह विपक्ष कांग्रेस, झामुमो, झाविमो, राजद या अन्य कोई भी दल हो सकता है। कोलेबिरा में भाजपा की हार के बाद, यहां के मुख्यमंत्री की लोकप्रियता तो साफ दिखाई पड़ रही है, कि जनता उन्हें कितना पसन्द करती है शायद इसीलिए मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कोलेबिरा चुनाव से खुद को अलग कर लिया था, जो उनका फैसला एक तरह से ठीक ही था।

इस चुनाव परिणाम के द्वारा जनता ने यह भी बता दिया कि अगर कोई नेता यह समझता है कि जनता उसकी जागीर है, वह जेल में भी रहकर जिसे भी खड़ा कर देगा, उसे जीतवा देगा, तो ये भूल जाये, जनता किसी के भी बहकावे या छलावे में नहीं आनेवाली, अब वोट उसी को जायेगा, जो विपक्ष में भी साफ-सुथड़ा छवि का होगा, यानी जनता को अब पहली पसन्द स्वच्छ छवि का उम्मीदवार है, ये बातें सारे राजनीतिक दलों को समझ लेनी चाहिए।

कांग्रेस के लिए कोलेबिरा सीट सम्मान से जुड़ा था, साथ ही झाविमो के लिए भी जीवन और मरण का प्रश्न था, क्योंकि अगर कांग्रेस का प्रत्याशी हारता तो फिर ऐसे में झामुमो और मजबूती से अपना पक्ष रखता, पर कांग्रेस के प्रत्याशी की जीत ने कांग्रेस समर्थकों तथा कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार कर दिया। दरअसल कांग्रेस प्रत्याशी की जीत, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार सिंह के नेतृत्व की भी जीत नहीं, ये जीत उन कांग्रेसियों का है, जिन्होंने कई वर्षों से इस इलाके में कांग्रेस का अलख जगाया, जिसमें इसी इलाके के कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता थियोडोर किड़ो को नजरंदाज नहीं किया जा सकता।

कांग्रेस और झाविमो के नेताओं ने की कड़ी मेहनत, जनता ने दिया मेहनत का फल

इस जीत ने कांग्रेस को एक संदेश भी दिया कि अगर एक रहे तो जीत होगी और अगर बंट गये तो गये काम से, पता नहीं ये बातें कांग्रेसियों को समझ आयेगी या नहीं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुबोध कांत सहाय की इस प्रकरण पर खुलकर सराहना करनी होगी। इस जीत में झारखण्ड विकास मोर्चा के वरिष्ठ नेता बाबू लाल मरांडी की भी जबर्दस्त भूमिका थी, जो लोग ये कह रहे थे कि झाविमो और कांग्रेस के दिन लद गये, उनके लिए आज का दिन झटके से कम नहीं है, झाविमो सुप्रीमो बाबू लाल मरांडी ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार सिंह समेत अपने उन सारे विरोधियों को भी बता दिया कि अभी भी वे झारखण्ड की राजनीति में अव्वल है, जीत के लिए कौशल व रणनीति कहीं ज्यादा काम करती है।

कोलेबिरा में एक बार फिर थियोडोर किड़ो बने नायक, पूर्व में किये गये आंदोलन काम आये

कोलेबिरा क्षेत्र की राजनीति के बारे में जिन लोगों को थोड़ी सी भी जानकारी है, वे इस बात को भी अच्छी तरह महसूस करते है कि कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता थियोडोर किड़ो के सहयोग के बिना ये जीत संभव नहीं थी। वर्ष 2017 में सीएनटी-एसपीटी संशोधन के खिलाफ, इस इलाके में चलाये गये, उनके नेतृत्व में विशेष अभियान तथा सेंगेंल आंदोलन ने, कांग्रेस को संजीवनी दी। यहीं नहीं इस अभियान के दौरान थियोडोर किड़ो ने झारखण्ड पार्टी के एनोस एक्का को भी कड़ी टक्कर दी, तथा टारगेट पर रखा।

सूत्र बताते है कि थियोडोर किड़ों के नेतृत्व में चलाये गये सेंगेंल आंदोलन का ही प्रभाव था कि झारखण्ड पार्टी के परम्परागत वोटर रहे लम्बोई, घुटबहार, बम्बलकेरा आदि गांवों के लोग भी इस आंदोलन में शामिल हुए, जिसमें कई गांवों के अलावा, उपर्युक्त गांव के हजारों लोगों ने एनोस एक्का के घर का घेराव किया था। बताया जाता है कि उपर्युक्त गांव के लोगों द्वारा झारखण्ड पार्टी को छोड़कर, कांग्रेस के साथ आना ही इस जीत की बुनियाद है।

सूत्र बताते है कि ऐसा करना, सब के बूते की बात नहीं थी, ये थियोडोर किड़ो का ही कमाल था, जिनकी राजनीतिक रणनीति व दूरदर्शिता ने 1952 से लगातार झारखण्ड पार्टी को वोट देते आये लम्बोई, घुटबहार जैसे गांवों के मतदाताओं ने पहली बार कांग्रेस के पक्ष में भारी मतदान किया। सूत्र बताते है कि यही हाल रेंगारीह के मतदाताओं का रहा, जिन्होंने कांग्रेस के हाथ मजबूत किये, जिसका असली श्रेय थियोडोर किड़ो को जाता है, यहीं नहीं थियोडोर किड़ो ने अपनी रणनीतिक कौशल से सेंगेल पार्टी को भी इस क्षेत्र में रोकने का काम किया।

कोलेबिरा में हालांकि कांग्रेस ने अपना परचम लहरा दिया है, कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार नमन विक्सल कोंगाड़ी ने शानदार जीत हासिल की है, संयोग यह भी है कि कल से झारखण्ड विधानसभा का शीतकालीन सत्र भी प्रारम्भ हो रहा है, यह शुभ संकेत कांग्रेस और उनके साथ कदम से कदम मिलाकर चलनेवाली क्षेत्रीय दलों के लिए भी अहम है, अगर सभी मिलकर साथ चलें तो हमें नहीं लगता कि भाजपा आनेवाले विधानसभा चुनाव में डबल डिजिट पर दिखाई पड़ेगी, ऐसे तो लोकसभा चुनाव में भी लगता है कि जनता ने निर्णय कर लिया है कि इस बार झारखण्ड से भाजपा की विदाई कर देनी है, ऐसे में अगर कांग्रेस तथा उसकी सहयोगी पार्टियों ने अगर अच्छे तथा जुझारु लोगों को टिकट दिये तो समझ लीजिये ये कांग्रेस के सेहत के लिए भी अच्छा होगा, क्योंकि जनता साफ और स्वच्छ चरित्र वाले को चुनना ज्यादा पसंद करती है।