राजनीति

झारखण्ड में भ्रष्टाचार और बेईमानों के खिलाफ अकेला लड़ रहा मंत्री सरयू राय

रघुवर सरकार में कहने को तो दस मंत्री हैं, पर पुरुषार्थ से भरा सिर्फ एक ही मंत्री है, जिनका नाम है सरयू राय, जो खुलकर सत्य बोलने का साहस रखते हैं, बाकी सारे मंत्री कौरव सभा में बैठे, उन सभासदों जैसे लगते हैं, जिन्होंने भरी सभा में बैठकर द्रौपदी का लाज लूटता देखा और मौन रहे। क्या ऐसे लोग झारखण्ड की जनता की सेवा कर रहे हैं या जनता को धोखा दे रहे हैं?

झाविमो की टिकट पर चुनकर, अपने मतदाताओं से चीटिंग कर, भाजपा में शामिल हो गये विधायकों और उसके बाद मंत्री बने तथा विभिन्न निगमों-बोर्डों में मंत्रीस्तर का सुख भोग रहे इन मंत्रियों और विधायकों पर कुछ लिखना और बोलना अपने मत्थे पाप मढ़ने के बराबर है, ऐसे लोग जो मतदाताओं को धोखा देकर मंत्री या विभिन्न बोर्डों-निगमों के अध्यक्ष बनते हैं, ऐसे लोगों का तो चेहरा देखना भी पाप हैं। ये देश की न्यायिक व्यवस्था को भले ही धोखा दे दें, पर ईश्वर की नजरों में, मतदाताओं के नजरों में बहुत बड़े गुनहगार हैं, इनके गुनाहों की सजा को कमतर आंकना भी पाप है और इन्हें इनके किये पापों को क्षमा भी नहीं किया जा सकता।

और अब बात भाजपा के अंदर या भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े विधायकों तथा उसके बाद मंत्री पद का परम सुख प्राप्त कर रहे मंत्रियों से, जब आप सत्य बोल नहीं सकते, सत्य रख नहीं सकते तो फिर मंत्री बनने के समय जब शपथ ले रहे होते हो, तो झूठ क्यों बोलते हो? क्या उस वक्त आप अपनी आत्मा को शरीर से बाहर निकाल कर शपथ कर रहे होते हो? शर्म करो, ऐसे मंत्रियों व विधायकों, शर्म करो।

और अब बात सीएम रघुवर दास की चूलें हिला देनेवाले एकमात्र मंत्री सरयू राय की। राज्य के खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने मुख्य सचिव राजबाला वर्मा को क्लीन चिट देने के फैसले पर ही सवाल उठा दिया है। उनका कहना है कि नियम, कानून, संविधान के प्रावधान के अनुसार विधि सम्मत निर्णय लिया जाता तो किसी भी मामले में मुख्य सचिव राजबाला वर्मा को क्लीन चिट नहीं दिया जा सकता था, क्योंकि उन पर लगे सारे आरोप बहुत ही गंभीर है।

उनका कहना था कि क्या ये सही नहीं हैं, कि चारा घोटाले मामले में 15 वर्षों तक पीपी शर्मा से लेकर आरएस शर्मा तक ने जवाब मांगा? पर राजबाला वर्मा ने कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया। कोषागार से निकासी मामले में डीसी जिम्मेवार है और यह एक महत्वपूर्ण कामों में से एक है, अधीनस्थों पर आप अपनी जिम्मेवारी कैसे डाल सकते है? सरयू राय कहते है कि सीबीआई और कोर्ट ने कहा कि लघु दंड दीजिये, इसमें सरकार द्वारा गठित जांच संचालन समिति या पदाधिकारी द्वारा विचार के बाद निर्णय लिया जा सकता था, मामले में महाधिवक्ता की कोई भूमिका ही नहीं हैं, महाधिवक्ता का दायित्व है कि विधि अनुसार सलाह दे, पर मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव राजबाला वर्मा को बचाने के लिए सारे नियमों व कानूनों की अवहेलना कर दी।

सूत्र कहते है कि सरकार का ये कहना की चेतावनी देकर, सीएस की फाइल बंद कर दी, यह कार्रवाई ही पूर्णतः गलत है, क्योंकि ऑल इंडिया सर्विसेज(डिस्पिलीन एंड अपील) रुल्स 1969 में चेतावनी को माइनर पेनाल्टी नहीं माना गया हैं। इसमें निन्दन, प्रमोशन पर रोक, वेतन की कटौती को ही पेनाल्टी माना गया है। ज्ञातव्य है कि सीबीआई ने चाईबासा ट्रेजरी से अवैध निकासी मामले में सरकार को राजबाला वर्मा के खिलाफ माइनर पनिशमेंट के लिए कार्रवाई को कहा था,  जिसे सरकार ने पूर्णतः नजरंदाज किया और राजबाला वर्मा के अवकाश ग्रहण के ठीक एक दिन पूर्व राजबाला वर्मा से संबंधित कार्रवाई करने की फाइल बंद कर दी।

अब समझ लीजिये किस प्रकार चल रही हैं? यहां की रघुवर सरकार और यह है मुख्यमंत्री रघुवर दास का ईमानदार, पारदर्शी तथा सत्यनिष्ठ सरकार, जिसे केन्द्र के महान एवं एकमात्र देशभक्त, राष्ट्रभक्त प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व गुजरात में जन्मे महान राष्ट्रवादी, एकमात्र अहिंसावादी सन्त, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का वरदहस्त प्राप्त है।

One thought on “झारखण्ड में भ्रष्टाचार और बेईमानों के खिलाफ अकेला लड़ रहा मंत्री सरयू राय

  • Gunjan

    Bahut badhia pundit ji

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