लोकतांत्रिक मर्यादाओं को मिटाने में तुली हेमन्त सरकार को केन्द्र ने दिखाई अपनी ताकत, देवघर एम्स के OPD का उद्घाटन कार्यक्रम स्थगित

अगर गोड्डा के भाजपा सांसद डा. निशिकांत दूबे ने अपनी अभिव्यक्ति के माध्यम से राज्य सरकार को चुनौती दी है, तो ये कही से भी गलत नहीं हैं। आज की घटना क्लियर करती है कि राज्य में ममता बनर्जी वाली शैली में हेमन्त सरकार चल रही है। जो राजनीति में शुचिता को अब समाप्त करने पर तुली है। राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी ने जो आज पत्र सीएम हेमन्त सोरेन को भेजा हैं और जिस प्रकार एम्स मामले में राज्य सरकार की हरकतों पर सवाल उठाए हैं तथा यह कह दिया कि इससे गलत परम्परा की शुरुआत होगी, तो वह भी गलत नहीं हैं।

इसमें कोई दो मत नहीं कि राज्य की हेमन्त सरकार गलतियां पर गलतियां करती चली जा रही हैं, जिसको लेकर उच्च न्यायालय, विपक्ष, आम जनता और अब केन्द्र सरकार भी नाराज हो चली है, तभी तो राज्य सरकार की सोच पर ही केन्द्र ने पानी फेर दिया और एम्स के कार्यक्रम को अगले तिथि तक के लिए स्थगित कर दी, अब जीत किसकी हुई समझते रहिये?

लेकिन इतना तो तय हो गया कि राज्य सरकार की हठधर्मिता के कारण राज्य की जनता को को स्वास्थ्य के क्षेत्र में फिलहाल बहुत बड़ा नुकसान हो गया। ऐसे भी जो लोग जानते हैं, उन्हें पता है कि एम्स को देवघर लाने में हेमन्त सरकार की नहीं, बल्कि गोड्डा के भाजपा सांसद डा. निशिकांत दूबे की बहुत बड़ी भूमिका रही हैं, और इससे राज्य की जनता को बड़ा लाभ मिलनेवाला था, पर जिला प्रशासन और राज्य सरकार ने सब गड्मगड्ड कर दिया, ऐसे भी इन्हें गड्मगड्ड करने के सिवा कुछ आता भी है क्या?

इस स्थगन के बाद भाजपा सांसद डा. निशिकांत दूबे ने क्या कहा, उसे देखिये…  “मैं व्यक्ति विशेष नहीं गोड्डा का सांसद हूँ, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी। अपने अर्दली देवघर ज़िला उपायुक्त को बता दीजिए की घटिया मानसिकता व शब्दों का प्रयोग नहीं करे। यह एम्स माननीय प्रधानमंत्री जी का बहुमूल्य तोहफ़ा है। हेमंत सोरेन जी आपने दो बार माननीय मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन जी को देवघर आने से रोका। केन्द्र सरकार ने अपमान झारखंड की जनता के लिए पी लिया। अब आपका उपायुक्त कह रहा है कि कोई राजनीतिक व्यक्ति यानि मैं, विधायक नारायण दास जी एम्स नहीं घुस सकते। भाजपा इस हरकत को बर्दाश्त नहीं करेगी। अब एम्स का उद्घाटन मंत्री हर्षवर्धन जी देवघर आकर खुद करेंगे।”

डा. निशिकांत दूबे की ये वेदना स्पष्ट रुप से कह देती है कि एम्स के नाम पर हेमन्त सरकार और उसके अधिकारी रांची से लेकर देवघर तक क्या कर रहे थे? शर्म आनी चाहिए, ऐसी सोच और ऐसे अधिकारियों व नेताओं को जो राज्य की जनता की सेवा की बात तो करते हैं और जब सेवा की बातें आती हैं तो उसमें अपनी घटिया स्तर की सोच व राजनीति घुसेड़ देते हैं। जरा देखिये राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी ने सीएम हेमन्त सोरेन केो अपने पत्र में क्या लिखा…

माननीय मुख्यमंत्री जी,

झारखण्ड के लिए गौरव की बात है कि केन्द्र सरकार ने देवघर में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की स्थापना कर यहां के लोगों के लिए तोहफा दिया है और अब 26 जून को नवनिर्मित AIIMS, देवघर में OPD का उद्घाटन होना प्रस्तावित है। आप तो अवगत होंगे ही कि सरकारी योजना के किसी भी कार्यक्रम शिलान्यास / उद्घाटन में स्थानीय सांसद एवं विधायक विधिवत आमंत्रित किए जाते हैं।

लोकतंत्र में यह परम्परा चली आ रही है एवं स्थानीय सांसद / विधायक का विशेषाधिकार भी है, लेकिन आपके नेतृत्व में चल रही सरकार ने इस लोकतांत्रिक व्यवस्था चली आ रही परम्परा को ही तोड़ने का काम कर रही है। किसी भी सरकार ने इस तरह का कार्य अभी तक नहीं किया है। जैसा कि जानकारी मिली है Covid Protocol की वजह से पाँच ही लोगों को AIIMS, O.P.D उद्घाटन समारोह में उपस्थित रहने की स्वीकृति दी जा रही है, जिसमें स्थानीय सांसद को सशरीर उपस्थित रहने का आमंत्रण नहीं दिया गया है, जो सामान्य शिष्टाचार के प्रतिकुल है।

केन्द्र सरकार की किसी भी संस्था के उद्घाटन कार्यक्रम में अतिथियों के नाम संबंधित मंत्रालय या संस्था तय करती है, लेकिन उक्त कार्यक्रम में राज्य सरकार / देवघर जिला उपायुक्त अतिथियों के नाम तय कर रही है, जो एक गलत और अलोकतांत्रिक प्रक्रिया की शुरूआत होगी। राज्य के मुख्यमंत्री होने के नाते यह महत्वपूर्ण एवं गंभीर मसले की जानकारी देने के लिए पत्र लिख रहा हूँ। यदि ऐसा होता है तो एक गलत परम्परा की शुरूआत होगी जो भविष्य के लिए उदाहरण बन जाएगा और आनेवाली सरकार भी इसी नक्शे कदम पर चलने के लिए मजबूर होगी।

केन्द्र अथवा राज्य सरकार के किसी भी सरकारी कार्यक्रम में स्थानीय सांसद / विधायक की विधिवत उपस्थिति अनिवार्य है लेकिन देवघर AIIMS के OPD उद्घाटन कार्यक्रम में देवघर उपायुक्त द्वारा अतिथियों का नाम पक्षपातपूर्ण तरीके से तय करते हुए स्थानीय सांसद को कार्यक्रम में सशरीर उपस्थिति से रोकना सांसद के अधिकार का हनन भी है। अतएव आपसे अपेक्षा करता हूँ कि देवघर AIIMS के OPD उद्घाटन कार्यक्रम समारोह में स्थानीय सांसद की सशरीर उपस्थिति विधिवत सुनिश्चित कराऐंगे ताकि लोकतंत्र की गरिमा बनी रहे एवं गलत परम्परा की शुरूआत नहीं हो सके।

सधन्यवाद!

बाबू लाल मरांडी

अब इस पत्र का भी क्या मतलब? बात तो हाथ से निकल गई। हेमन्त सरकार की हठधर्मिता तथा भाजपा नेताओं से उनके द्वारा की जा रही घृणा ने आम जनता के सामने सब कुछ क्लियर कर दिया कि इस सरकार में फिलहाल हो क्या रहा हैं? साफ है कि मैं चाहे ये करुं, मैं चाहे वो करुं, मेरी मर्जी। हम किसी की नहीं सुनेंगे। हम कोई मर्यादा में नहीं रहेंगे। राज्य में कोई कांड हो जाये, घोटाला हो जाये, गड़बड़ियां हो जाये, कोई नहीं बोले और अगर बोलेगा तो राजकीय दंड भुगतने कौ तैयार रहे, मतलब लोकतंत्र खत्म।