अपनी बात

भाजपाइयों ने स्कूली बच्चों को भी नहीं छोड़ा, और उन्हें जन-आशीर्वाद यात्रा की सेवा में लगा दिया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल, राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास, राज्य की मानव संसाधन मंत्री नीरा यादव खुद बताएं कि क्या अपना चेहरा चमकाने तथा अपनी पार्टी के प्रचार के लिए बच्चों को राजनीति में झोंकना अपराध नहीं, उनके गले में अपनी पार्टी का पट्टा डलवाना, उन्हें भाजपा का टोपी पहनाना, उन्हें अपने स्वागत के लिए सड़कों पर घंटों खड़ा करना क्या अपराध नहीं? आखिर इस पर संज्ञान कौन लेगा?

राज्य में भाजपा ने सारे नैतिक मूल्यों को ताक पर रख दिया हैं, और अपनी हठधर्मिता के आगे, स्वयं को सर्वश्रेष्ठ घोषित कराने, अपनी आरती उतरवाने व जय-जयकार करवाने में अब स्कूल में पढ़नेवाली छात्र-छात्राओं को लगा दिया हैं, अब सवाल उठता है कि क्या अभिभावक सरकारी स्कूलों में अपने बच्चों को इसलिए भेजते है कि उनके बच्चे नेताजी की आरती उतारे, उनकी जय-जयकार करें।

सवाल तो यह भी उठता है कि जब सरकारी स्कूल में पढ़नेवाले बच्चों को नेताजी की पार्टी के लिए काम करने को कहा जा सकता हैं, तो निजी विद्यालयों जहां बड़े-बड़े नेताओं, प्रशासनिक अधिकारियों, धनाढ्यों के बच्चे पढ़ते हैं, उनके यहां ये सब क्यों नहीं दिखाई पड़ता? आज गिरिडीह की सड़कों पर जो कुछ देखने को मिला, वो शर्मनाक है।

बताया जा रहा है कि आज मुख्यमंत्री रघुवर दास गिरिडीह के कुछ इलाकों में जन-आशीर्वाद यात्रा पर हैं, जन-आशीर्वाद यात्रा जिस सड़क मार्ग से निकलनी हैं, वहां की सड़कों के किनारे सरकारी स्कूलों में पढ़नेवाले बच्चों को भाजपा टोपी व भाजपा का पट्टा पहनाकर खड़ा कर दिया गया हैं, अब सवाल है कि जिन्हें वोट देने का अधिकार नहीं, उनसे अपना प्रचार करवाना, उनका मानसिक शोषण करना,कहां तक उचित हैं?

आखिर इस अपराध के लिए कौन दोषी हैं? आखिर इसके लिए किसे दंडित किया जाये? ये तो गिरिडीह के उपायुक्त को बताना ही चाहिए, तथा बताना चाहिए शिक्षा विभाग से जुड़े मंत्रियों/अधिकारियो तथा बाल विकास से जुड़े मठाधीशों को, कि आखिर ये सब हो क्या रहा हैं? पर ये बोल पायेंगे, ऐसा फिलहाल दिखता नहीं, क्योंकि सभी एक ही मंत्र जपने में लगे हैं – हर-हर रघुवर, जय-जय रघुवर।