अपनी बात

CM बताएं, जो गांधी के आदर्शों का सम्मान नहीं करें, उसे क्या हक है, गांधी की 150 वीं जयन्ती मनाने की?

नाम प्रकाश मंडल, निवास सरिया (गिरिडीह) मांग बहुत ही छोटी, वह भी जायज, मांग भी अपने लिए नहीं बल्कि सरिया की महत्वपूर्ण समस्या जिसके कारण लोगों की जिंदगी नरकमय हो गई है, सरिया रेलवे फाटक पर एक ओवरब्रिज बनाने की, पर सरकार तो सरकार हैं, वो एक सामान्य सामाजिक कार्यकर्तासत्याग्रही की क्यों सुनेगी? वो तो उसके मन में जो आयेगा करेगी और कोई ज्यादा बोलेगा तो दस झूठे केस ठोकवा देगी, जेल में बंद करा देगी, जैसा कि ब्रिटिश हुकुमत में हुआ करता था।

प्रकाश मंडल 30 जनवरी 2019 से रांची के मोराबादी स्थित बापू वाटिका के समीप एक छोटा सा टेंट लगाकर सत्याग्रह पर बैठे हैं, पर राज्य केन्द्र सरकार के बड़ेबड़े नेता इधर से गुजरते हैं, पर किसी का ध्यान उस पर नहीं जाता, यहीं नहीं यहां सत्याग्रह करने के कारण प्रकाश पर लोकसभा चुनाव के दौरान केस भी ठोक दिया गया, लेकिन इन सबसे अलग वह अपनी सत्याग्रह जारी रखे हुए हैं।

इधर प्रकाश के सत्याग्रह से सर्वाधिक कष्ट राज्य सरकार को हैं, तभी तो कल महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती वर्ष के अवसर पर एक सत्याग्रही को देखना पसन्द नहीं की, और रघुवर सरकार के इशारे पर लालपुर पुलिस ने उसे आज गिरफ्तार कर लिया, अब सवाल उठता है कि गांधी से बड़ा कोई सत्याग्रही हो नहीं सकता और गांधी के सत्याग्रह को जब कोई अपना हथियार बना समाजोपयोगी मांग रखता हैं, उस बंदे की कोई सुनें और सीधे उसे गिरफ्तार कर लिया जाये, इसे आप क्या कहेंगे? गांधी के आदर्शों का सम्मान या अपमान? और जो गांधी के आदर्शों का सम्मान नहीं करें, उसे क्या हक हैं, गांधी की 150 वीं जयन्ती मनाने की।

मत भूलिये कि यह प्रकाश मंडल इधर सत्याग्रह पर बैठा है, और उधर उसकी मंझली चाची का निधन हो जाता है, पर वह समाज के लिए मंझली चाची की निधन की खबर सुनकर भी अंत्येष्टि में भाग नहीं ले पाता, क्योंकि वह तो सत्याग्रह पर बैठा है, यहीं नहीं जहां वह सत्याग्रह पर बैठा हैं, वहां चोरउचक्के भी कम उसे परेशान नहीं कर करे, कभी उसकी टिफिन तो कभी उसके मोबाइल की चोरी कर ले भाग जा रहे हैं, अब सवाल उठता है कि जिस देश राज्य की सरकार गांधी के सत्याग्रह सत्याग्रही को सम्मान दें तथा उसकी उचित मांगों को भी पूरा करने की पहल नहीं करें, उसे क्या हक हैं महात्मा गांधी का नाम भी अपने होठों पर लेने की?