अपनी बात

प्रभात खबर ने झारखण्ड स्थापना दिवस में जुटी भीड़ से पर्दा उठाया, भीड़ आई नहीं, लाई गई

झारखण्ड स्थापना दिवस के अवसर पर रांची के मोराबादी मैदान में आयोजित विशेष सरकारी कार्यक्रम में आम जनता ने अपनी दूरी पूर्व की तरह बनाये रखा, इस कार्यक्रम में वे ही लोग आये, जो विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ ले रहे हैं या उससे जुड़े हैं। प्रभात खबर ने इस बात को बहुत ही शानदार ढंग से उठाया है। आप प्रभात खबर के पृष्ठ संख्या 8 को देखें। शीर्षक है – नौ बजते ही हर कदम बढ़ चले थे, मोरहाबादी की ओर। इस शीर्षक को पढ़कर लगेगा कि सीएम रघुवर दास बहुत ही लोकप्रिय है, उनके द्वारा चलाये जा रहे विभिन्न योजनाओँ से राज्य की जनता प्रसन्न हैं, पर जैसे ही इसी पृष्ठ पर छपे समाचार, कॉलम एक पर आप नजर डालेंगे, आपको ये जानते देर नही लगेगी कि ये भीड़ कैसे और क्यों इकट्ठी हुई? कैसे भीड़ दिखाने के लिए सरकारी कर्मचारियों को झोंक दिया गया?

जरा देखिये, इस अखबार ने सीएम रघुवर दास के इस कार्यक्रम की धज्जियां उड़ा दी हैं और कार्यक्रम में जुटी भीड़ की पोल खोल दी हैं। अखबार के अनुसार भीड़ आई नहीं, लाई गई। भीड़ में वे लोग शामिल थे – जो राज्य द्वारा संचालित विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ ले रहे हैं, या उन योजनाओं से जुड़े हैं। इसका मतलब है कि राज्य के सभी जिलों के उपायुक्तों ने भीड़ को यहां भेजने में कड़ी मेहनत की, अगर भीड़ नहीं जुटती तो हो सकता है कि उन उपायुक्तों को सीएम और मुख्य सचिव का कोपभाजन बनना पड़ता, अब वैसी बात नहीं है, सभी ने मिलकर भीड़ जुटाई, अच्छी भीड़ जुटाई, इसके लिए सभी उपायुक्तों को बधाई भी दे दी गई हैं।

प्रभात खबर ने कॉलम एक में भोजन की थी व्यवस्था नामक शीर्षक से जो समाचार छापा है, उसमें लिखा हैं – लगभग हर जिले से लोग यहां पहुंचे थे। अलग-अलग योजनाओं के लाभुकों और सरकारी कामकाज से जुड़े लोगों को लाया गया था। जिन विभागों ने इन लोगों को लाया था। उनके लिए विभागीय स्तर पर लंच की व्यवस्था की गयी थी।

ठीक इसके नीचे महिलाओं की भागीदारी दिखीं, नामक शीर्षक से जो समाचार छपा है, उसमें साफ लिखा है कि – कार्यक्रम में महिलाओं की भागीदारी ज्यादा दिखी। आंगनवाड़ी सेविकाओं के साथ ही स्वयं सहायता समूह की महिलाएं, एएनएम, स्वच्छता मिशन में काम करनेवाली महिलाएं, कृषक मित्र, पशुपालन कर्मी, उद्यान मित्र भी पहुंचे। बड़ी संख्या में योजनाओं के लाभुक व नियुक्ति पत्र लेनेवाले लोग भी पहुंचे।

यानी अब भीड़ जुटाने के लिए रघुवर सरकार ने उपायुक्तों से ये सब काम कराना भी शुरु करा दिया और धन्य है राज्य के विभिन्न जिलों में कार्यरत उपायुक्त जो अब राज्य की जनता की सेवा करने के बजाय, सीएम के लिए भीड़ जुटाने का काम करने लगे तथा अपने जिलों में कार्यरत सरकारी सेवकों को बंधुआ मजदूरों की तरह ट्रीट करते हुए, उन्हे ऐसी जगह भेज रहे हैं, जहां उन्हें भेजने का कोई औचित्य ही नहीं, क्या सचमुच राज्य सरकार द्वारा संचालित योजनाओं में शामिल होनेवाले लोगों को सीएम के कार्यक्रम में भाग लेना जरुरी है, या योजनाओं के क्रियान्वयन में भाग लेना जरुरी। हद कर दी हैं इस रघुवर सरकार ने।