अपनी बात

तो क्या ये समझा जाय हेमन्त बाबू कि झारखण्ड जंगल राज की ओर बढ़ रहा है…

राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी का ये बयान है, जो सोशल साइट फेसबुक पर उल्लेखित है “राँची के हाई सिक्योरिटी जोन मोराबादी में दिनदहाड़े गोलीबारी की घटना राजधानी की विधि-व्यवस्था की पोल खोलती है। उपायुक्त आवास के सामने अपराधी गोली चलाकर पैदल निकल जाते हैं। अब इसे जंगलराज नहीं कहें तो क्या कहें? अपराधियों की बढ़ती हिम्मत के सामने अब प्रशासन घुटने टेक चुका है।”

हालांकि बाबू लाल मरांडी जो राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं, भाजपा ने जिन्हें अपने दल का नेता भी चुन रखा हैं, पर आपने उन्हें विरोधी दल का नेता का दर्जा तक नहीं दिया है, और न देंगे, ऐसे में आप उनके बयानों को भी नजरंदाज कर सकते हैं, पर क्या जनता की सोच को आप नजरंदाज कर सकते हैं। दरअसल इस समाचार में दिये गये संबंधित चित्र के इस शीशे में दीख रही अपराधियों द्वारा की गई छेद राज्य की पूरी विधि-व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है।

इस छेद से पूरे झारखण्ड में जो राज्य सरकार का भयावह चेहरा दिख रहा हैं, वो बताने के लिए काफी है कि लोग आपकी इस कार्य प्रणाली से संतुष्ट नहीं हैं। आप लाख दारोगा रुपा तिर्की और लाल जी यादव की मौत को आत्महत्या साबित कर दें, पर जनता ये मानने को तैयार ही नहीं कि इन्होंने आत्महत्या की होगी, ये जनता की राय है और जनता की राय को बदलने की ताकत किसी में नहीं होती। धनबाद में एक न्यायाधीश की दिनदहाड़े हत्या भी बताने के लिए काफी है कि राज्य किस मुहाने पर आकर खड़ा हो गया है।

रांची के चान्हो में जिस प्रकार चलती कार में एक नाबालिग का गैंग रेप किया गया। गुमला में जिस प्रकार नौवीं की छात्रा से छह युवकों ने दुष्कर्म किया। जरमुंडी में जिस प्रकार नाबालिग से छह युवकों ने दुष्कर्म किया। खलारी में जिस प्रकार छापेमारी करने गई एटीएस की टीम पर हमला कर, उन्हें बंधक बना लिया गया और हथियार छीन लिये गये। चाईबासा में जिस प्रकार कोल्हान अलग देश की मांग की बात को लेकर जो बखेड़ा हो गया, वहां पुलिस बल का प्रयोग करना पड़ा, बताने के लिए काफी है कि झारखण्ड का भविष्य सुखद नहीं।

ये ठीक है कि आपका आनेवाले समय में जब भी कभी नाम आयेगा तो आपका नाम मुख्यमंत्री के तौर पर लिया जायेगा, पर आपके पांच साल के कार्यकाल को लोग किस प्रकार याद करेंगे, ये तो आपको ही तय करना है, दो साल तो आप बीता ही चुके, तीन साल बचे हैं, जिस प्रकार आपका शासन चल रहा है, वो बताने के लिए काफी है कि जनता आपसे तंग आ चुकी है।

जहां लड़कियां सुरक्षित नहीं, व्यवसायी सुरक्षित नहीं, खुद पुलिस सुरक्षित नहीं तो फिर यहां कौन सुरक्षित है? और ये शासन किसके लिए? आज जिस प्रकार रांची के सड़क पर गोलीकांड हुए, वो कोई साधारण इलाका नहीं। वहां सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री के आवास है, उपायुक्त के आवास है, मंत्रियों के आवास है, 500 मीटर के आस-पास की बात करें तो वहां क्या नहीं हैं, राजभवन, मुख्यमंत्री आवास तक शामिल हैं, और इस इलाके में गोलीकांड हो जाये, तो शर्मनाक तो हैं ही। ऐसे इसके बावजूद भी पुलिस के लोग अपनी पीठ थपथपालें तो फिर क्या कहने? अभी भी वक्त हैं, अपने शासन को संभालिये, बेहतर ढंग से संभालिये, नहीं तो तीन साल के बाद शासन दूसरे के हाथ में जाना सुनिश्चित है।