बिजली-पानी के मुद्दे पर धनबाद भाजपा विधायक राज सिन्हा बैठे 72 घंटे के धरने पर, सामाजिक संगठनों ने दिया समर्थन, प्रशासन ने साधी चुप्पी

धनबाद में बिजली-पानी के लिए हाहाकार है। आम जनता बिजली पानी के लिए तरस रही है, पर स्थानीय प्रशासन या राज्य सरकार को इससे क्या मतलब? दो साल बीत चुके हैं, और तीन साल बीता देना है, फिर दूसरे की सरकार आयेगी, वो समझता रहे, शायद इसी ढर्रे पर यहां की सरकार और स्थानीय प्रशासन चल रहा हैं, नहीं तो धनबाद में बिजली और पानी की ऐसी दयनीय स्थिति कभी नहीं होती।

भाजपा विधायक राज सिन्हा लोगों को बिजली-पानी की समस्या से निजात मिले, इसके लिए वे आज धनबाद के रणधीर वर्मा चौक पर धरने पर बैठ गये हैं। उनका ये धरना कोई एक दिन का नहीं, बल्कि पूरे 72 घंटे का है। चूंकि मामला जनसमस्या से जुड़ा हैं, इसलिए धनबाद के सारे सामाजिक संगठन उनके साथ हैं, हालांकि कई राजनीतिक दलों की मजबूरियां हैं कि वे इस मुद्दे पर डायरेक्ट उनका समर्थन नहीं कर सकते, पर उनकी सहानुभूति उनके साथ यहां साफ दीख रही हैं।

जब विद्रोही24 ने राज सिन्हा से उनके इस आंदोलन को लेकर बातचीत करने के लिए सम्पर्क किया, तब उन्होंने इस मुद्दे पर खुलकर बातचीत की। उनका कहना था कि वे इस मुद्दे पर स्थानीय प्रशासन से मिले, राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से मिले, इस मुद्दे के विधानसभा के पटल पर रखा, इस विभाग के मंत्री से मिले, पर किसी के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी, ऐसे में उनके पास और क्या विकल्प रह जाता है?

राज सिन्हा कहते है कि ऐसी सरकार को कुम्भकर्णी निद्रा से बचाने के लिए उनके पास केवल एक ही विकल्प रह जाता हैं, वो हैं गांधीवादी आंदोलन, इसलिए वे रणधीर वर्मा चौक पर आकर डट गये हैं, उन्हें खुशी है कि उन्हें सभी का समर्थन मिल रहा है, समस्या का समाधान अवश्य निकलेगा। वे कहते है कि धनबाद में 14 से 15 घंटे तक बिजली नहीं रहती है। पानी की स्थिति और खराब है। रघुवर सरकार के शासनकाल में जिस धनबाद को 65 एमएलडी जलापूर्ति हुआ करता था, आज वो घटकर 40 एमएलडी हो चुका है। जनता त्राहिमाम कर रही हैं, जिन्हें इसकी व्यवस्था करनी हैं, वो कुम्भकर्ण बन चुके हैं, ये तो राज्य का हाल है।

राजनीतिक पंडितों की मानें तो किसी भी राज्य की सरकार के लिए प्राथमिकता होनी चाहिए – बिजली, सड़क और पानी, पर हेमन्त सरकार में ये तीनों प्राथमिकताएं गायब हैं, ऐसे में राज सिन्हा का ये 72 घंटे के आंदोलन से भले कुछ हो या न हो, पर आनेवाले समय में सरकार के सेहत पर खतरा अवश्य मंडरायेगा, ये सत्ता में बैठे लोगों को अवश्य जान लेना चाहिए, क्योंकि मामला जनसरोकार से जुड़ा हैं।