शर्मनाक, असरीता के मांदर की थाप पर झूमनेवाले CM एवं राज्यपाल ने अंतिम समय में उसे याद करना भी जरुरी नहीं समझा

भगवान बिरसा मुंडा की परपोती असरीता टूटी को झारखण्डी परम्परा एवं झारखण्डी जोहार के साथ लोगों ने शुक्रवार को अंतिम अश्रुपूर्ण विदाई दी। बड़ी संख्या में उनको दिल से चाहनेवाले मित्र, कुटुम्ब, परिवार और उनके समुदाय के लोग इस अवसर पर मौजूद थे, पर अगर कोई नहीं था, तो वह सरकार थी और सरकार के लोग, शायद उन्हें नहीं पता कि जो दिवंगत हुई है, वह कोई साधारण घर की बेटी नहीं, झारखण्ड की आत्मा कहे जानेवाले भगवान बिरसा मुंडा के परिवार से आती हैं, जिसने देश को दिया है, हॉकी खिलाड़ी के रुप में, प्राध्यापिका के रुप में, जिनके मांदर के थाप पर कभी राज्यपाल तो कभी मुख्यमंत्री भी थिरके हैं, पर इन दोंनों महानुभावों के पास असरीता को अंतिम विदाई देने के लिए समय नहीं था, और न समय था रांची और खूंटी जिला प्रशासन को, कि वह जिला प्रशासन की ओर से भी कम से कम अपनी उपस्थिति दर्ज करा सकें।

डा. असरीता टूटी का अंतिम संस्कार खूंटी के जियारप्पा में नगड़ा बजाकर, मुंडा परम्परानुसार भावभीनी विदाई दी गई। इस अवसर पर दयामनि बारला, अनुषा तिर्की, सची कुमारी, डा. दयामनि सिंकु, डा. इंदिरा बिरुआ, आलम परसा, अनुराधा मुंडू, सुषमा बिरुली, नीलम भेंगरा, संगीता कुजूर, डा. गिरधारी राम गौंझु, डा. उमेश नन्द तिवारी, डा. पास्कल बेक, राम कुमार राजू, किशोर सुरीन, करम सिंह मुंडा, संयुक्त सचिव परिवहन बी हेमरोम, महादेव टोप्पो, वाल्टर भेंगरा, प्रेमचंद मुर्मू, विश्वनाथ तिर्की, ललित मुर्मू, अलबिनुस मिंज, नवीन मुंडू, विनीत मुंडू, सोनू लकड़ा के अलावे बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे। सभी की आंखे नम थी, क्योंकि सभी को हंसानेवाली असरीता टूटी चिरनिद्रा में थी।

डा. असरीता टूटी के निधन के बाद, उन्हें राजकीय सम्मान देने की कई लोगों ने सरकार से मांग की, पर सरकार ने उनकी बातों को अनसुना कर दिया, यहीं नहीं जिस अस्पताल में असरीता टूटी इलाजरत थी, उस अस्पताल में जाकर उन्हें देखने, उनका हाल-चाल जानने की भी इस सरकार ने कोशिश नहीं की। डा. असरीता टूटी के सड़क दुर्घटना में बुरी तरह घायल होने से लेकर उनकी मृत्यु की खबर, तथा असरीता टूटी को अंतिम-अंतिम तक सम्मान दिलाने के लिए अगर कोई शख्स संघर्ष करता रहा, तो वे थे रतन तिर्की, पर अफसोस उनकी बातें भी इस नक्कारखाने में गुम हो गई।

रतन तिर्की ने झारखण्ड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से गुहार लगाया था, वह भी यह कहकर, कि आप तो कुलाधिपति है, आदिवासी भी है, आप कैसे भूल गई, जाइये मिल आइये, आपके आवास से मात्र दो किलोमीटर की दूरी पर बेसुध पड़ी है, असरीता की स्थिति बहुत ही नाजुक बनी हुई है, उसे दुआओं और प्रार्थना की बहुत जरुरत है, पर शायद लगता है कि रतन तिर्की की आवाज माननीया राज्यपाल तक नहीं पहुंची।

डा. असरीता टूटी, सड़क दुर्घटना में बुरी तरह घायल होने के बाद हेल्थ प्वाइन्ट हास्पिटल बरियातु में इलाजरत थी, और यहां भी उन्हें देखने के लिए राज्य सरकार और उनके मंत्री तथा उनके अधिकारियों के दल के पास समय नहीं था। हम आपको बता दें कि डा. असरीता टूटी गत् 11 अक्टूबर को सड़क दुर्घटना में घायल हो गई थी, जब वह जनजातीय भाषा विभाग से निकल रही थी, उसी वक्त तेज गति से आ रहे एक बाइक सवार ने उन्हें जख्मी कर दिया। आश्चर्य की बात यह भी रही कि इस घटना का पता दो दिन बाद लोगों को तब मिला, जब रतन तिर्की ने इस घटना को फेसबुक पर लिखा, हमें लगता है कि अगर वे नहीं लिखते तो यह समाचार किसी को मालूम ही नहीं होता।

इधर डा. असरीता टूटी को अंतिम विदाई दे दी गई, पर उनके चाहनेवाले, उनके साथ हुई घटना की न्यायिक जांच कराने की मांग कर रहे हैं और इस घटना को अंजाम देनेवाले शख्स की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं, पर क्या लगता है कि दिवंगत असरीता टूटी को न्याय मिलेगा? क्योंकि जो सरकार और उनके लोग, ये कहते नहीं थकते कि वे अपने राज्य के शहीदों और उनके परिवार को सम्मान देने के लिए वचनबद्ध है, उसके बावजूद वे अमर शहीदों के परिवार की सुध तक नहीं लेते, उनके अंतिम विदाई में शरीक तक नहीं होते, उसके पोस्टमार्टम कराने में जब लोगों के हाथ-पांव फूल जाते है, तो ऐसे में हम कैसे ये समझ ले कि सरकार इस मामले की न्यायिक जांच कराकर, दोषियों को सलाखों के अंदर कर देगी? सबसे बड़ा सवाल तो यहीं है।