CM रघुवर दास के इशारे पर सीमा शर्मा और रवीन्द्र तिवारी भाजपा से निलंबित

सीएम रघुवर दास को नसीहत देना तथा विक्षुब्धों का आवाज बनना भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेत्री सीमा शर्मा को महंगा पड़ गया। मुख्यमंत्री रघुवर दास के इशारे पर उन्हें चंद मिनटों में ही पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया गया। सीमा शर्मा पर आरोप लगाया गया है कि आज की प्रांतीय बैठक में उनका आचरण और व्यवहार पार्टी संगठन की रीति-नीति एवं परंपराओं के विरुद्ध था। इस कारण प्रदेश नेतृत्व उनके इस कृत्य को घोर अनुशासनहीनता की श्रेणी का अपराध मानता है। प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा के निदेशानुसार उन्हें पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित किया जाता है।

एक और भारतीय जनता पार्टी के पुराने नेता रवीन्द्र तिवारी पर भी इसी प्रकार का आरोप लगाते हुए उन्हें भी प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया गया है। रवीन्द्र तिवारी पर यह भी आरोप है कि उन्होंने दिसम्बर 2017 में सोशल मीडिया पर भाजपा संगठन एवं झारखण्ड सरकार के विरुद्ध गलत भाषा का प्रयोग किया। भाजपा के इन दो प्रमुख नेताओं के निलंबन का पत्र दीपक प्रकाश ने जारी किया है।

भाजपा के इन दो वरिष्ठ नेताओं का निलंबन इस बात का संकेत है कि आनेवाले दिनों में भाजपा में भूकम्प होना तय है, क्योंकि जिस प्रकार से इन दोनों को प्राथमिक सदस्यता से निलंबित किया गया, वह बताता है कि पार्टी ने तानाशाही रवैया अपना लिया है। कई भाजपा नेताओं ने नाम न छापने का वादा लेते हुए बताया कि आज जो भी कुछ हुआ, वह प्रांतीय बैठक में हुआ, जब बैठक में भी नेता व कार्यकर्ता नहीं बोलेंगे तो फिर कहां बोलेंगे? ये तो कांग्रेसी संस्कृति हो गई, जो सीएम के सामने उचित बात भी बोले तो उसे पार्टी से हटा दो, ये नई परंपरा की शुरुआत भाजपा को रसातल में ले जायेगी। सत्ता में आने के बाद सीएम भूल रहे हैं कि आज जिस जगह वे हैं, वे पार्टी के कार्यकर्ताओं और इन्हीं नेताओं के बदौलत है, इससे पार्टी का वह नुकसान होगा, जिसका शायद अंदाजा न तो पार्टी के नौसिखुवे नेताओं को है और न ही सीएम और उनके आगे-पीछे करनेवाले नेताओं को।

सूत्रों का कहना है कि सीएम रघुवर दास इस निलंबन से उन भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं को संदेश देना चाहते है कि जो भी उनके खिलाफ बोलेगा, वह अपना हश्र समझ लें, इधर भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं ने भी कमर कस ली है और स्पष्ट रुप से कह दिया कि हश्र जो भी हो, परिणाम भुगतने को तैयार है, और वे इस तानाशाही कदम का समय आने पर जवाब देंगे, स्थिति विकट है, भाजपा को रसातल में जाने नहीं देंगे, क्योंकि भाजपा को यहां तक लाने में केवल सीएम रघुवर दास का हाथ नहीं, बल्कि लाखों अंसख्य भाजपा कार्यकर्ताओं को हैं, जिनका नाम तक सीएम रघुवर दास को पता नहीं।