अपनी बात

झारखण्ड में सरयू ने दिखाई राह, CM रघुवर के खिलाफ बह चली बयार, भाजपा को भारी नुकसान का खतरा

जी हां, पूरे झारखण्ड में एक तरह से भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं खाद्य आपूर्ति मंत्रालय संभाल चुके सरयू राय ने लोगों को नई राह दिखा दी हैं। उन्होंने जनता और नींद में सोए बुद्धिजीवियों और अन्य दलों को झकझोरा है, और कहा है कि नींद से जगिये, रघुवर को हराइये, क्योंकि इसने घोटाले में सबको मात कर दिया हैं, अगर इसे नहीं हराया तो यह झारखण्ड की बर्बादी का फिर से कारण बनेगा।

इसी बीच पूरे राज्य में एक तरह से सीएम रघुवर के खिलाफ बड़ी तेजी से वातावरण बनना शुरु हो गया हैं, और जिस तेजी से यह वातावरण बन रहा हैं, उससे साफ लगता है कि पीएम मोदी और अमित शाह भी यहां कुछ नहीं कर पायेंगे। सीएम रघुवर के खिलाफ सर्वाधिक आक्रोश भाजपा कार्यकर्ताओं, भाजपा समर्थकों, बुद्धिजीवियों और जनता में हैं। कल तक जो चुपी साधे हुए थे, कल तक जो लोग बोला करते थे कि चूपेचाप,चचा (रघुवर) साफ, अब वे सोशल साइट पर खुलकर बोलने लगे हैं।

कई भाजपा कार्यकर्ता तो रघुवर दास के लिए सोशल साइट पर आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग करने लगे हैं। इधर विपक्ष भी सरयू राय को भ्रष्टाचार के मामले उठाने को लेकर उन्हें समर्थन देने और रघुवर को सबक सिखाने के लिए धीरे-धीरे एकजूट होने लगे हैं, सब का एक ही नारा हैं, रघुवर ने राज्य को कबाड़ा बना दिया, इसे हराना जरुरी हैं, क्योंकि बिना इसे हराये, झारखण्ड का विकास संभव नहीं हैं।

इधर अचानक भाजपाइयों तथा संघ के आनुषांगिक संगठनों में सीएम रघुवर के खिलाफ बढ़ते आक्रोश से भाजपा अंदर से हिल गई हैं, इधर झारखण्ड में भाजपा की लूटिया डूबता देख मीडिया के लोग भी हकीकत जान चुके हैं और वे सीएम रघुवर दास से कन्नी काटने लगे हैं, कल अचानक देखते ही देखते सरयू राय हीरो बन गये और उनकी न्यूज को प्राथमिकता देने में सारे चैनल लग गये, सीएम रघुवर दास को कोई कल पूछा तक नहीं, ये स्थिति हो गई हैं।

जमशेदपुर की ही एक क्रांतिकारी पत्रकार अन्नी अमृता ने तो अपने फेसबुक पर साफ लिख दिया कि “सरयू राय जी के लिए – कम्बख्त सच ही को सच कहने का आदि हूं मैं, इस शहर का सबसे बड़ा फसादी हूं मैं” यानी समझ लीजिये, कितनी तेजी से हवा का रुख बदल रहा हैं। अन्नी अमृता का ये कहना काफी मायने रखता हैं, उन्होंने माना है कि सरयू राय के आगे सीएम रघुवर दास कहीं नहीं ठहरते, इसलिए सरयू राय को हर हाल में जीतना चाहिए।

सचिन दूबे ने कई लोगों को अपनी बात शेयर करते हुए लिखा कि “रघुवर दास के खिलाफ…चुनावी कैंपेनिंग को तैयार रहे युवा, रघुवरमुक्त भाजपा सरकार।” सत्य कुमार ने लिखा – “हमने राष्ट्र को नेतृत्व दे दिया है, झारखण्ड को नेतृत्व देना है। मोदी जी के नेतृत्ववाली ये सरकार नहीं होगी, ध्यान रखा जाये।” राम नाथ मिश्र ने लिखा – “बीजेपी को समर्पित कार्यकर्ताओं से ज्यादा भरोसा है, दलबदलूओं पर?”

भाजपा के कट्टर समर्थक एवं संघनिष्ठ पलामू के गुड्डू हेमन्त मिश्र ने लिखा – “वीर सरयू आगे बढ़ो, पूरा झारखण्ड आपके साथ हैं।” मतलब समझिये कि पलामू में बैठे हेमन्त ने जमशेदपुर पूर्व में चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके सरयू राय के लिए क्या दरियादिली दिखा दी, मतलब कैसे जल्दी से सीनिरियो बदल रहा हैं, भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं को पता नहीं लग रहा, जब सारी लूटिया डूब जायेगी तब ये झक-झूमर गायेंगे।

इन्द्रजीत सिंह राठौर ने साफ लिखा कि “सरयू राय जैसे सिद्धांतवादी नेता विपक्ष भी जिसे आदर्श मानते है, उनका टिकट काट देना यह अहंकारी के विनाश को दिखाता है।” प्रवीण प्रियदर्शी लिखते हैं – “भाजपा में पार्टी संगठन सिर्फ चुनाव जीतो मशीन बन गया है, कार्यकर्ता का समर्पण, चरित्र, मेहनत का कोई मतलब नहीं।” आनन्द कुमार लिखते है “जमशेदपुर महानगर के मंडल अध्यक्ष ढूंढ रहे प्रदेश से भेजे गये लिफाफे।”

अन्त में, भाजपा के एक कर्मठ कार्यकर्ता, संघनिष्ठ व्यक्तित्व के धनी रमेश पुष्कर ने तो एक दोहे के माध्यम से पूरे भाजपा के समर्पित नेताओं-कार्यकर्ताओं की पीड़ा रख दी, जरा देखिये, उन्होंने क्या लिखा – “डूबेगी कश्ती तो, डूबेंगे सारे। न हम ही बचेंगे, न साथी हमारे।” तो क्या सचमुच अब भाजपा रुपी कश्ती झारखण्ड में डूबने जा रही हैं? क्या सचमुच रघुवर पूरी भाजपा को झारखण्ड में डूबो देने का प्रण ले चुके हैं।

अगर ऐसा हैं तो 23 दिसम्बर को सबको पता लग ही जायेगा, और इसकी शुरुआत तो जमशेदपुर की जनता कर चुकी हैं, जब वो 16 नवम्बर की देर रात जमशेदपुर स्थित सरयू राय के आवास पर आ पहुंची और कहा कि उन्हें चुनाव लड़ना हैं, देखते है कि कौन आपको चुनौती देता हैं, तब ऐसे हालात में जब जनता साथ हैं, भाजपा कार्यकर्ता, संघनिष्ठ लोग, संघ के आनुषांगिक संगठनों के लोग, विपक्ष और बुद्धिजीवी साथ आ गये तो फिर रघुवर की हार तो सुनिश्चित हो गई और पूरे राज्य में भाजपा का हाल खस्ता।