झारखण्ड की आर्थिक स्थिति चिन्ताजनक, सरयू राय ने CM रघुवर दास के दावे पर प्रश्न चिह्न लगाया

झारखण्ड के खाद्य आपूर्ति एवं संसदीय कार्य मंत्री सरयू राय ने एक बार फिर अपनी ही सरकार पर धावा बोला है। उनका कहना है कि राज्य सरकार विकास दर के आकड़ें दिखाकर भले उपलब्धियां बता दें, पर राज्य की आर्थिक स्थिति उतनी अच्छी नहीं है, जितना दावा किया जा रहा हैं। सच्चाई यह है कि राज्य की वित्तीय व्यवस्था की हालत पतली है। कर, राजस्व सहित आंतरिक संसाधन संग्रह में गिरावट के संकेत है। राज्य सरकार केन्द्रीय सहायता एवं अनुदान का सदुपयोग नहीं कर पा रही है। उधार प्राप्ति एवं व्यय की स्थिति भी ठीक नहीं है। खनिज क्षेत्र से मिलनेवाले केन्द्रांश के लिए राज्य में सही योजना का अभाव है। जो झारखण्ड के लिए बेहतर नहीं माना जा सकता।

सरयू राय ने विकास आयुक्त को पत्र लिखकर कहा है कि राज्य की वित्तीय स्थिति की सही जानकारी तभी प्राप्त होगी, जब विशेषज्ञ वित्तीय स्थिति के आकड़ों का न्यूट्रल विश्लेषण करेंगे। सरयू राय ने कहा कि इसी साल उन्होंने 6 जनवरी को मुख्य सचिव को पत्र लिखकर वित्तीय एवं योजना कार्यों के अध्ययन एवं विश्लेषण के लिए एक समूह गठित करने को कहा था पर उस पर उन्होंने क्या किया, वे बताने की स्थिति में नहीं हैं और न ही राज्य सरकारे इस पर गंभीर रही हैं। झारखण्ड में यहां की विकास की दर कभी एक समान नहीं रही, कभी उछाल – कभी गिरावट यहां की परंपराओं में शुमार हो गई है।

सरयू राय ने कहा है कि राज्य बनने के बाद दो बार विकास गणना के आधार वर्ष बदले हैं। एक 2004-05 तो दूसरा 2011-12 में। वर्ष 2000 से 2017 के बीच राज्य के वार्षिक विकास दरों के बीच तुलना के लिए समान आधार नहीं है. फिर भी 2005-10 तथा 2011-17 के बीच के राज्य के विकास दर पर अगर नजर डाला जाये तो यहां स्थिरता और निरंतरता का अभाव साफ दिखा। वर्ष 2011-12 आधार वर्ष के उपरांत 2016-17 के विकास दर के आकड़ों से यह निष्कर्ष निकाला जा रहा है कि विकास दर के मामले में झारखण्ड का स्थान गुजरात के बाद दूसरा है, हालांकि इस बात को जोर-शोर से उछाला गया यह कहकर कि झारखण्ड प्रगति पर है, उसमें भी तब, जबकि 2016-17 में विकास दर मात्र 8.6 फीसदी हैं, जबकि 2012-13 में यहां की विकास दर 15.77, 2013-14 में 7.92, 2014-15 में 15.89 तक पहुंच गई थी। यानी लगातार तीन वर्षों तक उच्च विकास दर हासिल करने के बाद झारखण्ड की विकास दर 2015-16 में 5.84 फीसदी हो गई। फिलहाल 2016-17 में 8.6 फीसदी है।

इस तरह देखा जाय, तो झारखण्ड के विकास दर में हमेशा से उतार-चढ़ाव होता रहा हैं, एक बार 2010-11 में 26.50 फीसदी तक चली गई थी, पर वर्तमान में इसकी स्थिति ठीक नहीं, इसलिए राज्य की अर्थव्यवस्था को कमजोर होने से बचाने की जरुरत हैं। इधर बुद्धिजीवियों का कहना है कि मंत्री सरयू राय ने जिस ओर सरकार और विकास आयुक्त का ध्यान आकृष्ट कराया है, वह पूर्णतः उचित हैं, अगर अभी भी हम सच को स्वीकार नहीं करेंगे और गुजरात के बाद झारखण्ड दूसरे स्थान पर पहुंच गया का ढोल पीटेंगे तो एक दिन जब सच्चाई जनता को मालूम होगी तो ये सरकार कहीं की न रहेंगी।

One thought on “झारखण्ड की आर्थिक स्थिति चिन्ताजनक, सरयू राय ने CM रघुवर दास के दावे पर प्रश्न चिह्न लगाया

  • November 19, 2017 at 4:36 pm
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