अपनी बात

RSS से जुड़े स्वयंसेवक ने कहा दागी, भ्रष्टाचारी, भू-माफिया, कामचोर और अवसरवादी नेता को वोट नहीं दें

“झारखण्ड विधानसभा हमारे देश का पहला हाईटेक विधानसभा है। हम सभी झारखण्डवासी यह संकल्प करें कि इस विधानसभा चुनाव में एक भी दागी, भ्रष्टाचारी, भू-माफिया, कामचोर और अवसरवादी नेता को वोट नहीं करेंगे। इस नए भवन में ईमानदार और योग्य विधायक को ही चुनकर भेजें। जो इसमें बैठने के काबिल हो। वोट फोर झारखण्ड।”

यह कहना है संघ के एक स्वयंसेवक का, यह कहना है आदित्य स्वरुप साहु का। आदित्य ने यह बैनर बनाया और अपने मित्रों के साथ पहुंच गया, झारखण्ड विधानसभा के नये भवन के पास, जहां उसने उपरोक्त लिखे अपने विचारों को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से, नवनिर्मित विधानसभा के समक्ष घंटों यह बैनर लेकर खड़ा रहा।

जहां कुछ लोग आते रहे और उसे तथा उसके बैनर को निहारते रहे, कुछ लोग उसकी प्रशंसा किये तो कुछ लोग ऐसे ही चलते बने, जैसा कि आम तौर पर होता है, कोई आये-कोई जाये, उससे हमें क्या? हमें तो पशुओं की तरह खाना-पीना हैं और मल-मूत्र फैलाकर चलते बनना हैं, गांधी और भगत सिंह की बात करनेवाला तो ऐसे लोगों की नजर में बेवकूफ ही होते हैं।

फिलहाल इन सबसे अलग संघ के एक स्वयंसेवक का इस तरह नवनिर्मित विधानसभा के समक्ष खड़ा हो जाना, अपनी बातें रखना, वोट किसी दल को न कर, झारखण्ड हित में वोट करने की अपील करना, स्वयं संघ के आलाधिकारियों को भी बेचैन कर रखा हैं, हालांकि कुछ संघ के पदाधिकारी इस बात पर संतोष कर रहे हैं कि आदित्य ने किसी दल-विशेष की बात नहीं की।

इधर आदित्य के इस बैनर के कई मायने निकाले जा रहे हैं, कुछ का कहना है कि आदित्य का इस तरह बैनर लेना, बता रहा है कि संघ में भी बहुत सारे लोग हैं, जो वर्तमान सरकार के क्रिया-कलापों से नाराज हैं और इस नाराजगी का खामियाजा अंततः उन्हें भुगतना ही पड़ेगा, भाजपा जैसी पार्टियों में विधायकों की संख्या घटेगी, और इसका लाभ विपक्ष को मिलेगा, क्योंकि लोग उसी को वोट देंगे, जिन पार्टियों ने अच्छे लोगों को टिकट दिये।

भला ऐसे हालत में जिन तथाकथित पार्टियों व दलों ने हत्या, यौन शोषण, घोटालों के आरोपियों तथा दलबदलूओं को टिकट दिये हैं, भला जनता उन्हें सबक क्यों न सिखायें, अगर ऐसा होता हैं तो सबसे ज्यादा झटका किसको लगेगा, लगता है कि अब बताने की जरुरत नहीं, क्योंकि भ्रष्टाचार को लेकर जब भाजपा के ही एक बड़े नेता और मंत्री रह चुके सरयू राय ने ही सीएम रघुवर दास के खिलाफ पर्चा भर दिया तो अब बचा ही क्या है?

इसका मतलब है कि भाजपा और संघ के अंदर अब सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा, झटका लगना तय है और ये झटका कहा से मिल रहा हैं, शायद भाजपा के तथाकथित शीर्षस्थ नेताओं को पता चल ही गया होगा। हालांकि अभी भी बहुत सारे भाजपा के लोग दिमाग लगा रहे हैं, असंतुष्टों को संतुष्ट करने में लगे हैं, पर कही से कोई सफलता नहीं मिल रही, लोग तो अभी से कहने लगे है कि पहले रघुवर दास खुद जीत कर दिखाये, क्योंकि सरयू राय ने उनकी ऐसी किलाबंदी कर दी हैं कि उस किले से निकलना सीएम रघुवर दास के लिए मुश्किल है।