राजनीति

झारखण्ड में राजद दो फाड़, राणा बने राजद लोकतांत्रिक के अध्यक्ष, राष्ट्रीय नेतृत्व पर हठधर्मिता का आरोप

झारखण्ड में राष्ट्रीय जनता दल लोकतांत्रिक का गठन हो गया, सर्वसम्मति से इसका अध्यक्ष गौतम सागर राणा को बना दिया गया, इसी बीच आज रांची में बड़ी संख्या में राजद के कार्यकर्ताओं ने राजद से सामूहिक इस्तीफा दिया तथा राष्ट्रीय नेतृत्व पर हठधर्मिता अपनाने का आरोप लगाया। राजद लोकतांत्रिक के नेताओं का कहना था कि राष्ट्रीय नेतृत्व के हठधर्मिता के कारण ही अन्नपूर्णा, गिरिनाथ, जनार्दन और मनोज भुईयां ने पार्टी से दूरियां बना ली।

अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार रांची विधानसभा परिसर स्थित सभागार में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता कैलाश यादव ने की, जिसमें 24 जिलों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम में भाग ले रहे उपस्थित सदस्यों ने कहा कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव अब एक लाचार व्यक्ति हो गये हैं, उनका पुराना तेवर और पकड़ दोनों उनके हाथों से कब का छूट गया। गौतम सागर राणा का कहना था कि उनके नहीं चाहने के बावजूद लालू प्रसाद यादव के राजनीतिक इतिहास में पहली बार राष्ट्रीय नेतृत्व के निर्णयों के खिलाफ चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, जिसके जिम्मेवार खुद लालू प्रसाद यादव हैं।

गौतम सागर राणा का कहना था कि राजनीति के सबसे बड़े नायक के रुप में जाने जानेवाले लालू यादव का राजनीतिक पावर सेंटर कई हाथों में चला गया है, अब कोई भी राजनीतिक फैसले के लिए राजद में कई तरह के लोग मालिक बन बैठे हैं,  उनका यह भी कहना था कि गत 27 मई को राजद राज्य कार्यकारिणी की समीक्षा बैठक सम्पन्न हो गई थी।

जिसमें लोकसभा चुनाव में राजद एवं महागठबंधन की हार पर सदस्यों द्वारा चर्चा भी की गई थी, और दल में तत्कालीन युवा राजद अध्यक्ष अभय सिंह, प्रवक्ता शैलेन्द्र शर्मा, सुरेन्द्र प्रसाद द्वारा एक अप्रैल को 11 बजे उनके पार्टी कार्यालय परिसर से तस्वीर को उखाड़ दिया गया था, जिसका प्रमाण राजद कार्यकाल में लगे सीसीटीवी फुटेज के माध्यम से जगजाहिर हुआ था। जिस घटना की जानकारी प्राप्त होने के बाद इन सभी से इस घटना के लिए खेद प्रकट करने को कहा गया था।

लेकिन इन लोगों ने खेद प्रकट करने के बजाय, तानाशाही व्यवहार का प्रदर्शन किया, जिस कारण विषय को तथ्यात्मक जांच के लिए राज्य कार्यकारिणी के तमाम सदस्यों ने प्रस्ताव पारित कर अनुशासन समिति को रेफर कर दिया था और अनुशासन समिति ने अभय सिंह, शैलेन्द्र शर्मा और सुरेन्द्र प्रसाद को राजद की प्राथमिक सदस्यता से आगामी छः वर्षों के लिए पार्टी से निष्कासित करने की राष्ट्रीय नेतृत्व से अनुशंसा कर दी थी, पर इन लोगों पर कार्रवाई करने के बजाय इन्हें ही पार्टी का भार सौंप दिया गया।

कैलाश यादव का कहना था कि गौतम सागर राणा एक सुलझे हुए वरिष्ठ समाजवादी विचारधारा के अति अनुभवी नेता है, इनका 44 वर्षों का राजनीतिक अनुभव है, ये जयप्रकाश नारायण आंदोलन की उपज है। साथ ही वे एकीकृत बिहार में जनता दल और झारखण्ड में राजद का पांच बार प्रदेश अध्यक्ष पद संभाल चुके हैं, ऐसे अनुभवी व्यक्ति के नेतृत्व में राजद लोकतांत्रिक पार्टी का जन्म होना बहुत बड़ी बात है। कैलाश यादव ने कहा राजद सुप्रीमो ने अकारण, असमय, एकाएक गौतम सागर राणा को बिना सूचना के पार्टी अध्यक्ष से हटाकर ऐसा अराजनीतिक फैसला किया है, जिसका खामियाजा राजद को ही भुगतना पड़ेगा।

डा. मनोज कुमार, आबिद अली और अर्जुन यादव का कहना था कि झारखण्ड में अब राजद का नामोनिशां मिट जायेगा, क्योंकि अब राजद में कोई कद्दावर नेता नहीं है, भस्मासुर और माफियाओं से राजद खण्ड-खण्ड हो जायेगा, क्योंकि असली राजद का आज जन्म हो गया, इनसभी का यह भी कहना था कि राजद में अब माफिया तंत्र हावी हो गया है, बालू माफिया, जमीन माफिया जैसे लोग राजद चला रहे हैं।