रांची के बड़े कॉरपोरेट हॉस्पिटल/नर्सिंग होम नियमों की कर रहे अवहेलना, नहीं उपलब्ध करा रहे रक्त
रांची के अधिकतर बड़े कॉरपोरेट हॉस्पिटल/निजि हॉस्पिटल/नर्सिंग होम में देखा जा रहा है कि वे उनके यहां भर्ती मरीज़ों को, अगर खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती है, तो वे मरीज़ या मरीज़ के परिजनों को खून की व्यवस्था करने को कह कर छोड़ देते है,अधिकतर मरीज़ या मरीज़ के परिजन ब्लड डोनेट का इंन्तज़ाम भी करते हैं, मग़र जिनके पास कोई ब्लड डोनर की व्यवस्था नही हैं, उनको ऐसे ही छोड़ दिया जा रहा है।
जबकि स्वास्थ्य विभाग, झारखंड सरकार का आदेश है कि कोई अस्पताल/नर्सिंग होम में भर्ती मरीज़ को अगर ब्लड की जरूरत होगी तो वह अस्पताल/नर्सिंग होम प्रबंधन इसकी व्यवस्था ख़ुद करेगा, इसके लिए वह जगह–जगह अपने स्तर से रक्तदान शिविर लगाने की व्यवस्था करेगा। ऐसा नही करने पर विभागीय–क़ानूनी कार्रवाई होगी। जिसमें हॉस्पिटल/नर्सिंग होम का लाइसेंस भी रद्द किया जा सकता है।
मगर इस आदेश को एक साल हो गए फ़िर भी अधिकतर बड़े कॉरपोरेट अस्पताल/निजि हॉस्पिटल/नर्सिंग होम प्रबंधन पर इसका कोई असर नही है, न ही ये रक्तदान शिविर लगाते हैं और न अपनी ओर से रक्त की व्यवस्था करते हैं, जिससे लोगों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं।
लहू बोलेगा संस्था का कहना है कि पिछले आठ महीनों से वह देख रही हैं कि रांची के बहुत सारे संस्थाओं में जहां मरीज इलाज करा रहे हैं, जिन्हें रक्त की आवश्यकता होती है, वे भगवान भरोसे रक्त की व्यवस्था कर रहे हैं, जबकि अस्पताल प्रबंधन अपनी ओर से कोई व्यवस्था नहीं कर रहा, जिससे लोग परेशान हैं। कई मरीज़/मरीज़ के परिजनों को तो यह पता भी नहीं हैं कि अस्पताल प्रबंधन को भी ब्लड देने की व्यवस्था करनी है।
लहू बोलेगा संस्था का कहना है कि झारखंड सरकार से संबंधित जिम्मेदार व्यक्ति/सिविल सर्जन/उपायुक्त, कॉरपोरेट हॉस्पिटल/निजि हॉस्पिटल/नर्सिंग होम प्रबंधन, भर्ती मरीज़ को ब्लड उपलब्ध खुद कराएं, न कि उसे दर दर भटकने के लिए छोड़ दें। प्रधानसचिव,स्वास्थ्य विभाग, झारखंड समेत असैनिक शल्य चिकित्सक सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी, रांची के आदेश का पालन कराया जाए। (पत्रांक–06/288/JSACS/18 दिनांक–24.08.2018 एवं 542/JSACS/18 दिनांक–20.11.2018 समेत पत्रांक– 1215 दिनांक–16.04.2019) तथा इसे सभी हॉस्पिटल एव दैनिक समाचार पत्रों में जनहित में सार्वजनिक किया जाए।
भर्ती मरीज़ को ब्लड नही देने वाले कॉरपोरेट हॉस्पिटल/निजि हॉस्पिटल/नर्सिंग होम पर क़ानूनी कार्रवाई की जाए। रक्तदान को प्रोत्साहित किया जाए। सिविल सर्जन हॉस्पिटल/नर्सिंग होम में साप्ताहिक निरीक्षण करें एवं वस्तुस्थिति को सार्वजनिक कर आम जनता के लिए संवेदनशील होकर कार्यालय में मिलने का समय भी दें।