रांची प्रेस क्लब का AGM हंगामें की भेंट चढ़ा, हुई हाथा-पाई, नाराज सदस्यों ने अध्यक्ष को नहीं देने दिया भाषण

शर्मनाक, आज रांची प्रेस क्लब में वो हुआ, जो कभी होना ही नहीं चाहिए, लेकिन जब व्यक्ति की महत्वाकांक्षा बढ़ती हैं,तो वह सब कुछ होता है, जिसकी संभावना न के बराबर होती हैं। विद्रोही24 को इस बात का आभास था कि आज रांची प्रेस क्लब में आयोजित एजीएम हंगामें की भेंट चढ़ेगा और हुआ भी वहीं। जैसे ही रांची प्रेस क्लब के अध्यक्ष राजेश सिंह ने अपना अध्यक्षीय भाषण देना शुरु किया, हंगामा शुरु हो गया।

उनके हाथों से उनके प्रतिवेदन कुछ सदस्यों ने छीनने का प्रयास किया। आज रांची प्रेस क्लब के सदस्य काफी गुस्से में थे, उनका गुस्सा इस बात को लेकर था कि आखिर बिना सदस्यों के विश्वास में लिए रांची प्रेस क्लब अपनी ही संविधान में उद्धृत वाक्यों का उल्लंघन क्यों कर रहा हैं और इस प्रकार की स्थिति लाकर वह करना क्या चाह रहा है? प्रेस क्लब में इस प्रकार के हो-हंगामे, हाथा-पाई को देखकर जो उम्रदराज पत्रकार थे, वे आश्चर्यचकित थे, क्योंकि उनको इस बात का भरोसा नहीं था कि उन्हें ऐसे भी दृश्य देखने को मिलेंगे। लेकिन जो भी हुआ, वो उनके दृष्टिकोण से निराश करनेवाला था।

प्रत्यक्षदर्शियों का कहना था कि उन्हें आशंका थी कि हंगामा होगा, पर हंगामा इस प्रकार का होगा, ऐसी आशा नहीं की थी। कुछ लोगों का कहना था कि गलती रांची प्रेस क्लब के अधिकारियों की है। वे कह रहे थे कि आखिर दो साल के कार्यकाल को तीन साल की अवधि तक करने की आवश्यकता क्यों आ पड़ी? इसी प्रकार और भी कई ऐसे सवाल थे, जिसका जवाब रांची प्रेस क्लब के अधिकारियों के पास नहीं था, नतीजा हंगामें को कौन रोक सकता था।

हांलाकि हो-हंगामें के बाद कई लोगों ने मामला शांत कराने की कोशिश की। आश्चर्य है कि हाल ही में धनबाद प्रेस क्लब की एजीएम की मीटिंग सम्पन्न हुई है, पर वहां ऐसा कोई हो-हंगामा नहीं देखने को मिला। उनकी एजीएम की मीटिंग धनबाद क्लब में शुरु हुई और शांतिपूर्वक समाप्त हो गई।

धनबाद प्रेस क्लब की तो चुनाव भी हो रही है, उसके बावजूद भी वहां, कही कोई चां-चूं नहीं सुनाई पड़ा, पर रांची प्रेस क्लब में आज के हो-हंगामे ने स्पष्ट कर दिया कि यहां किस प्रकार की मनोवृत्ति फल-फूल रही है, अगर रांची प्रेस क्लब के अधिकारियों ने अपनी कार्यशैली में बदलाव नहीं लाया, तो स्थिति और विस्फोटक होगी, फिलहाल रांची प्रेस क्लब के सभी सदस्यों के क्रोध को शांत करने की जिम्मेवारी रांची प्रेस क्लब के अधिकारियों की है, देखते हैं वे इस ओर कौन सा कदम उठाते हैं।