रामलाल आये थे पार्टी को मजबूत करने और लग गये रघुवर परिक्रमा में, कार्यकर्ताओं में नाराजगी

आये थे हरिभजन को ओटन लगे कपास यानी भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री राम लाल आये थे, झारखण्ड में भाजपा को मजबूत करने के लिए और रघुवर परिक्रमा में लग गये। ऐसे में, ये भाजपा को यहां कितना मजबूत कर पाये, उनकी कार्य शैली से सभी को पता चल गया, पर स्वभाववश चेहरे पर मुस्कान लाकर दूसरे को धोखा देने की प्रवृत्ति, अगर किसी को सीखना हैं तो इनसे सीखे। भाजपा के एक दिग्गज नेता ने नाम नहीं छापने के शर्त पर साफ कह दिया कि ये कितना भी जोर लगा लें, ये अब यहां के कार्यकर्ता व जनता को धोखा नहीं दे सकते, पार्टी रसातल में चली गई हैं, न तो प्रदेश अध्यक्ष और न ही राज्य के मुख्यमंत्री की ही हिम्मत है कि भाजपा कार्यकर्ता के बिगड़े मूड को अपनी ओर खींच सकें या मना लें।

स्थिति यहां उत्तरप्रदेश और राजस्थान से भी बदतर हैं, यहां जब भी चुनाव होंगे, भाजपा का सफाया सुनिश्चित हैं, उसका मूल कारण इन राष्ट्रीय या प्रदेशस्तरीय नेताओं का हवा-हवाई हो जाना। इधर मात्र एक दो दिनों में ही भाजपा के बड़े-बड़े नेता, जो संगठन को देखते हैं, उनका झारखण्ड दौरा हो रहा हैं, जरा देखिये, झारखण्ड संगठन प्रभारी सौदान सिंह, राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय और स्वयं राष्ट्रीय संगठन महामंत्री राम लाल इन दिनों झारखण्ड दौरे पर है, सभी संगठन को मजबूत करने की बात कर रहे हैं, पर सच्चाई यह है कि ये सब रघुवर परिक्रमा में लगे हैं।

सरकार और भाजपा से नाराज चल रहे कार्यकर्ताओं का कहना है कि उन्हें लगा था कि राष्ट्रीय संगठन महामंत्री के आने से भाजपा में कुछ परिवर्तन देखने को मिलेगा, पर यहां परिवर्तन तो दूर, स्वयं राष्ट्रीय संगठन महामंत्री सीएम रघुवर दास के चारों और चक्कर लगाते दीख रहे है, कोई दिन ऐसा नही रहा, जिस दिन वे मुख्यमंत्री की गणेश परिक्रमा नहीं की हो, ऐसे में राम लाल ही बताये कि वे भाजपा जैसी संगठन को मजबूत करने आये है या रघुवर दास जैसे मुख्यमंत्री को अभयदान देने के लिए, अगर अभय दान देने आये है तो उसका परिणाम नगर निकाय चुनाव में ही हो जायेगा, जब भाजपा भारी हार का स्वाद चखेगी, क्योंकि फिलहाल भाजपा कार्यकर्ता स्वयं को ठगा महसूस कर रहा है और इन राष्ट्रीय नेताओं के कारण, उनकी और फजीहत हो रही हैं, क्योंकि ये लोग कार्यकर्ताओं की सुनते कम और अपनी ज्यादा सुनाते हैं, ऐसे में अब कार्यकर्ताओं को सुनना नहीं हैं, नगर निकाय चुनाव में परिणाम दे देना है कि भाजपा कहां है?

कई भाजपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि भाजपा के इन बड़े-बड़े नेताओं को मालूम नहीं कि भाजपा का जनाधार लगातार खिसकते रहने तथा जनता के बीच भाजपा के प्रति बढ़ती नफरत के कारण भाजपा कार्यकर्ताओं की फजीहत हो रही हैं और वे इस फजीहत से बचने के लिए वे अन्य दलों की ओर रुख कर रहे हैं, आनेवाले समय में आप देखेंगे कि भाजपा के बड़े-बड़े नेता व कार्यकर्ता भी झारखण्ड मुक्ति मोर्चा या कांग्रेस का दामन पकड़ सकते हैं, क्योंकि पार्टी विद् डिफरेंस कहलानेवाली भाजपा को, उनके इन बड़े नेताओं ने बहुत जल्दी ही निम्न स्तर पर पहुंचा दिया।

भाजपा कार्यकर्ताओं ने यह भी कहा कि चाहे, सीएम आवास पर सीएम के साथ बैठक हो, या मंत्रियों के साथ मंत्रणा, बूथ कमेटी स्तर की बैठक हो या विचार गोष्ठी के माध्यम से विचार थोपने की कला, इन सब होने के बावजूद भाजपा की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है, पार्टी कार्यकर्ता नाराज है, और इसका पता जल्द ही नगर निकाय की चुनाव में हो जायेगा। लोकसभा के चुनाव में तो इनके बड़े-बड़े नेताओं की सभा में भीड़ तक नहीं जुटेगी, सीटें प्राप्त करना तो लगभग भूल ही जाये और विधानसभा चुनाव में तो रघुवर सरकार का सफाया तय हैं, क्योंकि जनता अब इतनी बेवकूफ नहीं।