अपनी बात

पहाड़ी मंदिर की दुर्दशा को लेकर 22 को राजभवन मार्च और 30 अक्टूबर को रांची बंद का आह्वान

आज रांची के पहाड़ी मंदिर स्थित यात्री शेड में उत्तम यादव की अध्यक्षता में रांची के आम नागरिकों की एक महत्वपूर्ण बैठक संपन्न हुई। बैठक में बड़ी संख्या में नौजवानों की टीम भाग ली और यह माना कि पहाड़ी मंदिर की दुर्दशा के लिए अगर कोई जिम्मेवार है तो वह पहाड़ी मंदिर विकास समिति है। सभी ने यह स्वीकार किया कि 23 जनवरी 2016 को नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती के दिन जो पहाड़ी मंदिर में राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया, उसके बाद से यहां कुछ न कुछ होता आ रहा है, जो पहाड़ी मंदिर के सम्मान को ठेस पहुंचा रहा है। दो-दो दिन में ही राष्ट्रीय ध्वज का फट जाना, काफी प्रयास के बाद उसे उतारा जाना, मामला जब न्यायालय पहुंचता है तब यह कहा जाता है कि 15 अगस्त एवं 26 जनवरी को केवल फहराया जायेगा, उसके बाद भी राष्ट्रीय ध्वज का नहीं फहराया जाना, आखिर क्या बताता है?

बैठक में शामिल वक्ताओं ने कहा कि इस बार सावन से पहले रांची के उपायुक्त और अनुमंडलाधिकारी द्वारा दानपेटी को सील कर दिया गया, इस बार पहली बार हुआ कि पहाड़ी मंदिर विकास समिति ने किसी से सहयोग राशि नहीं मांगा, उसके बाद भी नोट का फट जाना, गल जाना, दान पेटी में पानी का चल जाना, बहुत कुछ बता देता है कि यहां गड़बड़ियां चल रही है। बैठक में सभी ने यह मांग किया कि स्थिति में सुधार लाया जाये, नहीं तो 22 अक्टूबर को पांच हजार से भी ज्यादा की संख्या में लोग राजभवन मार्च करेंगे और आगामी 30 अक्टूबर को रांची बंद का ऐलान करेंगे।

बैठक में शामिल वक्ताओं ने कहा कि आश्चर्य हैं पहाड़ी मंदिर विकास समिति में सदस्यों की संख्या 250 है, पर जब नोटों की गिनती होती है तो मात्र दो की संख्या में लोग पहुंचते है, बाकी 248 लोग कहां है किसी को पता नहीं चलता। बैठक में सभी वक्ताओं ने 22 अक्टूबर को राजभवन मार्च को सफल बनाने के लिए सहयोग मांगा। इसके पूर्व 7 अक्टूबर को पहाड़ी मंदिर के यात्री शेड में एक बार फिर आम नागरिकों की बैठक होगी, जिसमें वार्ड पार्षदों, डिप्टी मेयर, यहां के विधायक व सांसद समेत धार्मिक प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया जायेगा।

वक्ताओं ने स्थानीय प्रशासन से मांग की कि देश का सबसे बड़ा राष्ट्रीय ध्वज फहराने के नाम पर कहां-कहां से चंदा लिया गया, इस पर श्वेत पत्र जारी किया जाय। आखिर दान-पेटी के अंदर पानी कैसे घुसा, इसकी जांच करायी जाये। प्रत्येक वर्ष लाउडस्पीकर से लोगों से सहयोग राशि मांगा जाता था, इस बार सहयोग राशि क्यों नहीं मांगा गया। नीचे वाले मंदिर के उपर जो हॉल बनाया गया था, वहां पहले गरीब लोगों का शादी-विवाह हुआ करता था, उसे फिर से चालू कराया जाय। पूरी पहाड़ी पर एक भी शौचालय नहीं है, इसकी व्यवस्था कराई जाय। मुख्यमंदिर के पास जो हॉल था, जिसे पर्यटन विभाग द्वारा बनाया गया था, वह किसके कहने पर तोड़ा गया, इसका जवाब दिया जाये। पहाड़ी मंदिर विकास समिति को भंग किया जाये। राष्ट्रीय ध्वज के नाम पर जिस किसी से भी छड़, सीमेंट लिया गया, उसका नाम सार्वजनिक किया जाय। पहाड़ी मंदिर के विकास के लिए बनाई गई कमेटी में हाईकोर्ट के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश, सम्मानित व्यक्ति व सांसद-विधायक को भी शामिल किया जाय।