रघुवर सरकार का बंटाधार, परिवर्तन की बही बयार, झारखण्ड में ले लो भैया, अबकी बार “हेमन्त सरकार”

झारखण्ड विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण का मतदान आज संपन्न हो गया। संथाल की सभी 16 सीटों पर मतदान शांतिपूर्वक संपन्न हो गये हैं। संथाल की सभी सीटों पर जनता का रुख परिवर्तन का रहा। हर मतदान केन्द्र पर कमल मुरझाता दिखा और तीर धनुष, हाथ और लालटेन इतराता नजर आया। शायद उसे आभास हो गया है कि 23 दिसम्बर के बाद का दिन महागठबंधन का है, और ऐसे में अब उसी की चलनेवाली है।

पूरे संथाल परगना में लोग राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास के व्यवहार और कुशासन से तंग आकर, नाराजगी से भर तीर-धनुष का बटन दबाते नजर आये। गांवों में यह गुस्सा कुछ ज्यादा दिखा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण का भी इन इलाकों पर असर नहीं देखा गया, हेमन्त इस बार हर जगह भारी पड़ते नजर आये।

दुमका और बरहेट में हेमन्त सोरेन सभी पर भारी नजर आये, अब यहां केवल जीत के ऐलान की औपचारिकता मात्र ही बाकी है। आज के मतदान ने यह भी सिद्ध कर दिया कि जनता ने इस बार दल-बदलूओं को उनकी औकात बता दी है। संथाल के इलाके से आनेवाले सारे मंत्री इस बार चुनाव हार रहे हैं, क्योंकि जनता ने इन्हें शायद इस बार आराम करने की जिम्मेवारी दे दी हैं।

एक मतदाता ने विद्रोही24.कॉम को बताया कि संथाल में इस बार जितना जोर भाजपा ने चुनाव के समय पार्टी की जीत के लिए लगाया, अगर वही जोर भाजपा के राष्ट्रीय नेता सीएम रघुवर के व्यवहार को सुधारने पर जोर लगाते तो भाजपा की स्थिति इन इलाकों में कुछ और होती, चूंकि इन्होंने अपने व्यवहार में तब्दीली नहीं लाई तथा आदिवासियों को वो सम्मान नहीं दिया, जिसके कारण इस इलाके में आदिवासियों-अल्पसंख्यकों ने भाजपा से दूरियां बनाई और ले-देकर भ्रष्टाचार ने सरकार का सारा क्रिया-कर्म कर दिया तथा लोकसभा चुनाव के दो महीने बाद ही झारखण्ड में सारी स्थितियां बदल गई, महागठबंधन मजबूत हो गया।

राजनीतिक पंडितों का कहना है कि इस बार संथाल में एक बार फिर झामुमो और उनकी सहयोगी पार्टियों ने गजब ढाया हैं, क्योंकि जनता का उन्हें भरपूर सहयोग मिला है, जिसके कारण महागठबंधन पूरे संथाल में मजबूत स्थिति में हैं। राजनीतिक पंडितों ने यह भी कहा कि यह पहली बार हुआ कि सभी चरणों में भाजपा को मुंह की खानी पड़ रही हैं और एक अकेले हेमन्त ने अपने सहयोगियों के साथ पीएम मोदी के करिश्माई जादू पर ब्रेक लगाते हुए, अपने सभी पार्टी के सदस्यों को जीत दिलाने तथा अपने सहयोगियों को भी उनके हक दिलाने में सफलता हासिल कर ली है।

यानी कुल मिलाकर देखें तो झामुमो की बल्ले-बल्ले हैं और भाजपा की खटिया खड़ी हैं, महागठबंधन की सरकार अब आ रही हैं और भाजपा जा रही हैं, राजनीतिक पंडितों की मानें तो भाजपा जो 65 पार का नारा दे रही थी, अगर ये बीस सीट भी ले आयें तो बहुत बड़ी बात होगी, क्योंकि महागठबंधन की ओर से मिली चुनौती ने उसे इस बार तड़ीपार कर दिया।

आश्चर्य इस बात की है कि भाजपा ने पीएम मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, कार्यकारी अध्यक्ष जे पी नड्डा, कई मुख्यमंत्रियों, कई केन्द्रीय मंत्रियों का सहारा लिया, जबकि महागठबंधन में राहुल-प्रियंका, तेजस्वी और हेमन्त ने ही जीत का बीड़ा उठाया, चलिए अब इंतजार करिये, 23 दिसम्बर का। पर, हम तो आज से ही निश्चिंत है, क्योंकि झारखण्ड में 23 दिसम्बर को महागठबंधन की जीत का सूर्योदय होनेवाला है। विद्रोही24.कॉम की ओर से नेता प्रतिपक्ष हेमन्त सोरेन को अभी से ही नई पारी के लिए विशेष बधाई।