रघुवर सरकार में पांचवी अनुसूची का उल्लंघन सर्वाधिक, जल-जंगल-जमीन कारपोरेट के हाथों में

विभिन्न जनसंघटनों ने आज राजभवन के समक्ष आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि झारखण्ड गठन के बाद सभी दलों ने झारखण्ड में शासन कर, पांचवी अनुसूची का उल्लंघन किया हैं। फिलहाल वर्तमान में जो भाजपा सरकार राज्य में चल रही है, इसके शासनकाल में पांचवी अनुसूची के उल्लंघन में बेतहाशा वृद्धि हुई। सभा को संबोधित करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता दयामनि बारला ने कहा कि वर्तमान सरकार ने जल, जंगल और जमीन को कारपोरेट के हाथों बेच दिया, इसलिए आनेवाले चुनाव में इन्हें सबक सिखाने के लिए हमलोगों को आज से ही कमर कसना होगा।

दयामनि बारला का कहना था कि रघुवर सरकार ने मोमेंटम झारखण्ड के नाम पर लाखों एकड़ जमीन पूंजीपतियों को मुफ्त में सौंप दिया। जेराम जेराल्ड कुजूर का कहना था कि वर्तमान में जमीन का रिविजन सर्वे चल रहा है, इसके आधार पर ही फिर खतियान बनेगा और 1932 का खतियान स्वतः समाप्त कर दिया जायेगा, जिससे यहां के आदिवासियों-मूलवासियों के परम्परागत अधिकार स्वतः समाप्त हो जायेंगे।

कुमारी मार्डी का कहना था कि भूमि अधिग्रहण कानून के लागू होने से कृषि योग्य भूमि के घटने की संभावना बढ़ेगी, लोग बड़ी संख्या में विस्थापित होंगे, जो हाल पलामू, लातेहार, गुमला के लोगों का हो रहा है, वहीं हाल सभी जगह देखने को मिलेंगे। गोड्डा में अडाणी पावर प्लांट द्वारा जबरन जमीनें छीनी जा रही है, सरकार का रवैया इस मुद्दे पर ठीक नहीं है, खूंटी, गुमला के ग्रामीण मित्तल स्टील प्लांट, पूर्वी सिंहभूम के पोटका में जिंदल स्टील के खिलाफ लोगों की लड़ाई जारी है, और सरकार लोगों को जाति एवं धर्म के नाम पर लडाने का षडयंत्र रच रही है।

सभा की समाप्ति के बाद जनसंगठन से जुड़े लोगों ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा तथा ज्ञापन के माध्यम से सरकार से मांग की कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट व पांचवी अनुसूची को सख्ती से लागू किया जाय। गैर मजरुआ आम, गैर मजरुआ खास, जंगल-झाड़ी, सरना-मसना, अखड़ा, हडगडी, नदी-नाला, पाइन-झरना, चारागाह, पारम्परिक खेत, डाली कतारी, जतरा टांड, सहित सभी जगह से सामुदायिक जमीन को भूमि बैंक से मुक्त किया जाय तथा किसी भी बाहरी पूंजीपतियों को इन जमीनों को न दी जाय।

जमीन अधिग्रहण कानून 2013 को सख्ती से लागू किया जाय। किसी भी प्रकार की जमीन अधिग्रहण के पहले ग्राम सभा के इजाजत के बिना जमीन अधिग्रहण किसी भी कीमत पर न हो। प्रस्तावित एलिफैंट कोरिडोर, वाइल्ड लाइफ कोरिडोर, पलामू टाइगर प्रोजेक्ट एवं नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज से होनेवाले विस्थापन को रोका जाय। गोड्डा में अडानी द्वारा जबरन जमीन हड़पने की कोशिश को रोका जाय। सामाजिक कार्यकर्ताओं पर जो देशद्रोह का मुकदमा का केस किया गया है, उसे वापस लिया जाये। भूमि अधिकार कानून 2017 आदि को रद्द किया जाय।