राजनीति

वामदलों के बिहार बंद का जनता ने किया समर्थन, बंद असरदार, SC ने लिया संज्ञान

वामदलों ने मुजफ्फरपुर के बालिका गृह में नाबालिग लड़कियों के साथ हुए दुष्कर्म एवं इस मामले में मंत्री के इस्तीफे और उसके पति की गिरफ्तारी की मांग को लेकर बिहार बंद बुलाया, बिहार के कई इलाकों में यह बंद असरदार रहा, जबकि कई इलाकों में बंद का मिला-जुला असर दिखाई पड़ा, इस बंद को राज्य के सभी विपक्षी दलों का समर्थन प्राप्त था, भागलपुर में तो भाजपा के उपाध्यक्ष अजय कनोडिया ने पार्टी लीक से उपर उठकर आक्रोश सभा के माध्यम से इस घटना की तीखी निन्दा की, जिसमें भागलपुर के कई संभ्रांत नागरिकों, बुद्धिजीवियों एवं काफी संख्या में महिलाओं ने भी भाग लिया, जो बताता है कि बिहार के लोग मुजफ्फरपुर में हुई घटना से कितने मर्माहत है।

आज खुशी इस बात की भी है कि इस मामले पर सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपनी चुप्पी तोड़ी, स्वतः संज्ञान लिया और केन्द्र तथा राज्य सरकारों को नोटिस भेजी, तथा न्यूज चैनलों द्वारा नाबालिग पीड़ितों के तस्वीर दिखाये जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे मामलों में पीड़िताओं के किसी भी प्रकार की फोटो नहीं आनी चाहिए। मुजफ्फरपुर कांड को बिहार के राज्यपाल ने भी कलंक बताया है, वहीं संसद और बिहार विधानसभा में भी ये मामला जोर-शोर से उठा है, पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्वतः संज्ञान लिये जाने से एक आशा बंधी है कि दोषी किसी भी हालत में बख्शे नहीं जायेंगे।

हम आपको बता दें कि मुजफ्फरपुर कांड का खुलासा तब हुआ, जब मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल सांइसेज की ओर से अप्रैल में बिहार सरकार के समाज कल्याण विभाग को रिपोर्ट सौपे जाने के बाद मुजफ्फरपुर के बालिका गृह में नाबालिग बच्चियों से दुष्कर्म होने का मामला का खुलासा हुआ, जिसके बाद पुलिस ने कार्रवाई की और इस मामले में दस लोगों को गिरफ्तार किया,  हालांकि विपक्षी दलों के दबाव में आकर पूरे मामले की सीबीआई जांच कराने की बात नीतीश सरकार ने कर दी, सीबीआई ने इस मामले की जांच भी प्रारम्भ कर दी है।

चूंकि यह मामला बिहार सरकार द्वारा वित्त पोषित होने के कारण बिहार का समाज कल्याण विभाग भी जांच के दायरे में हैं। विपक्ष समाज कल्याण मंत्री के पति का नाम बार-बार उछाल रहा हैं, तथा मंत्री से इस्तीफे की मांग तथा उसके पति को गिरफ्तारी की भी मांग कर रहा हैं, जिसके कारण ही, आज इस मामले में पूरा बिहार बंद हैं। ज्ञातव्य है कि इस घटना की पुष्टि करते हुए मुजफ्फरपुर के एसपी ने 34 बच्चियों के साथ दुष्कर्म किये जाने की पुष्टि कर दी है।

इधर बिहार बंद का आलम यह है कि आम जनता ने वाम दलों द्वारा बुलाई गई इस बंद का दिल खोलकर समर्थन किया। प्रमुख शहरों में सारे स्कूल-कॉलेज बंद रहे, व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे, गाड़ियों का आवागमन ठप रहा, कई जगहों पर ट्रेनों का आवागमन ठप रहा, आजगनी की भी कई जगहों से खबर हैं, आज सबेरे से ही बिहार के विभिन्न प्रमुख शहरों में वामदलो के कार्यकर्ता झंडों और बैनरों के साथ सड़कों पर उतर गये, नीतीश सरकार के खिलाफ नारे लगाये और इस घटना की घोर निन्दा की।

राजधानी पटना में बंद समर्थकों ने सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ जमकर अपना आक्रोश व्यक्त किया तथा सरकार में शामिल मंत्री से इस्तीफे की मांग की और उसके पति को गिरफ्तार करने की मांग की। आंदोलनकारियों का कहना था कि आखिर किस आधार पर ब्रजेश ठाकुर के अखबार को करोड़ों रुपये का विज्ञापन निर्गत किया जाता था, नीतीश कुमार जवाब दें? आज बंद के दौरान कई ट्रेनों को विभिन्न स्थानों पर बंद समर्थकों ने रोकने का प्रयास किया।

दरभंगा में बिहार संपर्क क्रांति एक्सप्रेस, लहेरियासराय में कमलागंगा फास्ट पैंसेजर, जहानाबाद में पटना रांची जनशताब्दी एक्सप्रेस को रोकने का प्रयास किया गया। मोतिहारी में सबेरे से ही सड़कों पर वामदलों के बंद समर्थक उतर गये, वहां सबेरे से ही बंद का प्रभाव देखा गया, तथा आम लोगों में आक्रोश भी देखा गया। यहीं हाल मधुबनी, आरा, बाढ़, बिहार शरीफ, नवादा, छपरा, का रहा। इधर बिहार के कई इलाकों में कई बुद्धिजीवियों ने पत्रकार-नेता के नापाक गठजोड़ के कारण हुई इस घटना की कड़े शब्दों में निन्दा की है, कई लोगों का कहना था कि इस घटना ने पत्रकार के रुप में छुपे भेड़िए के चेहरे को उजागर कर दिया है, नेता तो पूर्व से ही बदनाम रहे, पत्रकार का वीभत्स एवं क्रूर चेहरा पहली बार बिहार और देश के सामने दिखा है, जो निन्दनीय एवं शर्मनाक है।