प्रेस क्लब, रघुवर दास सरकार का हिस्सा हो गया, लोकतंत्र का छोटा स्तंभ सरकारी हो गया

आज रांची प्रेस क्लब के नवनिर्वाचित पदाधिकारियों व अन्य सदस्यों ने पद एवं गोपनीयता की शपथ ले ली। इनके शपथ ग्रहण के साक्षी बने राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास तथा वे लोग जिनको रांची प्रेस क्लब तथा सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के लोगों ने निमंत्रण दिया था। इस कार्यक्रम से राज्य के सभी विपक्षी दलों ने खुद को अलग कर लिया, क्योंकि यह कार्यक्रम रांची प्रेस क्लब का कम और राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित ज्यादा लग रहा था, जिसको लेकर विपक्षी दलों ने इस पूरे कार्यक्रम से भाग लेने से इनकार कर दिया, जो रांची प्रेस क्लब के लिए शर्मनाक है।

इस शपथ ग्रहण समारोह में भारतीय जनता पार्टी के बड़े-बडे नेता शामिल हुए, जबकि राज्य की प्रमुख विपक्षी दल झारखण्ड मुक्ति मोर्चा, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, झारखण्ड विकास मोर्चा तथा अन्य दलों को जैसे ही पता चला कि यह शपथ ग्रहण समारोह राज्य सरकार द्वारा आयोजित हैं, इन दलों ने कार्यक्रम में भाग लेने से इनकार कर दिया। आज के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए रांची प्रेस क्लब से ही जुड़े कई सदस्यों को निमंत्रण नहीं दिया गया था, आखिर ऐसा क्यों हुआ? इसका जवाब रांची प्रेस क्लब के पदाधिकारियों के पास नहीं है।

आज रांची प्रेस क्लब के शपथ ग्रहण समारोह को देखते हुए, रांची प्रेस क्लब से जुड़े पदाधिकारियों के पांव जमीन पर नहीं थे, उन्हें ऐसा लग रहा था कि दुनिया की सारी मुरादें मिल गई हो। वे मुख्यमंत्री रघुवर दास के आगे पूरी तरह नतमस्तक नजर आये, और स्वयं को धन्य-धन्य होते पाये गये, कई ने सीएम रघुवर दास के साथ सेल्फियां भी ली, तथा फोटो सेशन भी कराया।

इधर राज्य के कई वरिष्ठ पत्रकारों ने आज के इस आयोजन पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। कई ने अपने सोशल साइट पर खुलकर उद्गार व्यक्त किये, जिसका कई लोगों ने समर्थन किया। वरिष्ठ पत्रकार मधुकर कहते हैं कि प्रेस क्लब रांची, रघुवर दास सरकार का हिस्सा हो गया, जश्न मनाइये, लोकतंत्र का छोटा स्तंभ सरकारी हो गया, बधाइयां दें।

सुधीर पाल कहते हैं कि शायद अपनी बिरादरी के मित्रों को अच्छा न लगे, लेकिन शपथ ग्रहण समारोह गले नहीं उतर रहा है। मीडिया और सरकार के रिश्ते तनी रस्सी पर नट के करतब दिखाने जैसे संतुलन की डिमांड करता है, आम आदमी की आकांक्षा है कि मीडिया न तो सरकार का गलबहियां वाला साथी हो और न ही सरकार के लिए फालतू। वे यह भी कहते है कि सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा कार्यक्रम को प्रायोजित करना और मुख्यमंत्री द्वारा शपथ का आयोजन पत्रकारिता और पत्रकारों के लिए कम से कम मेरी दृष्टि में आत्मग्लानि जैसा है।

पंकज जैन कहते है कि रघुवर जी, प्रेस क्लब की नवनिर्वाचित टीम के शपथ समारोह में आपने गजब ढा दिया। सकारात्मक सोच के साथ पत्रकारिता की नसीहत देने की क्या जरुरी थी?  मीडिया वैसे नतमस्तक है, इसमें नसीहत की क्या जरुरत है?