“प्रभात खबर” ने कोबाड घांदी की आपत्तियों को स्वीकारा, अपने अखबार में फिर से उनके बयान को छापकर, अपनी गलतियां सुधारी
प्रभात खबर ने एक तरह से अपनी गलती स्वीकार कर ली। जिस बयान पर मार्क्सवादी विचारक कोबाड घांदी को आपत्ति थी, उन आपत्तियों को फिर से अपने अखबार में स्थान देकर प्रभात खबर ने स्वयं को जनता के सामने पाक-साफ रखने की कोशिश की। चूंकि कई संस्करणों में प्रभात खबर ने कोबाड घांदी के बयानों को 28 नवम्बर को प्रकाशित किया था, इसलिए प्रभात खबर ने कोबाड घांदी के आपत्तियों को उन सारे संस्करणों में स्थान दिया, जहां-जहां उनके बयान प्रकाशित हुए थे। जैसे रांची और बोकारो के संस्करणों में कोबाड घांदी के पूर्व और आज के बयानों को देखा जा सकता है।
बोकारो संस्करण के बेरमो वाले पृष्ठ पर यह खबर देखा जा सकता है, पर रांची में ऐसे जगह समाचार दिये गये हैं, जिसके लिए आपको दिमाग लगाना पड़ेगा, पन्ने पलटने पड़ेंगे। बोकारो संस्करण में जो आज खबर छपी है, उसकी हेडलाइन है – “मेरी बात की गलत व्याख्या, पूरे माओवादी को भ्रष्ट बना दिया गयाः कोबाड घांदी” यह खबर रांची डेडलाइन से सभी जगह छपी है।
समाचार में लिखा गया है – “कोबाड घांदी ने 28 नवम्बर को अपनी साक्षात्कार में माओवादी अब भ्रष्टाचारी हो गये हैं, हेडलाइन से छपी खबर पर आपत्ति जतायी है। श्री घांदी ने कहा है कि यह सही तथ्य नहीं है, मेरे द्वारा ऐसा नहीं कहा गया है। मैं बेरमो में मौजूद काले धन की विशाल अर्थव्यवस्था को समझने की कोशिश कर रहा था। कोयला माफियाओं के बारे में विस्तृत जानकारी ले रहा था। ये पैसे कहां पहुंचाते हैं और कैसे कमाया और कहां खर्च होता है, तो सामने आया कि यह समाज के तकरीबन सभी बड़े नेताओं और शायद कुछ तथाकथित माओवादी तक जाता है। यहां पूरे माओवादी को भ्रष्ट बना दिया गया। मेरे साक्षात्कार की गलत व्याख्या कर दी गयी। उन्होंने कहा है कि अपने इस गिरफ्तारी से पहले मैं कभी झारखण्ड नहीं गया। मेरा कथित माओवादियों का एकमात्र अनुभव झारखण्ड की जेलों में रहा।”